भारत के इतिहास और परंपराओं से पान का संबंध बहुत पुराना और गहरा है। धार्मिक अनुष्ठानों से लेकर सामान्य जीवन तक में पान का खूब इस्तेमाल किया जाता रहा है। लेकिन, पान खाकर जब इसकी पीक से सार्वजनिक स्थलों व ऐतिहासिक धरोहरों को बदरंग किया जाता है, तो चिढ़ बढ़ जाती है। पर अब पान के इन दागों को हटाने के लिए इकोफ्रेंडली और सस्ता उपाय विकसित हो चुका है।
आठ छात्राओं की टीम ने किया कमाल
मुंबई के रामनारायण रुईया कॉलेज की आठ लड़कियों की एक टीम ने यह कारनामा कर दिखाया है। टीम ने अपनी इस इकोफ्रेंडली टेक्नीक को अमेरिका के बोस्टन में ‘जेनेटिकली इंजीनियर्स मशीन्स (आईजीईएम) 2018’ कॉन्टेस्ट में पेश किया और उन्हें इसके लिए गोल्ड मेडल भी मिला। कॉन्टेस्ट में शामिल होने के लिए टीम को बायोटेक्नोलॉजी विभाग से 10 लाख रुपये का फंड मिला था। इसके साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी विजेता टीम को सम्मानित किया।
स्वच्छ भारत अभियान से मिली प्रेरणा
टीम को पान के धब्बे मिटाने का ईको फ्रेंडली तरीका ढूंढ़ने की प्रेरणा प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत अभियान से मिली। इन छात्राओं ने माइक्रोब्स और एंजाइम खोजे, जो पान की पीक के लाल रंग को हानिरहित कलरलेस प्रोडक्ट में बदल देते है। सबसे पहले छात्राओं ने पान के लाल-भूरे रंग होने की वजह जानी और फिर इसकी सफाई के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले केमिकल्स का पता लगाया। अंततः छात्राओं ने पान के दाग से छुटकारा पाने के लिए एक जैल तैयार किया।
हजारों लीटर पानी और लाखों रुपये का खर्च
टीम ने स्टेशन मालिकों से ट्रेनों और प्लेटफॉर्मों को साफ करने के बारे में चर्चा की, तो पता चला कि रेलवे को पान के दागों की सफाई के लिए रोज़ हज़ारों लीटर पानी और लाखों रुपये खर्च करने पड़ते हैं। कई लीटर एसिड का इस्तेमाल भी किया जाता हैं। जबकि, छात्राओं के इस प्रोडक्ट को कम पानी की जरूरत होगी।
अवेयरनेस के लिए सोशल मीडिया ड्राइव
पान के दाग धब्बों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के मकसद से छात्रों ने सोशल मीडिया अभियान ‘पानसेपरेशान’ भी शुरू किया है, ताकि लोगों को पान के थूक से होने वाले नुकसान का पता चल सके।
हालांकि कई सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं आए दिन पान से होने वाले नुकसान और इससे सार्वजनिक स्थानों को गंदा करने के खिलाफ अभियान चलाती रहती हैं। किंतु ज़िम्मेदार नागरिक होने के नाते यह हमारा भी फर्ज है कि हम पान या किसी भी तरह से सड़कों या सार्वजनिक जगहों को गंदा न करें और न ही किसी को ऐसा करने दें।
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