“मुझे ऐसा महसूस होता था कि जैसे कि मैं दुनिया में अकेला इंसान हूं।” 
विराट कोहली के ये शब्द डिप्रेशन की कहानी बयान करने के लिए काफी है। 
दरअसल हाल ही में इंग्लैंड के पूर्व खिलाड़ी मार्क निकोल्स के साथ बातचीत में अपने डिप्रेशन में होने की बात कहकर विराट कोहली ने फैन्स को हैरान कर दिया। विराट ने माना कि 2014 के इंग्लैंड दौरे पर अपने खराब प्रदर्शन की वजह से वह डिप्रेशन का शिकार हो गए थे। इस इंटरव्यू में उन्होंने कहा, “आपको पता नहीं होता है कि इससे कैसे पार पाना है। यह वह दौर था जबकि मैं चीजों को बदलने के लिए कुछ नहीं कर सकता था।“ 
 लेकिन अच्छी बात ये थी कि विराट ने डिप्रेशन की इस समस्या को समझा और मदद लेकर बीमारी से न सिर्फ उबरे बल्कि मैदान में धमाकेदार वापसी भी की। विराट कोहली ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य बहुत ज़रुरी है। 
डिप्रेशन में रहे हैं ये सितारे
बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने भी डिप्रेशन के बारे में खुलकर बात की है। उन्होंने बताया कि अपनी मां की मदद से वह इससे उबरने में काययाब रही। उनकी मां ने डिप्रेशन के लक्षणों को समझकर तुरंत प्रोफेशनल की मदद ली और दीपिका को इस स्थिति से बाहर लाई। ठीक होने के बाद दीपिका ने डिप्रेशन से जूझ रहे लोगों की मदद के लिए लाइव लव लाफ फाउंडेशन नामक संस्था बनाई।
सदी के महानायक भी 90 के दशक में असफल फिल्मों के कारण डिप्रेशन में चले गए थे लेकिन इससे उबरकर उन्होंने फिर से सफलता के नए कीर्तिमान बनाए।
इरा खान
बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान की बेटी ईरा खान ने पिछले साल खुद के डिप्रेस्ड होने की बात स्वीकारी थी। उन्होंने सोशल मीडिया पर खुलकर कहा कि वह 4 सालों से क्लिनिकल डिप्रेशन से जूझ रहीं है, लेकिन प्रोफेशनल्स की मदद लेने के बाद पहले से अच्छा महसूस कर रही हैं।
इन मशहूर हस्तियों ने सिर्फ अपने डिप्रेशन को स्वीकारा, बल्कि उसके खिलाफ लड़ाई भी जीती है। यकीनन बहुत से लोगों को डिप्रेशन के खिलाफ लड़ने में और उससे बाहर आने में मदद करेगी।
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जब आपको घबराहट या मन अशांत लगे तो आप इन 5 आसान उपायों का अपना सकते हैं।
माइंडफुलनेस की प्रैक्टिस
डिप्रेशन का शिकार लोग हमेशा नकारात्मक विचारों से घिरे रहते हैं। इससे बचने के लिए ज़रूरी है माइंडफुलनेस का अभ्यास करना। माइंडफुलनेस का मतलब है वर्तमान में जीना, क्योंकि बीते कल और आने वाले कल की बेकार की चिंता आपका वर्तमान खराब कर सकती है।

सुकून देने वाला संगीत
जब कभी आप उदास हो या तनाव में हों, तो खुशनुमा म्यूज़िक यानी मन को खुश करने और सुकून देने वाला संगीत सुनें। इससे आपको पॉजिटिव महसूस होगा और मूड भी अच्छा रहेगा।
टच थेरेपी
विज्ञान के मुताबिक, टच थेरेपी यानी स्पर्श चिकित्सा डिप्रेशन से बाहर निकलने में मददगार हो सकती है, क्योंकि यह स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल को कम करके फील गुड हार्मोन ऑक्सिटोन को बढ़ाता है। ऐसी थेरेपी में शामिल है एक्यूपंक्चर, एक्यूप्रेशर, मसाज, रेकी और रिफ्लेक्सोलॉजी।
सोच की दिशा बदलें
डिप्रेशन में इसांन बहुत ज़्यादा सोचने लगता है, इस आदत पर अंकुश लगाना ज़रूरी है। इसके लिए आपके दिमाग में जब भी कोई फिजूल के विचार आए तो अपने आप को कहीं और व्यस्त कर लें, जैसे किताब पढ़ने लगे, कोई कॉमेडी वीडियो देखें, पज्जल खेलें या कोई भी अपना मनपसंद काम करने लगें, इससे नकारात्मक विचार खुद ब खुद दूर हो जाएंगे।
मेडिटेशन/योग
मेडिटेशन और योग करके डिप्रेशन से बाहर निकला जा सकता है। रोज़ कम से कम 10-15 मिनट मेडिटेशन करें और योग व कसरत के लिए नियमित रुप से समय निकालें। डिप्रेशन से उबरने के लिए अपनों का साथ और सहयोग तो ज़रूरी है ही, लेकिन उससे भी ज़्यादा ज़रूरी है पीड़ित का खुद अपनी नकारात्मक सोच को काबू करने की कोशिश करना।
इमेज : फेसबुक
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