तीन शब्दों- अनु, शास् और अन से मिलकर बने शब्द ‘अनुशासन’, यानी डिसिप्लीन का मतलब खुद पर शासन करना है। यानी, एक खास रूटीन और अपने ही बनाए हुए रूल्स के हिसाब से लाइफ पर कंट्रोल करना और उस रूटीन एवं रूल्स के अनुसार अपनी लाइफ को पॉज़िटिव डायरेक्शन देना ही ‘डिसिप्लीन’ है। यही वजह है कि डिसिप्लीन को सफलता का मंत्र भी कहा जाता है। किसी भी काम को बगैर डिसिप्लीन के अंजाम देने से उसका रिजल्ट हमेशा पॉज़िटिव नहीं मिलता है।
आजादी नहीं छीनता डिसिप्लीन
आमतौर पर माना जाता है कि डिसिप्लीन में बंधने से इंसान की आजादी खत्म हो जाती है। चूंकि, लगभग हर इंसान को रिजल्ट की परवाह किए बिना ही अपनी इच्छा के अनुसार काम करना पसंद है, इसलिए डिसिप्लीन का पालन करते समय कई बार सिचुएशन काफी टफ हो जाती है। सोचिए, क्या ट्रेन को पटरी से उतार देने पर वह आजाद हो जाती है? नहीं, क्योंकि ट्रेन डिरेल होते ही एक कदम भी नहीं चल पाएगी। इसी तरह अगर इंसान खुद ही अपना ट्रैफिक रूल्स बनाने लगे, तो फिर ट्रैफिक का क्या हाल होगा? क्या कोई भी शख्स सही तरीके से अपने डेस्टिनेशन पर पहुंच पाएगा? कभी नहीं। इसलिए डिसिप्लीन की जरूरत हर फील्ड में हर समय होती है।
मंजिल तक पहुंचाने का ज़रिया
यह सच है कि इंसान को जब किसी रूटीन और रूल का पालन करना पड़ता है, तो वह उसे एक ‘जेल’ जैसा लगता है। लेकिन, अगर वह मन को मारकर, रूटीन एवं रूल्स के हिसाब से काम करे, तो वही डिसिप्लीन उसे सक्सेस भी दिला देती है। हालांकि, इसमें एक्स्ट्रा मेहनत जरूर करनी पड़ती है, लेकिन मंजिल तक पहुंचने का यही एक सही और उचित रास्ता है। डिसिप्लीन से पेशेंस और समझदारी का विकास होता है। समय पर सही डिसिजन लेने की क्षमता बढ़ती है। इससे आपका स्किल डेवलप होता है, जो लीडरशिप क्वालिटी को जन्म देता है।
देश के डेवलपमेंट के लिए भी महत्वपूर्ण
डिसिप्लीन किसी देश के डेवलपमेंट एवं ग्रोथ के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि ‘डिसिप्लीन’ ही व्यक्ति को ‘इंसान’ बनाता है। ‘डिसिप्लीन’ इंसान के साथ-साथ सोसायटी और देश के लिए भी बेहद जरूरी है। अगर देश का हर नागरिक डिसिप्लीन में रहेगा, देश के बनाए रूल्स को फॉलो करेगा, उसके अनुसार अपना कर्त्तव्य करेगा, अपनी ज़िम्मेदारी को समझेगा, तो कहीं किसी प्रकार की गड़बड़ी या अशांति नहीं होगी। जबकि, रूल्स तोड़ने से ही समस्याएं पैदा होती हैं। इसीलिए बचपन से ही हमें डिसिप्लीन का पाठ पढ़ाया जाता है क्योंकि मानव जीवन की सक्सेस का एकमात्र मंत्र ‘डिसिप्लीन’ है।
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