रिश्तों में ईर्ष्या को आने से रोकने के 4 उपाय

रिश्तों में ईर्ष्या को आने से रोकने के 4 उपाय

रिश्तों में ईर्ष्या खत्म हो सकती है लेकिन आपसी प्यार नहीं
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हर रिश्ते में थोडी बहुत नोंक-झोंक और जलन होना स्वाभाविक है। आखिरकार ईर्ष्या मानव स्वभाव का ही एक हिस्सा है। लेकिन जब जलन अपनी हद पार देती है, तो न सिर्फ परेशानी का सबब बन जाती है बल्कि कभी-कभी रिश्तों में दरार डाल देती है। इसके कारण इंसान न सिर्फ खुद को बल्कि सामने वाले व्यक्ति को भी शारीरिक व मानसिक रूप से कष्ट पहुंचाता है। इसलिए ज़रूरी है कि आप अपने रिश्ते को बिगाड़ने से पहले ही संभाल लें।

जाने क्या है कारण?

कोई भी रिश्ता तब मज़बूत होता है, जब लोग एक-दूसरे से ईर्ष्या नहीं करते। रिश्ते में ईर्ष्या अक्सर अस्वीकृति, असुरक्षा, नेगेटिव सोच आदि के डर से होती है। फिर यही जलन गुस्से या बदले की भावना का रूप ले लेती है। एक-दूसरे को चोट पहुंचाने या दोष देने लगते हैं। ऐसा करने के बजाय, अगर उन बातों पर ध्यान दे जिसके कारण ईर्ष्या होती है, तो रिश्तों में यह भावना ही नहीं पनपेगी। एक बार जब यह स्वीकार करने लगते हैं कि हम ईर्ष्या में है या असुरक्षित हैं और फिर कारण जानने कोशिश करते है, तो ईर्ष्या की भावना को रोकने में मदद मिलती है।

अपना नजरिया बदलें

सबसे पहले यह जानना बेहद ज़रूरी है कि कोई भी चीज़ या भाव अच्छा बुरा नहीं होता। हमारी सोच ही उसे अच्छा या बुरा बनाती है। भाई-बहन की तारीफ या सहकर्मी की तरक्की से जलने की बजाय यह सोचें कि उसमें ऐसा क्या खास है या उसने ऐसा क्या किया है, जिससे वह प्रशंसा का पात्र बना है। जब हमें जवाब मिल जाएगा, तो हम खुद को भी बेहतर बनाने की कोशिश करेंगे।

रिश्तोंं में अनबन
रिश्ते में ईर्ष्या अक्सर अस्वीकृति, असुरक्षा, नेगेटिव सोच आदि का डर है | इमेज : फाइल इमेज

मेडिटेशन या योग करें

जीवन में बहुत से ऐसे अवसर आते हैं जब हमारे स्वभाव में बदलाव होता है। ये बदलाव आने का कारण कोई व्यक्ति, वस्तु या कोई परिस्थिति भी हो सकती है। रिश्तों में ये बदलाव स्वभाविक है, लेकिन ध्यान रहे कि कोई विचार हो या भावना, जब तक हम पर वे हावी न हों, तभी तक ठीक है। 

जिस पल से ये हमारा जीवन नियंत्रण करने लगे, तभी से मन की शांति का विनाश शुरू होने लगता है। मेडिटेशन मन को स्थिर रखने और किसी भी भाव को खुद पर हावी होने से रोकने का सबसे बेहतरीन उपाय है। अगर रोज़ाना नियमित रूप से मेडिटेशन या योग किया जाए, तो मन ही नहीं तन को भी अनेकों फायदे हो सकते हैं। 

आपस में तुलना करना छोड़े

ईर्ष्या और जलन का मूल कारण तुलना करना है। जब तक हम खुद की तुलना दूसरों से करना नहीं छोड़ देते, तब तक जलन जैसी भावना से निजात नहीं पा सकते। अगर हम दूसरों से तुलना करना बंद कर दे, तो कितनी हद तक ईर्ष्या और जलन को कोई कारण नहीं मिलेगा।

मन की बात शेयर करें 

मन में कोई बात है जिससे मन भारी हो रहा हो, तो उस बात को दिमाग से बाहर निकालने के लिए किसी के साथ शेयर कर लेना चहिए। फिर चाहे वह दोस्त, साथी या फिर कोई परिवार का अन्य सदस्य हो। ऐसा करने से मन को बहुत सुकून मिलता है। ऐसा लगता है कि इस समस्या को दूर करने में हमारा साथ देने या सहारा बनने के लिए कोई है।

रिश्ता चाहे जो भी हो उसे ईर्ष्या से नहीँ बल्कि प्रेम से संजोए।

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