यूं तो गणेशोत्सव में सभी ने गणपति को पूरी श्रद्धा के साथ विसर्जित किया लेकिन विसर्जन के बाद कई बार मूर्तियां पानी के बहाव के कारण वापस समुद्र के किनारे आ जाती है। मूर्तियों के प्रति आस्था दिखाते हुए मुम्बई के रहने वाले चीनू जीत ने कुछ ऐसा किया कि जो लोगों को प्रेरणा देने वाला हैं।
मुंबई के वॉलेंटियर्स ने बढ़ाया बप्पा का मान
मुंबई में एक गैर-सरकारी संगठन चलाने वाले चीनू जीत क्वात्रा ने हर बार की तरह इस बार भी विसर्जन के बाद समुद्र के किनारे भगवान की मूर्तियों को पड़ा देखा, कहीं हाथ पड़ा था, कहीं धड़, तो कहीं सूंड, जिसे देख कर उन्हें बहुत दुख हुआ क्योंकि उनकी भी बप्पा में बहुत आस्था है। जीतू पिछले 24 सालों से बप्पा को घर ला रहे हैं। हालांकि चीनू अलग-अलग सोशल मुद्दों पर काम करते रहते हैं लेकिन इस बार उन्होंने इन मूर्तियों के टुकड़ों को उठा कर सही जगह पहुंचाने की ठानी। चीनू सोशल मीडिया की मदद से कई लोगों से जुड़े, जिनमें से ज्यादातर स्टूडेंट्स हैं। हज़ारों की तादाद में जुड़कर इन लोगों ने समुद्र के किनारे साफ किये, वहां पड़े मूर्तियों के टुकड़ों को इकट्ठा कर के मुम्बई की नगरपालिका (बीएमसी) के पास पहुंचाया, जहां इन्हें सही तरह से डिसपोज़ किया जायेगा।
इको फ्रेंडली गणेश की रही धूम
पहले ज्यादातर पीओपी से बनी मूर्तियां बिकती थीं, इन पर जो पेंट लगाए जाते हैं, उनमें केमिकल्स होते हैं। इन मूर्तियों को घुलने में सालों लग जाते हैं और केमिकल पेंट्स के अंदर मिले हुये मरकरी और लेड पानी के जीवों को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं। लेकिन समय के साथ लोगों की सोच बदल रही है और लोग पर्यावरण को लेकर जागरुक हो रहे हैं। इस साल काफी लोगों ने इकोफ्रेंडली सामान से बनी मूर्तियों की खरीदारी की, जो पानी में जल्दी घुल जाती हैं और पानी में बसे जीवन को नुकसान भी नहीं पहुंचातीं। लोग अब मूर्ति विसर्जन के लिए खुद ही बहुत छोटे छोटे तालाब बनाते है, इससे पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचता।
चीनू और उनसे जुड़े लोगों के इस कदम को देखकर मन से एक ही बात निकलती है कि ‘श्रद्धा हो तो ऐसी’।
इमेजः मिड डे
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