अंग्रेज़ी की कहावत है ‘प्रैक्टिस वॉट यू प्रीच’ यानी किसी भी चीज़ का प्रचार करने से पहले आपको उसका अभ्यास करना चाहिए। यह बात बिल्कुल सही है क्योंकि लोग आपकी बात तभी सुनते हैं, जब वह आपको खुद कुछ वैसा करते देखते हैं। इस कहावत को सार्थक करते हुए ओडिशा की मयूरभंज डिस्ट्रिक्ट के निवासी बिशनु भगत ने अपनी बात दूसरों तक पहुंचाने के लिए एक दिलचस्प तरीका अपनाया।
क्या था तरीका?
प्लास्टिक और पॉलिथिन बैग के इस्तेमाल को कम करने और उससे हो रहे नुकसान के बारे में बताने के लिए बिशनु भगत ने अपने ऊपर प्लास्टिक से बनी चीज़ें लगा ली और पूरे ज़िले में घूमने लगे। उन्हें देखकर पहले तो लोगों को बहुत हैरानी हुई और उनका नाम ‘चलता-फिरता कूड़ेदान’ रख दिया, लेकिन साथ में यह जानने कि जिज्ञासा भी हुई कि वह ऐसा क्यों कर रहे हैं?
क्या था कारण?
एक दिन किसी ने गलती से बिशनु के सिर पर कूड़े से भरा प्लास्टिक बैग फेंक दिया। उसको वह पास के कूड़ेदान में फेंकने गए, तो देखा की हर जगह पॉलिथीन फैले हुए थे। कूड़े से कुछ ही दूर एक गाय पॉलिथीन खा रही थी, जिस वजह से कुछ दिन बाद उसकी मृत्यु हो गई। इस घटना का उनके ऊपर इतना असर हुआ कि उन्होंने लोगों को जागरुक करने के लिए यह तरीका अपनाया। उनका यह मानना है कि प्लास्टिक लपेट कर जब वह इतने भद्दे लग रहे हैं, तो धरती की खूबसूरती पर इसका क्या असर पड़ रहा होगा?

सभी को दे रहे हैं संदेश
अपने पड़ोस के साथ-साथ अब वह सरकारी स्कूलों में भी जाने लगे हैं। जब वह पहली बार स्कूल में गए, तो बच्चे बहुत हंसे, लेकिन साथ ही वह यह भी समझ गए थे कि उनको कुछ गंभीर बात समझाई जा रही है। बिशनु के समझाने के बाद बच्चों में काफी बदलाव आया हैं। बच्चे अपने साथ-साथ, घर वालों को भी प्लास्टिक कम से कम इस्तेमाल करने के लिए समझा रहे है। मयूरभंज के कलेक्टर ने भी बिशनु की जमकर प्रशंसा की हैं।
प्लास्टिक का इस्तेमाल कैसे करें कम?
- बाहर जाते समय कपड़े का बैग ज़रूर लेकर जाएं। दुकानदार से भी पॉलीथिन बैग न लें।
- रियूज़ेबल बोतलों का इस्तेमाल करें। हर बार नई प्लास्टिक की बोतल लेने की जगह स्टील या दूसरे मेटल की बोतल अपने साथ रखें।
- घर पर सामान रखने के लिए प्लास्टिक के डिब्बों का इस्तेमाल कम से कम करें।
- फ्रोज़न फूड खरीदने की जगह ताज़े फल और सब्ज़ियां खरीदें।
अगर आप हर दिन छोटी-छोटी कोशिश करेंगे, तो एक बड़े बदलाव में अपना योगदान दे सकेंगे। इससे आप न सिर्फ अपने आसपास की गंदगी को रोक पाएंगे बल्कि जानवरों और धरती को भी प्लास्टिक के बोझ से बचा पाएंगे।
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