“हम सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए शांति और शांतिपूर्ण विकास में विश्वास रखते हैं।“
लाल बहादुर शास्त्री का ये कथन बताने के लिए काफी है कि हमारे देश के दूसरे प्रधानमंत्री कितने ईमानदार, निष्ठावान और शांतपूर्ण इंसान थे। उनके जीवन के हर पहलू से आज भी हम सीख सकते हैं कि कैसे जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है। 2 अक्टूबर को लाल बहादुर शास्त्री के जन्मदिवस पर हम उनके कई ऐसे अनसुने पहलू बताने जा रहे हैं, जिन्हें पढ़कर भी भावविभोर हो जाएंगे।
‘सरनेम’ से बनाई दूरी
लाल बहादुर शास्त्री जात-पात और धर्म के नाम पर भेदभाव करने के सख्त खिलाफ थे। इसलिए उन्होंने कभी अपने नाम में सरनेम ‘श्रीवास्तव’ नहीं लगाया। जब वह काशी विद्धापीठ से संस्कृत की पढ़ाई करके निकले तो उन्हें शास्त्री की उपाधि से सम्मानित किया गया। उन्होंने इसे ही नाम के साथ हमेशा के लिए जोड़ लिया।
नैतिकता
आज़ादी की लड़ाई में लाल बहादुर शास्त्री ने करीब 9 साल जेल में बिताएं। जेल होने के दौरान एक बार उनकी बेटी की तबीयत काफी खराब हो गई, जिसे देखने के लिए लाल बहादुर शास्त्री को 15 दिन की पैरोल मिली। इस बीच उनकी बेटी चल बसी और शास्त्री जी अपनी पैरोल समय सीमा से पहले ही जेल वापस आ गए। उन्होंने सरकार या किसी से पैरोल बढ़वाने या किसी तरह की हिमायत नहीं की।
ईमानदारी
लाल बहादुर शास्त्री के बेटे अनिल शास्त्री ने मीडिया में बताया था कि उनके पिता ने परिवार के लिए गाड़ी खरीदने के लिए पंजाब नेशनल बैंक से 5 हज़ार रूपये का कर्ज लिया था। जब शास्त्री जी की मृत्यु हुई तो उनके बैंक एकाउंट में कुछ भी नहीं था। माता को मिल रही पेंशन व बड़े भाई की कमाई से घर चलता था।
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की पहल
लाल बहादुर शास्त्री हमेशा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने की पैरवी करते थे। जब वह परिवहन मंत्री थे, तो उन्होंने सार्वजनिक वाहनों में महिला कंडक्टरों व ड्राइवरों की नियुक्ति की। वह दहेजप्रथा के सख्त खिलाफ थे।
किसानों के हिमायती
साल 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भयंकर सूखा पड़ा। उस समय भारत खाने-पीने की चीजें विदेशों से आयात करता था। ऐसी मुश्किल घड़ी में उन्होंने देशवासियों को हफ्ते में एक दिन एक समय का उपवास रखने की अपील की और साथ ही किसानों के विकास की बात की। लोग खेती करें, इसे बढ़ावा देने के लिए उन्होंने खुद अपने घर के लॉन में खेती करना शुरू कर दिया था।
इसी के साथ श्वेत क्रांति को समर्थन देकर नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड की घोषणा की।
राष्ट्रीय त्योहार
शास्त्री जी महात्मा गांधी के विचारों से काफी प्रभावित थे और दोनों महान हस्तियों का जन्मदिन एक ही दिन होने के कारण 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय पर्व के तौर पर मनाया जाता है।
दोनों के जन्मदिन को मनाने का सबसे अच्छा तरीका है कि हम उन दोनों की सादगी, ईमानदारी, निष्ठा, देशभक्ति, शांतिप्रिय स्वभाव जैसे गुण सीखें और उसे जीवन में अपनाएं।
इमेज : फेसबुक
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