भारत में खेलों को चरित्र निर्माण का अनूठा साधन माना जाता है। यहां प्राचीन समय से ही अलग- अलग उम्र में अलग- अलग तरह के खेल प्रचलित रहे हैं। जैसे- नवयुवकों में कब्बडी, कुश्ती, जंगल की प्रतियोगिताएं तो वयस्क लोगों में चौसर, शतरंज, पहेलियां आदि खेल। इसलिए आज भी हमारी संस्कृति में पढ़ाई के साथ खेलों को खूब महत्व दिया जाता हैं।
लेकिन बदलते डिजिटलाइजेशन का इन खेलों पर भी प्रभाव पड़ा है, पहले जहां दिमाग की कसरत से जुड़े दो-चार खेल ही खेलने को मिलते थे, अब इंटरनेट के कारण ऐसे खेलों की भरमार है। आज हम आपको ऐसे ही कुछ खेलों के बारे में बताने जा रहे हैं-
स्क्रैबल (Scramble)
यह एक रोचक और परम्परागत खेल है, जो 1948 से अब तक लोकप्रिय है। इस खेल से आपकी नए शब्दों के सीखने की क्षमता पर विकसित होती है और याददाश्त में सुधार होता है।
सगरदा (sagarda)
यह दिमागी कसरत के लिए एक डाइस प्लेसमेंट गेम है। यह भी एक काफी मजेदार खेल है।
रुम्मिकुब (Rummikub)
रणनीति की सीख देने वाला और रमी स्टाइल में खेला जाने वाला यह एक आसान खेल है। अगर आप निरंतरता, पैटर्न का रखरखाव और प्लानिंग सीखना चाहते हैं तो ये खेल ज़रूर खेलें।
जिगसॉ पजल (Jigsaw puzzle)
सम्पूर्ण दिमाग की कसरत के लिहाज से पजल एक महत्वपूर्ण खेल है क्योंकि इस खेल में आपकी लॉजिक करने क्षमता, आपकी क्रिएटिविटी का भरपूर इस्तेमाल होता है।
रूबिक क्यूब (Rubik cube)
रूबिक क्यूब को पजल की दुनिया में सबसे ज्यादा खेला जाने वाला खेल माना जाता है। इसका कारण है इसे बड़ी आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है और कभी भी खेला जा सकता है।
सुडोकु (Sudoku)
नंबर सिस्टम पर आधारित यह लोकप्रिय पजल है। इसे खेलने से दिमाग की आलोचनात्मक मूल्यांकन की क्षमता सुधरती है और फोकस में सुधार होता है।
शतरंज (Chess)
ओलिंपिक खेलों का हिस्सा बन चुका यह खेल लगभग हर कोई खेलता है। 2019 की एक रिसर्च के मुताबिक चेस खेलने से आपकी संज्ञानात्मकता में वृद्धि होती है और साथ ही याददाश्त में सुधार होता है।
कैसे चुनें कि कौन सा गेम है आपके लिए बेहतर–
कोई खेल आपके लिए सही है या नहीं, या फिर असली है या नहीं, यह काफी महत्वपूर्ण विषय है। क्योंकि इंटरनेट पर ऐसे कई सारे गेम है जो फेक नामों का उपयोग करते हैं। इसलिए सही जानकारी के लिए आप ये दो तरीके आज़मा सकते हैं-
- एक्सपर्ट की राय लें। इसके लिए आप यूट्यूब, खेल मैगज़ीन आदि का सहारा ले सकते हैं।
- उपभोक्ताओं के रिव्यु और फीडबैक को ज़रूर देखें।
खेलों का अपना एक मज़ा होता है। आज भी बहुत सारे लोग खेलों को समय की बर्बादी समझते हैं लेकिन सच्चाई इससे इतर है। सच्चाई तो ये है कि ये खेल ही हैं जो हमारे वास्तविक व्यक्तित्त्व का निर्माण करते हैं। इसलिए पॉज़िटिव जीवन के लिए ऐसी दिनचर्या बनाएं, जिसमें खेल का समय ज़रूर हो।
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