हर व्यक्ति अपने काम को बखूबी से करने की कोशिश करता है। लेकिन कभी-कभी ऐसा होने लगता है कि एक के बाद एक गलती होने लगती है। हम बिना ये सोचे कि गलती क्यों हो रही है और क्या कारण है, लगातार बिना रूके काम करते रहते हैं। दरअसल तब हमारे जीवन में लगातार सिर्फ काम में लगे रहने के कारण काम करने की क्षमता भी कम होने लगती है। इसलिये काम से कुछ समय का ब्रेक लेना बहुत ज़रूरी है।
कुछ ऐसे ही संकेत जो काम के बीच में आराम करने की सलाह देते हैं-
काम में मन न लगना
इस समय में हर व्यक्ति वर्क फ्रॉम होम कर रहा है। घर से काम करने के साथ कई और ज़िम्मेदारियों में भी व्यस्त है। काम और घर के बीच संतुलन बनाने के कारण दिमाग शांत नहीं रहता। काम के बीच घर के काम पूरे करना या फिर लगातार बच्चों का डिस्टर्ब करने से दिमाग एक जगह काम पर फोकस नहीं कर पाता। लगातार ऐसा होने पर ऑफिस के काम में मन लगना बंद हो जाता है और फिर शुरू होता है गलतियां करने का सिलसिला। जब ऐसा हो, तो सबसे पहले सभी कामों से खुद को अलग कर लें। दिमाग को शांत करने के लिए छुट्टी लेकर घूम आएं।
ज़्यादा बीमार होना
कई लोग ऐसे होते हैं, जो काम के आगे खुद पर ध्यान नहीं देते। काम को पूरा करने के चक्कर में खाने-पीने और आराम करने के लिए खुद को सही समय नहीं देते हैं। नतीजा यह निकलता है कि काम के समय खुद को थका हुआ, कमजोर और बीमार महसूस करते हैं। जब भी ऐसा महसूस हो, तो ऑफिस से छुट्टी लेकर कुछ दिनों तक आराम करें। अपनी सेहत का पूरा ध्यान रखें और रोज़ाना कसरत करें।
भावनात्मक कमजोरी
लगातार काम करते रहने से लोग खुद को भावनात्मक रूप से कमज़ोर समझने लगते हैं। वह छोटी-छोटी बातों की टेंशन लेने लगते हैं। दूसरों के कुछ कहने पर खुद को कम आंकने लगते हैं। अगर कोई काम समय पर नहीं हो पाता है, तो चिड़चिड़ाहट होने लगता है। क्योंकि उन्हें अपनी भावनाओं पर कोई नियंत्रण नहीं रहता। जिस चीज़ को वे आसानी से सुलझा सकते हैं उसके लिए भी तनाव लेने लगते हैं। ऐसे समय में मानसिक आराम और खुद को समय देने की ज़रूरत है। परिवार के साथ समय बिताएं और अपने भावनाओं को दोस्तों या परिवार के साथ शेयर करें।
उत्साह की कमी
जीवन में कुछ करने या आगे बढने के लिए उत्साह होना चाहिए जिससे जीवन खुशहाल हो। बिना उत्साह के एक साधारण काम भी मुश्किल हो जाता है जब व्यक्ति इसे आधे अधूरे मन से करता है। लगातार कई हफ्तों या महीनों से काम करते रहने से उत्साह कम होने लगता है और लक्ष्य दूर हो जाता है। काम में उत्साह लाना तभी संभव है, जब व्यक्ति काम से ब्रेक लेता है। ब्रेक से लौटने के बाद व्यक्ति में न सिर्फ उत्साह से काम करने की क्षमता, बल्कि काम करने की तीव्रता बढ़ती है।
मन में भरी है नेगेटिव सोच
नेगेटिव विचार व्यक्ति के मानसिक और शारारिक स्वास्थ्य का दुश्मन है। जब व्यक्ति का दिमाग थका और मन अशांत होता है तभी नेगेटिव विचारों का जन्म होता है। दिमाग को शांत रखने के लिए जरूरी है कुछ न सोचे, न करें। खुद को समय दें मेडिटेशन करें। कुछ समय सिर्फ शांत बेठे। ‘नेगेटिव सोच’ खुद ही चली जाएगी।
ये ब्रेक्स जीवन में आगे के लिए नयी-नयी योजनाओं को बनाने का सही मौका देते हैं। यह काम के भार से हल्का और जीवन में संतुष्टि महसूस कराते हैं। यही कारण है कि खुद को तारो-ताज़ा करने के लिए और अपनी व्यक्तिगत ज़िंदगी को समय देने के लिए काम से ब्रेक लेनी की ज़रूरत है।
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