आत्मविश्वास ने दिलाई सफलता

आत्मविश्वास ने दिलाई सफलता

FacebookTwitterLinkedInCopy Link

इरादे बुलंद हो, तो सफलता हासिल करने से कोई भी रोक नहीं सकता। आज हम यहां जो कहानी आपको बताने जा रहे हैं, वह एक ऐसी लड़की की कहानी है, जिसके हौसले ही उसकी जीत को बयां करते हैं। लड़की का नाम है, अपराजिता राय, और उनके हौसले की जीत की कहानी यह है कि वह सिक्किम की पहली महिला आईपीएस ऑफिसर हैं।

हालात नहीं थे साथ

अपराजिता की कहानी इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि उनके परिवार के हालात बिल्कुल अच्छे नहीं थे, इसके बावजूद उन्होंने इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल की। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, लेकिन अपराजिता ने साल 2010 और 2011 में यूपीएससी की सिविल सर्विस परीक्षा दी और दोनों ही साल पास की। यही नहीं, वह सिक्किम में टॉप रैंक पाने वाली कैंडिडेट भी थी। हैं।

परिवार ने दिया सपोर्ट

भले ही अपराजिता के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, लेकिन उनके परिवार वाले यह बखूबी जानते थे कि ’हमारी बेटी कुछ बड़ा जरूर करेगी’। ऐसे में परिवार वालों ने हमेशा उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। अपराजिता के पिता वन विभाग में डिविजनल ऑफिसर थे, वहीं मां स्कूल टीचर थीं। अपराजिता के जीवन में मुश्किलों ने डेरा डालना तब शुरू किया, जब उनके पिता की मृत्यु हो गई। उस समय उनकी उम्र केवल आठ साल थी।

हौसलों को सलाम  | इमेज: फेसबुक

सिविल सर्विस में आने का फैसला

पिता की मौत के बाद अपराजिता ने पहली बार करीब से जाना कि सरकारी कर्मचारियों के बिहेव को समझा। बुरे बर्ताव के कारण उनका मन काफी आहत हुआ और उन्होंने सिविल सर्विस में आने का फैसला किया। स्कूल के दिनों से ही अपराजिता एक अच्छी स्टूडेंट थी। 12वीं की परीक्षा में उन्होंने 95 प्रतिशत अंकों के साथ सिक्किम में टॉप किया था। बोर्ड परीक्षा में टॉपर रहने पर उन्हें ताशी नामग्याल एकेडमी में बेस्ट गर्ल ऑलराउंडर श्रीमती रत्ना प्रधान मेमोरियल ट्रॉफी से सम्मानित किया गया था।

बार-बार परीक्षा देकर सुधारी रैंक

स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद अपराजिता ने 2009 में नेशनल एडमिशन टेस्ट दिया और वेस्ट बंगाल यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूडिशियल साइंस, कोलकाता से बीए एलएलबी (ऑनर्स) की डिग्री हासिल ली। इसी साल वह सिविल सेवा परीक्षा में शामिल हुईं, लेकिन उसे क्लीयर नहीं कर पाईं। लेकिन, अगले साल उन्होंने दोबारा सिविल सेवा परीक्षा में शामिल हुईं और 768वीं रैंक के साथ परीक्षा पास की। फिर साल 2011 में फिर से परीक्षा देकर पास की, जबकि 2012 में 358वीं रैंक के साथ फिर से परीक्षा पास की।

आर्थिक तंगी रहते हुए भी अपराजिता ने जो मुकाम हासिल किया है, वह काबिल-ए-तारीफ़ है। इनकी कहानी उन लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणादायक है, जो अपने जीवन कुछ बड़ा करना चाहती हैं।

और भी पढ़े: अंतरिक्ष में किया देश का नाम रोशन

इमेजः इमेज: इंडिया टाइम्स / न्यूज़ इंडिया एक्सप्रेस 

ThinkRight.me, आपका इमोशनल फिटनेस एप, अब जिसे आप डाउनलोड भी कर सकते है और फेसबुक पर भी हमारे साथ जुड़िए।

Your best version of YOU is just a click away.

Download now!

Scan and download the app

Get To Know Our Masters

Let industry experts and world-renowned masters guide you towards a meditation and yoga practice that will change your life.

Begin your Journey with ThinkRight.Me

  • Learn From Masters

  • Sound Library

  • Journal

  • Courses

Congratulations!
You are one step closer to a happy workplace.
We will be in touch shortly.