सीमा कॉलेज पहुंची ही थी कि केशव को तेज़ी से क्लासरूम की ओर भागते हुये देखा। क्लास में पहुंचने पर केशव दुखी मन से बैठा हुआ था। पूछने पर केशव ने कहा कि लोग जो चाहते है, उन्हें वो मिल जाता है। लेकिन मुझे क्यों नहीं मिलता। तब सीमा ने उसकी समस्या को समझते हुए उसे धैर्य का मतलब, एक साधु की कहानी से समझाया।
एक साधु रोज़ घाट के किनारे बैठकर ”जो चाहोगे सो पाओगे” ऐसे ज़ोरों से चिल्लाता था। बहुत से लोग उस साधु के पास से गुज़रते, पर कोई भी उसकी बात पर ध्यान नहीं देता था। सब उसे एक पागल आदमी समझते थे।
एक दिन एक युवक वहां से गुज़रा और वह साधु की आवाज़ सुनकर उसके पास चला गया। उसने साधु से पूछा, “महाराज आप बोल रहे थे कि ‘जो चाहोगे सो पाओगे’, तो क्या आप मुझे वो दे सकते हैं, जो मैं चाहता हूं?”
साधु उसकी बात को सुनकर बोला, “हां बेटा तुम जो कुछ भी चाहते हो, मैं उसे ज़रुर दूंगा, बस तुम्हें मेरी बात माननी होगी। लेकिन पहले ये तो बताओ कि तुम्हें आखिर क्या चाहिये?”
युवक बोला, ” मेरी एक ही ख्वाहिश है कि मैं हीरे का बहुत बड़ा व्यापारी बनूं। “
साधु ने अपना हाथ आदमी की हथेली पर रखते हुए कहा, ” बेटा, मैं तुम्हें दुनिया का सबसे अनमोल हीरा दे रहा हूं, लोग इसे ‘समय’ कहते हैं। इसे तेज़ी से अपनी मुट्ठी में पकड़ लो और कभी मत गंवाना, तुम इससे जितने चाहो, उतने हीरे बना सकते हो।“
दूसरी हथेली को पकड़ते हुये साधु ने बोला, ” इसे पकड़ो, यह दुनिया का सबसे कीमती मोती है, लोग इसे “धैर्य” कहते हैं। जब कभी समय देने के बावजूद रिजल्ट अच्छा ना मिलें, तो इस कीमती मोती को धारण कर लेना। याद रखना जिसके पास यह मोती है, वह दुनिया में कुछ भी हासिल कर सकता है।
समझदारी से काम लें
युवक साधु की बातों को बड़े ही ध्यान से सुनकर यह फैसला करता है कि आज से वह कभी अपना समय बेकार की चीज़ों में नहीं लगायेगा और हमेशा धैर्य से काम लेगा। यह सबक लेकर उसने हीरे के बहुत बड़े व्यापारी के यहां काम शुरू किया। अपनी मेहनत और ईमानदारी से वह युवक हीरे का बड़ा व्यापारी बनकर अपने सपनों को पूरा करता है।
‘समय’ और ‘धैर्य’ वह दो हीरे-मोती हैं, जिनके बल पर युवक ने अपने लक्ष्य को प्राप्त किया। इसलिये अपने कीमती समय को बर्बाद ना करें और मंज़िल तक पहुंचने के लिये धैर्य से काम लें।
यह सुनकर केशव को समझ आ गया कि जीवन में सफल होने के लिये समय के साथ धैर्य का होना भी बहुत महत्वपूर्ण है।
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