बेंगलुरु के एक प्राइवेट स्कूल विद्याशिल्प अकादमी ने अपने कैंपस में एक रिसाइक्लिंग यूनिट को लगाया और फिर उसी यूनिट से बिजली पैदा करके बाकी लोगों के लिए एक मिसाल कायम की है। इतना ही नहीं, अकादमी रोज़ाना कैंपस में रिसाइक्लिंग करके कागज़ की 800 शीट भी तैयार करती है।
4,223 पेड़ एवं 59,62,560 लीटर पानी की बचत
अपनी इस अनूठी पहल के दम पर स्कूल ने अब तक जहां 4,223 पेड़ एवं 59,62,560 लीटर पानी की बचाया है, वहीं 10,931 घरों के लिए भी एक महीने की बिजली की बचत की है। इतना ही नहीं, स्कूल ने 2,48,440 किलोग्राम अखबारों को रिसाइकल करके 7,453 गरीब और वंचित बच्चों की मदद भी की है। इस काम के लिए स्कूल प्रतिदिन पांच लोगों की मेहनत, पांच यूनिट बिजली और 350 लीटर पानी का उपयोग करता है और इनकी मदद से 40 किलो कच्चे माल की रिसाइक्लिंग करता है।
यूनिट के रखरखाव पर खास ध्यान
विद्याशिल्प अकादमी उन गिने-चुने स्कूलों में से एक है, जिनके कैंपस में एक मिनी अपशिष्ट पेपर रिसाइक्लिंग यूनिट है। पेपर रिसाइक्लिंग यूनिट के रखरखाव पर खास ध्यान दिया जाता है। इस पेपर रिसाइक्लिंग यूनिट को एक कमरे में रखा गया है। इसमें अलग-अलग मशीनें- पेपरिंग, स्क्रू प्रेशरिंग, सुखाने और कागज को चिकना करने की छोटी मशीन शामिल हैं।
रिसाइकल पेपर पर बनती है स्कूल की सालाना रिपोर्ट
बता दें कि विद्याशिल्प अकादमी की वार्षिक रिपोर्ट और समाचार पत्र सभी रिसाइक्लिंग से तैयार कागज़ से बनाए जाते हैं। स्कूल के स्टोर रूम में सभी नोटबुक, समाचार पत्र, पत्रिकाओं और ई-कचरे को इकट्ठा किया जाता है। फाइलें बैग, लिफाफे, फोटो फ्रेम, नोटबुक, डायरी, कैलेंडर, टिशू बॉक्स, और पेंसिल होल्डर, ऐसे बहुत कुछ सामान रिसाइकल कागज़ से बनाए गए हैं। यहां तक स्कूल कैंपस में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के लिए इनविटेशन और प्रोग्राम ब्रोशर प्रिंट करने के लिए भी इसी कागज़ का इस्तेमाल होता है।
अगर देश के सभी स्कूल इसी तरह रिसाइक्लिंग यूनिट की स्थापना करके रोज़मर्रा के उपयोग की सामग्री का उत्पादन शुरू कर दें, तो फिर देश से प्लास्टिक का चलन अपने आप खत्म हो जाएगा।
और भी पढ़े: कभी न मानें हार
इमेज: मीडियम