अल्बर्ट आइंस्टीन कहते हैं, “हमने जो दुनिया चुनी है वह हमारी सोच का परिणाम है, इसलिए अगर दुनिया बदलनी है तो सोचने का तरीका बदलो”। कुछ लोगों को आइंस्टीन की यह बात कोरी नैतिकता की तरह लग सकती है। लेकिन गहराई से सोचा जाए, तो वह परोक्ष रूप से मेडिटेशन करने की प्रेरणा दे रहे हैं। क्योंकि मेडिटेशन ही एक ऐसी चीज़ है, जिसके ज़रिए स्वयं को सबसे बेहतर तरीके से जाना जा सकता है। आइंस्टीन खुद प्रातःकाल मेडिटेशन को ज़रूरी मानते थे। तो आइए जानते हैं कि मेडिटेशन सुबह करना सबसे बेहतर क्यों?
पूरे दिन की रूपरेखा तय होती है
आप खुद सोचिये अगर आप सुबह मेडिटेशन नहीं करते हैं तो क्या सच में किसी और समय मेडिटेशन कर पाते हैं? शायद नहीं!! इसके कई कारण हैं जैसे दिन के वक्त ऑफिस में काम का बोझ, रात में पूरे दिन की थकावट के कारण शरीर मे ऊर्जा की कमी आदि। इस तरह सुबह का समय ही मेडिटेशन के लिए सही जान पड़ता है। क्योंकि इस समय मेडिटेशन से शरीर में पॉजिटिव ऊर्जा का विकास होता है और दिन को टोनअप करने में मदद मिलती है।
दिमाग की एकाग्रता बढ़ती है
माइंडफुलनेस मेडिटेशन में दिमाग को 2 भागों में बांटा जाता है- 1. मंकी माइंड (विचारों की भीड़ से भरा बंदर की तरह उछल-कूद मचाने वाला दिमाग, 2. ऑक्स माइंड (यानी शांति से धीरे-धीरे बैल की तरह चलने वाला दिमाग)। अगर आप सुबह मेडिटेशन अपनाते हैं तो मंकी माइंड से ऑक्स माइंड की तरफ बढ़ने लगते हैं क्योंकि सुबह के समय विचारों में लचीलापन रहता है।
समय की सही तस्वीर देखने में मदद मिलती है
समय कितनी तेजी से निकल रहा है, इसका आभास आपको कभी न कभी ज़रूर होता होगा, लेकिन हम में से अधिकतर लोग वर्तमान में इतना खोये रहते हैं कि यह देखना भी नहीं चाहते कि हमने क्या खोया और क्या पाया। मेडिटेशन आपके सामने जीवन की सही तस्वीर पेश करता है। खासकर आप मेडिटेशन सुबह किसी खुले स्थान में करते हैं, तो आध्यात्मिकता का विकास होता है और जीवन जीने का नया नज़रिया देखने को मिलता है।
हर तरह से बेहतर होता है जीवन
सुबह का समय शुद्ध वायु, साफ विचारों और एकांतता के अनुभव के लिए जाना जाता है। अगर आप सुबह मेडिटेशन करते हैं तो यह हर तरीके से आपके जीवन में पॉज़िटिविटी को फैलाता है। इस तरह सुबह का मेडिटेशन शारीरिक, मानसिक, आत्मिक, दैविक, तात्विक और हर तरह की परेशानियों का इलाज है।
कैसे करें शुरूआत?
क्या आप जानते हैं, आपके अवचेतन मन में इतनी शक्ति होती है कि अगर आप कई दिन से भी न सोये हों, तो भी अगर आप सोच लें कि आपको 5 बजे उठना है तो आप उठ जाएंगे। अपनी इसी शक्ति को पहचानकर आपको खुद को मेडिटेशन के लिए तैयार करना है। कुछ दिन खुद को जबरन मेडिटेशन कराने से आपको आदत लग जायेगी और एक समय ऐसा भी आएगा जब मेडिटेशन आपकी दिनचर्या का हिस्सा होगा। हालांकि खुद पर दबाव बनाने के लिए कुछ साधन जैसे अलार्म का उपयोग, पेरेंट्स की मदद आदि ले सकते हैं।
कौन सी मेडिटेशन करें?
आप अपनी जरूरतों के हिसाब से मेडिटेशन और आसन चुन सकते हैं। सामान्यतः शुरुआत में आप बौद्ध धर्म में प्रचलित ध्यान-ज्ञान मुद्रा, विपश्यना पद्धति, लाफिंग योगा, ओम उच्चारण के साथ मैडिटेशन आदि चुन सकते हैं।
दुनिया की हर संस्कृति में सुबह के समय को विशेष महत्व दिया जाता है, क्योंकि कहा जाता है दिन की शुरुआत अच्छी हुई तो अंत भी अच्छा ही होगा। मेडिटेशन बेहतर दिन को पाने का सबसे अच्छा साधन है इसलिए सुबह मेडिटेशन ज़रूर अपनायें।
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