‘बच्चे तो बहुत छोटे हैं उन्हें घर के काम में उलझाकर उनका बचपन क्यों छीने’
‘बच्चों से काम कराने का मतलब है अपना सिरदर्द बढ़ाना’…
बेशक ऐसे तर्क सही हो सकते हैं, लेकिन बच्चों को घर के काम जैसे खाना बनाना, सफाई, सामान को सही जगह पर रखना और कपड़े धोना सिखाना उनके आगे की ज़िंदगी के लिए फायदेमंद होता है और उन्हें जीवन जीने के कई ज़रूरी कौशल भी सिखाता है।
जरूरी स्किल सीखते हैं
जब बच्चे अपना कमरा साफ करते हैं, बर्तन धोते हैं, कपड़े ठीक से रखते हैं या खाना बनाने में मां की मदद करते हैं, तो आगे की ज़िंदगी के लिए ज़रूरी कौशल कम उम्र में ही सीख जाते हैं। ऐसे बच्चे बड़े होने पर कभी यह नहीं सोचेंगे कि मैं तो लड़का हूं भला घर का काम मैं क्यों करूं या फिर लड़कियों को भी इस तरह के काम करने में परेशानी नहीं होगी। साथ ही वह साफ-सफाई की अहमियत भी समझ जाते हैं।
ज़िम्मेदार बनते हैं
छोटी उम्र से ही घर के काम में मदद करने से बच्चे ज़िम्मेदार और आत्मनिर्भर बनते हैं। ‘मम्मी मुझे पानी दो, मम्मी मेरी पेंसिल कहां है या मेरा खिलौना नहीं मिल रहा’ जैसी शिकायतें नहीं करते। क्योंकि खुद ही अपना सामान रखते हैं तो उन्हें पता होता है कि वह कहां है और यही आदत उन्हें ज़िम्मेदार बनाती हैं। उन्हें लगता है कि वह खुद अपना ख्याल रख सकते हैं। जब आप कहते हैं कि मेरा बेटा/बेटी तो बहुत समझदार हो गया है तो उन्हें बहुत अच्छा महसूस होता है।
टीमवर्क सीखते हैं
घर में बहुत से सदस्य होते हैं और हर कोई कुछ न कुछ काम करता है। ऐसे में सबके साथ मिलकर काम करने से बच्चे में छोटी उम्र से ही टीम में काम करने का हुनर आ जाता है। साथ ही वह देखते हैं कि कैसे कोई गलती होने पर ही परिवार में लोग एक-दूसरे को तुरंत माफ कर देते हैं। ऐसे में बड़े होने पर भी उनके लिए दूसरों को माफ करना और ऑफिस में दूसरे लोगों के साथ एक टीम की तरह काम करना आसान हो जाता है।
दूसरों की इज्ज़त करना सीखते हैं
जब बच्चा खुद ही अपना कमरा साफ करता है या कपड़े धोता है तो उसे एहसास होता है कि सफाई में कितनी मेहनत लगती है। फिर बच्चा अपने माता-पिता के काम की इज्ज़त करने लगता है और अगली बार घर या सामान गंदा करने से पहले सौ बार सोचता है। ऐसे बच्चे दूसरों के काम का सम्मान करते हैं और किसी काम को छोटा या बड़ा नही समझते।
टाइम मैनेजमेंट सीखते हैं
एक दिन में हर किसी के पास हज़ार काम होते हैं करने के लिए। ऐसे में सही योजना और टाइम मैनेजमेंट व काम की प्राथमिकता तय करना जरूरी है। घर के काम करने से बच्चे और टीनेजर्स जल्दी यह गुण सीख जाते हैं। स्कूल की पढ़ाई के बाद, घर के काम और फिर दोस्तों के साथ खेलने के लिए जिस तरह वह एक टाइम टेबल फॉलो करते हैं यह आदत उन्हें टाइम मैनेजमेंट सिखा देती है।
‘घर के काम तो सिर्फ औरतें ही करेंगी’ वाला नज़रिया बदलने और अपने बेटे/बेटी को ज़िम्मेदार व आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें घर का काम सिखाना जरूरी है। हां, उन्हें उम्र के हिसाब से काम सिखाएं।
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