आप खुद से प्यार करने के लिए क्या करते हैं?
– स्पा या सैलून जाकर
– अपना मनपसंद खाना खाकर
– दोस्तों के साथ गप्पें मारकर
– कुछ ऐसा करना जिसे करके आपको मज़ा आता हो
अगर आप इसे सेल्फ लव यानी कि खुद से प्यार करने के तरीके समझते हैं, तो यकीन मानिए आप सिर्फ भौतिकता और विभिन्न कंपनियों की मार्किटिंग के फेर में फंस गए है।
खुद से प्यार करना वास्तव में क्या होता है, इससे जुड़ी भ्रांतियां और इसे आप बहुत ही आसान तरीकों से अपनी रोज़ाना की ज़िंदगी में शामिल कर सकते हैं। साउंड हीलिंग और मेडिटेशन गुरू विदिषा कौशल ने रविवार को हुए वेबिनार में बहुत विस्तार से इन सभी बातों को बताया।
खुद से प्यार करने से जुड़े भ्रम और सच्चाई
इसका मतलब जिससे मन खुश हो वही करें
सच्चाई – खुद से प्यार करना सिर्फ खुद के शारीरिक आवारण को खुश करना ही नहीं है। ये आपके भीतर से होना चाहिए। जिस ऊर्जा से हम इस दुनिया में आएं है, जिसे लोग परमात्मा, दिव्य या मूल कहते हैं। उस ऊर्जा का सम्मान करना और उससे प्रेम करना ही खुद से सच्चा प्यार करना है। जब आप उस ऊर्जा से जुड़ते हैं और वह आपको रास्ता दिखाता है, जीवन में कुछ करने का जज़्बा आता है और खुद की देखभाल करते हैं।
जब आप खुद से प्यार जताना बाहरी चीज़ों में ढ़ूंढते हैं, तो इच्छाएं बढ़ती जाती है और ये अनंत हो जाती है। लेकिन इसका कतई मतलब नहीं हैं कि आप अपने शरीर पर ध्यान न दें बल्कि दिव्यता या मूल ऊर्जा से जुड़कर खुद को बेहतर बनाइये। अपने काम और व्यवहार में शुद्धता लाकर आप खुद से प्यार जता सकते हैं।
क्या खुद से प्यार करना स्वार्थी होता है?
अगर आप बाहरी चीज़ों में खुद के लिए प्यार ढ़ूंढते हैं, तो ज़रुर ये स्वार्थी हो सकता है। लेकिन जब खुद से जुड़कर खुद के लिए रास्ता ढ़ूंढने की बात करते हैं, तो ये निस्वार्थ होता है। ये न सिर्फ आपके मन और शरीर के लिए बेहतर होता है, बल्कि आप दूसरों के लिए कुछ कर सकते हैं। जितना आप खुद को मूल ऊर्जा से जोड़ते हैं, उतना ही बेहतर आप खुद को जानते हैं और आप दूसरों का जीवन बेहतर करने का माध्यम भी बन सकते हैं।
हम इसे कैसे बेहतर बनाएं?
इसका जवाब मेडिटेशन गुरु विदिषा ने बड़े ही दिलचस्प उदाहरण से दिया। याद करिए कि जब आप स्कूल में थे, तब आपकी मनपसंद टीचर कौन थी और फिर याद करिए कि जब वह आपको पढ़ाती/पढ़ाते थे, तो आप कैसा महसूस करते थे? यकीनन आपका जवाब होगा कि बड़ा मज़ा आता था और सब तुरंत समझ भी आ जाता था। अब आप उस टीचर को याद करिए जो हमेशा डांटती या गुस्सा होती थी, उसके पढ़ाने के समय आप कैसा महूसस करते थे? शायद आपका जवाब हो कि बोर होते थे, वह विषय बोरिंग लगता था।
तो सवाल है कि आप अपने लिए कौन से टीचर बनना पसंद करेंगे?
जब आप भीतर से अच्छा महसूस करेंगे, खुद को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे, तो आप खुद में सुधार पाएंगे। दूसरों को देने से पहले खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करिए।
खुद से प्यार करने के आसान उपाय
अपनी आलोचना बिल्कुल न करें
आप जैसे दिखते हैं, उसे स्वीकार करें। इसी तरह मानसिक रुप से भी आप खुद को नेगेटिव घेरे से बाहर निकालें। इससे आप खुद को अपने आप में ही बंद कर लेते हैं। अगर आप अपने बच्चे को लगातार कहते हैं कि तुम बहुत लापरवाह हो, तो ये आदत बढ़ती जाती है, क्योंकि आप उसे वही ऊर्जा देते हैं।
ऐसे ही आप खुद की आलोचना करने की बजाय खुद को प्रेरित
करें। “मैं ये कर सकता/सकती
हूं।”
ये अभ्यास करने से ही आता है।
आप खुद के अच्छे दोस्त बनिए
ये कहावत तो आपने कई बार सुनी होगी “दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करें, जैसा आप खुद के लिए चाहते हैं।“ विदिषा का कहना था कि “जैसा आप व्यवहार आप अपने दोस्त के साथ करते हैं, वही आप अपने साथ करिए”। यानी आप खुद के बेस्ट फ्रेंड बनिए। आपने देखा होगा कि जब आप अपने सबसे करीबी दोस्त से मिलते हैं, तो मन से बहुत खुश होते हैं। ठीक ऐसे ही आप खुद के साथ समय बिताइये और खुद को बेहतर करने का सोचिए। खुद के साथ असीमित प्यार करिए।
आलोचना vs प्रेरणा
जब भी आप मुश्किल में हो, तो खुद को प्रेरित करिए और उस बेस्ट फ्रेंड की तरह बनिए जो मुश्किल में आपका साथ देता है और आपको प्रेरित करता है। जैसे कि आप सैर पर जाना चाहते हैं, तो खुद से कहिए चलो आज 10 मिनट के लिए सैर करने चलते हैं, फिर धीरे-धीरे इसे 15 मिनट कर लें। हमेशा खुद से ऐसी बातें करिए जो आपको बेहतर बनाये।
इसे विस्तार से समझने और इससे जुड़े कई सवालों के जवाब मेडिटेशन गुरु विदिषा कौशल ने इस वेबिनार में दिए, जिसे आप यूट्यूब चैनल ThinkRight.me पर जान सकते हैं।
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