9 साल की उम्र से गरीब बच्चों को दे रहे हैं मुफ्त शिक्षा

9 साल की उम्र से गरीब बच्चों को दे रहे हैं मुफ्त शिक्षा

दुनिया के सबसे युवा हेडमास्टर है बाबर अली
FacebookTwitterLinkedInCopy Link

दिल में कुछ करने की चाह हो, तो मुश्किलें कभी रोक नहीं सकती, रास्ते खुद बनते जाते हैं।‘

यह कहावत बाबर अली पर बिलकुल सटीक बैठती है, जिसने अपने हम उम्र बच्चों के लिए कुछ करने की ठानी है। 9 साल की छोटी-सी उम्र में अपने दोस्तों के लिए दिल से एक आवाज़ निकली थी, जिसे पूरा करने के लिए बाबर ने जो एक कदम आगे बढ़ाया, उसके बाद वह कदम कभी रूके नहीं।

कौन है बाबर अली?

बाबर अली पश्चिम बंगाल के मुर्शीदाबाद के रहने वाले हैं। दुनिया के सबसे कम उम्र के स्कूल प्रिंसिपल हैं। जब वह 9 साल के थे, कोलकाता से 200 किलोमीटर दूर बेलडांगा शहर के एक सरकारी स्कूल में 5वीं में पढ़ते थें। तब स्कूल से लौटते समय अपनी ही उम्र के बच्चों को खेतो में काम करते देखा था। अगले दिन भी उन्हीं बच्चों को कूड़ा-करकट बीनकर अपने माता-पिता की मदद करते देखा। बाबर इस बात से दुखी था कि ये बच्चे गरीबी के कारण स्कूल नहीं जा पाते। तब बाबर के मन में उनके लिए कुछ करने का विचार आया। उन्होंने अपनी पढ़ाई का कुछ हिस्सा उनके साथ शेयर करने का फैसला लिया।

घर का आंगन बना स्कूल

छोटी-सी उम्र में बाबर अली ने अपने घर के पीछे के आंगन में आठ गरीब बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। बाबर क्लास खत्म होने के बाद अपने स्कूल से चॉक के टूटे हुए टुकड़ों को घर ले जाते और ब्लैकबोर्ड बनाने के लिए घर पर टेराकोटा टाइलों का उपयोग किया। बाबर जो स्कूल में पढ़ते, वही इन बच्चों के साथ शेयर करते। इस काम में बाबर के माता-पिता ने भी मदद की।

स्कूल को मिली मान्यता

बाबर ने अपनी पढ़ाई के साथ-साथ पूरे दिल से बच्चों को पढ़ाना जारी रखा। उस समय 8 बच्चे पढ़ने आते थे, धीरे-धीरे आंगन में बच्चों की संख्या बढ़ती चली गई। तब बाबर ने अपने इस संस्था को ‘आनंद शिक्षा निकेतन’ का नाम दिया। स्कूल के शिक्षकों और गांव के लोगों की मदद से बच्चों को पढ़ने लिखने की जरूरी चीज़ें मुहैया कराया जाता था। साल 2002 में जिला अधिकारियों से भी इस काम में सहयोग मिलता रहा। साल 2002 में इस संस्थान को पश्चिम बंगाल विद्यालय शिक्षा विभाग से निजी स्कूल के तौर पर मान्यता मिली। इस स्कूल में कक्षा 1 से 8 तक बच्चों को पढ़ाया जाता है, जिसमें 800 से ज्यादा बच्चे है और 10 शिक्षक है।

सफलता

बाबर ने कल्याणी विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में एम.ए. की डिग्री हासिल की है और वह इतिहास में भी एम.ए. किया है। आज बाबर का नाम शिक्षक जगत में बड़े सम्मान से लिया जाता है। बाबर के स्कूल में 3 हजार से ज़्यादा गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा मिल रही है। 17 साल की उम्र में बाबर अली दुनिया के सबसे कम उम्र के हेडमास्टर बने, जो बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं और गरीब बच्चों को शिक्षा देना का नेक काम कर रहें।

सलाम है बाबर अली के इस दृढ़ संकल्प को, जो किसी के भविष्य को बना रहे है।

इमेज : फेसबुक

और भी पढ़िये : जीवन में दें कोशिश करने की प्रेरणा – 10 पॉज़िटिव विचार

अब आप हमारे साथ फेसबुक, इंस्टाग्राम और  टेलीग्राम  पर भी जुड़िये।

Your best version of YOU is just a click away.

Download now!

Scan and download the app

Get To Know Our Masters

Let industry experts and world-renowned masters guide you towards a meditation and yoga practice that will change your life.

Begin your Journey with ThinkRight.Me

  • Learn From Masters

  • Sound Library

  • Journal

  • Courses

Congratulations!
You are one step closer to a happy workplace.
We will be in touch shortly.