ग्लोबल वार्मिंग पूरी दुनिया के सामने इस समय सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है और छोटे बच्चों को भी क्लाइमेट चेंज के खतरनाक परिणाम समझ आने लगे हैं, तभी तो मणिपुर की 8 विश्व नेताओं से अपील कर रही है कि इस दिशा में कुछ कदम उठाएं।
मणिपुर की लिसेप्रिया कंगुजम मात्र 8 साल की हैं। 2018 से अब तक वह बदलते पर्यावरण के मुद्दे पर 21 देशों में बोल चुकी हैं। जलवायु परिवर्तन के खिलाफ अपनी इस लड़ाई के तहत कंगुजम ने विश्व नेताओं से अपील की है कि इस दिशा में कुछ कदम उठाएं ताकि धरती और बच्चों का भविष्य सुरक्षित किया जा सके।
जानिए लिसेप्रिया से जुड़े दिलचस्प फैक्ट्स
- लिसेप्रिया ने जलवायु परिवर्तन और आपदा जोखिम के खतरे को कम करने के खिलाफ सबसे पहले 7 साल की उम्र में ही आवाज़ उठाई थी। उनके मुताबिक, “मैंने पहली बार यूएन के एक कार्यक्रम में मंगोलिया में 4 जुलाई 2018 को विश्व नेताओं के सामने आवाज़ उठाई थी।”
- कंगुजम भारतीय संसद के सामने भी प्रदर्शन कर चुकी हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों से क्लाइमेट चेंज कानून को भारत में लागू करने की विनती की थी।

3. 2019 में वह अंगोला गई थी, जहां उन्होंने क्लाइमेट स्ट्राइक शुरू की। स्ट्राइक लुआंडा शहर में हुई, जहां बच्चों और युवाओं ने इसमें हिस्सा लिया था।
4. क्लाइमेट चेंज के मुद्दे को कंगुजम यूनेस्को पार्टनर्स फोरम 2019 में भी उठा चुकी हैं। उनके साथ अन्य एक्टिविट्स भी थे।
5. अक्टूबर 2019 में लिसेप्रिया ने इंडिया गेट के सामने मार्च किया और हजारों फोलोअर्स ने उनका साथ भी दिया। लिसेप्रिया और उनके फॉलोअर्स ने क्लाइमेंट चेंज के खिलाफ तुरंत एक्शन लेने और क्लाइमेट कानून को भारत में लागू करने की मांग की। उन्होंने कहा था, “ हम मार्च कर रहे हैं ताकि विश्व नेता जल्द से जल्द जलवायु परिवर्तन कानून को लागू करें।”
6. एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा था, “अब तक सिर्फ 5 देशों न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, यूके, मेक्सिको और पेरू में अपना जलवायु परिवर्तन कानून हैं।” आगे वह कहती हैं, “हम विश्व नेताओं से अपील करते है कि वह जल्द से जल्द अपने देश मे ऐसा कानून लाएं ताकि ग्रीन हाउस कैसों के उत्सर्जन को कंट्रोल करके धरती को बचाया जा सके।”
7. लिसेप्रिया ने COP25 में भी शिरकत की थी, जहां वह सबसे युवा स्पीकर थी।
8. एक्टिविट्स ग्रेटा थुनबर्ग, लुइसा न्युबॉएर, इसाबेल एक्सेलसन और लौकिना टील के साथ मिलकर लिसेप्रिया ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम 2020 में हिस्सा लेने वालों को एक लेटर लिखा। लेटर में अपील की गई कि कंपनी, बैंक और सरकारों को जीवाश्म ईंधन पर दी जाने वाली सब्सिडी तुरंत बंद कर देनी चाहिए।
9. हर हफ्ते संसद के सामने विरोध प्रदर्शन के लिए लिसेप्रिया स्कूल छोड़ देती हैं। उन्होंन ‘चाइल्ड मूवमेंट’ नामक एक आंदोलन शुरू किया है।
इतनी छोटी उम्र में जिस तरह से यह बच्ची पर्यावरण बचाने की मुहिम में जुटी है, वह हम सबके लिए एक प्रेरणा है।
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