दीवाली को रोशनी अथवा प्रकाश का त्योहार माना जाता है और मनुष्य का रुझान सदा से ही प्रकाश की तरफ रहा है। इसका प्रमाण है “तमसो मा ज्योतिर्गमय” जैसे भारतीय दर्शन के श्लोक जो प्रकाश यानी सत्य की तरफ बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। आमतौर पर लोग दीवाली को दीयों का त्योहार मानते हैं लेकिन सच्चाई ये है कि दीपावली सिर्फ त्योहार न होकर एक संस्कृति है, जो पूरे भारत को एकता के सूत्र में पिरोती है। इसलिए दीपावली का त्योहार भारतीय संस्कृति का गौरव है।
क्या–क्या सीख सकते हैं दीपावली से?
दीपक की तरह प्रकाशमय बनें
दीवाली हमें प्रेरणा देती है कि हम दीये की तरह बनें। दीया का काम है खुद को जलाकर दूसरों को प्रकाश देना। इसी तरह हमें भी आत्मदीपो भवः के वाक्य को मानकर समाज के लिए काम करना चाहिए।
पॉजिटिव बनें
दीपावली को अंधकार पर प्रकाश की विजय का त्योहार माना जाता है। या दूसरे शब्दों में कहें तो नकारात्मकता पर सकरात्मकता की विजय का त्योहार। हम सब जानते हैं नकारात्मकता से घिरा आदमी कितनी भी गति कर ले लेकिन सच्ची खुशी उससे कोसों दूर रहती है। इसलिए इस दीवाली आपको अपने लिए वह मायने तलाशने हैं जो पॉजिटिविटी को बढ़ाते हो और नेगेटिविटी को दूर रखते हो।
अपनी संस्कृति को बनाएं अपना अभिन्न अंग
ग्रॉस हैप्पीनेस रिपोर्ट जैसे वैज्ञानिक पद्धति पर बने सूचकांक भी मानते हैं कि अगर आप खुश रहना चाहते हैं तो अपनी संस्कृति से जुड़े रहे। वैसे भी दीवाली जैसे त्योहार हर्ष और उल्लास का माहौल लेकर आते हैं और काफी मनोरंजक भी हैं, जिस कारण हर कोई इन त्योहारों को मनाता ही है।
परिवार के साथ बढ़ायें करीबी
हमारे देश में अब एकल परिवारों को ज़्यादा तवज्जो दी जाने लगी है। इस कारण जो लोग कभी संयुक्त होकर रहा करते थे, अब वह न्यूक्लियर फैमिली में विश्वास करने लगे हैं। लेकिन दीपावली जैसे त्योहार संयुक्त परिवार को जोड़ने का रास्ता तैयार करते हैं। इसलिए यह त्योहार अपनों के साथ मनाने की कोशिश करें।
स्वच्छता को चुनें
दीवाली से पहले हम सब घर की साफ-सफाई करते हैं। लेकिन क्या घर की सफाई ही पर्याप्त है? दीपावली हमें घर के साथ-साथ शारीरिक और मानसिक सफाई की प्रेरणा भी देती है। यहां मानसिक सफाई का अर्थ है, आसपास के लोगों के साथ जलन, ईर्ष्या, घृणा आदि का त्याग कर मेलजोल और भाईचारा बढ़ाना।
विकास नहीं बल्कि प्रगति को चुनें-
इस दीवाली आपको विकास नहीं बल्कि प्रगति को चुनना है। यानी किसी के लिए दुख का कारण नहीं बनें, बल्कि सभी की मदद करें और ज्यादा से ज्यादा सुख प्रदान करने की कोशिश करें।
कब और कैसे मनाया जाता है दीवाली का त्योहार–
दीपावली का त्योहार कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाता है। वैसे तो यह कुल 5 दिन का त्योहार है लेकिन अमावस्या का दिन खास होता है। यह दिन धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण होता है। इस दिन धन या जिन संसाधनों से हम अपनी जीविका चलाते हैं उन सब चीजों को पूजा के ज़रिए सम्मान दिया जाता है।
इस तरह दीपावली सिर्फ एक त्योहार न होकर आध्यात्मिक तथा मानसिक उन्नति का साधन भी है। देश के हर भाग में अलग- अलग नामों से दीपावली मनाई जाती है। इस बार आप भी पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए आप सुरक्षित, पॉज़िटिव दीवाली ज़रूर मनाएं।
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