वीडियो देखियेः कैसे बेटियों ने संभाली पिता की दुकान

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एक समय था, जब यह बात आसानी से किसी न किसी के मुंह से सुनी जा सकती थी कि यह काम लड़कियों के बस की बात नहीं।‘ लेकिन आज के दौर में सोसायटी ने ये मानने लगी है कि  लड़कियां न केवल हर लिहाज़ से लड़कों के बराबर हैं, बल्कि वो किसी भी काम को उन से बेहतर करने में सक्षम हैं। कुछ ऐसी ही उत्तर प्रदेश में कुशीनगर के बनवारी तोला गांव में रहने वाली दो बहनें, ज्योति और नेहा आसपास के लोगों के लिए मिसाल बन गई हैं। इन दोनों बहनों ने आमतौर पर आदमियों द्वारा किया जाने वाला नाई का काम अपनाकर न केवल अपने परिवार के बिज़नेस को संभाला है, बल्कि दुकान से कमाये गये पैसों से वो अपने पूरे परिवार का पेट पाल रही हैं।

देखिये उनका प्रेरणा देता वीडियोः

कैसे आई इस प्रोफेशन में

ज्योति(14 साल) और नेहा (12 साल) के पिता गांव में नाई की दुकान थी, जिससे परिवार का खर्चा चलता था। एक दिन अचानक पिता को पैरालेटिक अटैक आ गया, जिसके चलते उनको दुकान बंद करनी पड़ी। इससे घर में पैसों की तंगी हो गई। जब हालात काफी खराब हो गये, तो दोनों बहनों ने एक मुश्किल फैसला लिया। इस फैसले से उनका पूरा परिवार संभल गया। वो फैसला था, अपने पिता की नाई की दुकान को एक बार फिर से खोलना।

बचपन से आती थी दुकान

हालांकि ज्योति-नेहा बचपन से अपने पिता की दुकान पर आती रहती थी, लेकिन लोगों की कटिंग-शेविंग करने का ख्याल उन्हें सपने में भी नहीं आया था। काम सीखते हुये उन्हें बस यही डर था कि गांव के लोगों का रिएक्शन कैसा होगा। इस बात का भी हल निकल गया और दोनों बहनों ने लड़कों की तरह अपने बाल कटवा लिये और नाम बदलकर दीपक और राजू रख लिया।

काम सीखने में पिता के साथ-साथ उनके जीजा ने भी मदद की और दोनों बहनें दुकान के साथ-साथ स्कूल भी अटेंड कर पाईं। नेहा के मुताबिक, उनके माता-पिता के खुले दिमाग की वजह से ही यह संभव हो पाया है कि आज दोनों बहनें न केवल अपने गांव बल्कि आसपास के दूसरे गांवों में भी मशहूर हैं। वो हर दिन कम से कम चार सौ रुपये कमा लेती हैं।

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बेटियां घर की शान | इमेज: फाइल इमेज

लोग जानने लगे हैं असलियत

धीरे-धीरे लोगों को पता चलने लगा कि वो दोनों लड़कियां हैं। शुरू में लोगों को थोड़ा झटका ज़रूर लगा, लेकिन उनके काम, लगन और निष्ठा के आगे सारी बातें फीकी पड़ गईं।

नेहा और ज्योति का सपना है कि वह इस बिज़नेस को आगे बढ़ायें और खुद का एक यूनीसेक्स सैलॉन खोलें। उनके माता-पिता के लिये उनकी बेटियां कई बेटों से ज़्यादा हैं।

ThinkRight.me हिन्दी हमेशा ही ऐसे टैलेंट को सलाम करता है।

इमेज : गुड न्यूज़ नेटवर्क

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