मृणालिनी साराभाई- क्लासिकल डांस को पहुंचाया बुलंदियों पर

मृणालिनी साराभाई- क्लासिकल डांस को पहुंचाया बुलंदियों पर

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भारतीय क्लासिकल डांस का ज़िक्र हो और मृणालिनी साराभाई का नाम न आये, ऐसा भला कैसे हो सकता है! भारतीय शास्त्रीय नृत्य को नई ऊंचाईयों पर पहुंचाने का श्रेय उन्हें ही जाता है। बहुमुखी प्रतिभा की धनी मृणालिनी मशहूर क्लासिकल डांसर, डांस ट्रेनर और कोरियोग्राफर भी थी।

कत्थकली करने वाली पहली महिला

मई 1918 में केरल में जन्मी मृणालिनी साराभाई ने शांतिनिकेतन में गुरुदेव रबिंद्रनाथ टैगोर की निगरानी में शुरुआती पढ़ाई की। उनका बचपन स्विटज़रलैंड में बीता। कुछ समय के लिए उन्होंने अमेरिका की अमेरिकन एकेडमी ऑफ ड्रमैटिक आर्ट से भी ट्रेनिंग ली। भारत लौटने के बाद उन्होंने जानीमानी नृत्यांगना मीनाक्षी सुंदरम पिल्लई से दक्षिण भारतीय शास्त्रीय नृत्य भरतनाट्यम सीखा और गुरु थाकाज़ी कुंचू कुरुप से शास्त्रीय नृत्य-नाटक कत्थकली। उस ज़माने में कत्थकली सिर्फ पुरुष ही करते थे। ऐसे में मृणालिनी पहली महिला थी, जिन्होंने कत्थकली सीखा।

लेखिका और कोरियोग्राफर

मृणालिनी ने भारतीय शास्त्रीय नृत्य को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया और भारतनाट्यम को लोकप्रिय बनाने में भी उनका अहम योगदान रहा है। वह अपने नृत्य के ज़रिये अक्सर सामाजिक मुद्दों को भी उठाती थी। क्लासिकल डांसर के अलावा मृणालिनी साराभाई एक कवियित्री, लेखिका और पर्यावरणविद् भी थीं। उन्होंने स्‍टेज पर 300 से अधिक डांस परफॉर्मेंस की कोरियोग्राफी भी की है।

मृणालिनी साराभाई- क्लासिकल डांस को पहुंचाया बुलंदियों पर
कत्थकली करने वाली पहली महिला  | इमेज: आउटलुक इंडिया

हज़ारों छात्रों की दी ट्रेनिंग

मृणालिनी ने 1948 में दर्पण एकेडमी ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स की स्थापना की। वहां पर नृत्य, नाटक, संगीत और कठपुतली जैसी आर्ट छात्रों की सिखाई जाती है। वह 18,000 से भी ज़्यादा छात्रों को भरतनाट्यम और कत्थकली की ट्रेनिंग दे चुकी हैं। मृणालिनी के पति विक्रम साराभाई मशहूर वैज्ञानिक थे।

मिल चुके हैं कई सम्मान

कला के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान के लिए मृणालिनी साराभाई को 1965 में पद्मश्री अवार्ड दिया गया था। 1992 में भारत सरकार की और से पद्मभूषण अवार्ड से सम्मानित किया गया। 1994 में संगीत नाटक एकेडमी फेलोशिप अवार्ड मिला। इतना ही नहीं उन्हें 1997 में ईस्ट एन्जालिया विश्वविद्यालय ने डॉक्टर ऑफ लिटरेचर की उपाधि भी दी थी। लोग प्यार से उन्हें अम्मा कहते थे। मृणालिनी साराभाई को फ्रेंच सरकार ने फ्रेंच अभिलेखागार इंटरनेशनल डे ला डांसे का डिप्लोमा और मेडल भी दिया था। ऐसा सम्मान पाने वाली वह पहली भारतीय हैं।

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भी मुरीद थे

मृणालिनी साराभाई की डांस परफॉर्मेंस बेहद खास होती थी, तभी तो उनकी परफॉर्मेंस देखने के लिए ऑडियंस की पहली पंक्ति में राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री तक बैठे रहते थे। क्‍लासिकल डांस के क्षेत्र में उनके योदगान की वजह से ही इस फील्ड के बेहतरीन कलाकारों को ‘मृणालिनी साराभाई अवॉर्ड फॉर क्‍लासिकल एक्‍सीलेंस’ दिया जाता है।

इमेज: एडेक्स लाइव / पिंटरेस्ट 

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