भारत सरकार एक बेहतरीन प्रॉजेक्ट ‘डिजी यात्रा’ की शुरुआत करने जा रही है, जिसकी वजह से अंतरराज्यीय हवाई सफर अब और भी आसान हो जायेगा। इस प्रॉजेक्ट के लागू होने से यात्री पेपरलेस टैवल कर सकेंगे और यात्रियों कि सहूलियत के साथ-साथ इसका असर सीधे तौर पर न सही, लेकिन वातावरण पर भी पड़ेगा।
क्या है डिजी यात्रा?
इस प्रॉजेक्ट के अंतर्गत यात्रियों के एक यूनिक डिजी यात्रा (डीवाय) आईडी नंबर एविएशन मिनिस्ट्री के पोर्टल से जनरेट करवाना होगा। पहली बार यात्री को एयरपोर्ट पर फिज़िकल वेरीफिकेशन करवाना होगा, इसके बाद अगली बार से टिकट बुक करवाते समय उसे बस यह नंबर देना होगा और फिर वह स्मार्ट एयरपोर्ट पर बायोमेट्रिक वेरीफिकेशन के ज़रिए पेपरलेस ट्रैवल कर पाएगा। हालांकि अंतरराष्ट्रीय यात्रा पूरी तरह से पेपरलेस नहीं की जा सकेगी, क्योंकि पासपोर्ट को चेक-इन और इमीग्रेशन जैसी कई जगह पर दिखाना पड़ता है।
कहां से होगी शुरुआत?
यह पेपरलेस ट्रैवल करने की चाह रखने वाले यात्रियों के लिए एक वॉलेंट्री शुरुआत होगी और बाकी यात्री सामान्य प्रक्रिया का पालन कर सकेंगे। सबसे पहले इसे हैदराबाद और बैंगलोर जैसे टेक-सेवी एयरपोर्ट्स पर लागू किया जायेगा। इसके कुछ ही महीने बाद इसकी शुरुआत वाराणसी, कोलकाता, पुणे और विजयवाड़ा में होगी।
कैसी होगी प्रक्रिया?
एयरलाइंस डीवाय आईडी समेत अपने पैसेंजर्स की डीटेल्स एयरपोर्ट ऑपरेटर्स के साथ फ्लाइट के छह घंटे पहले शेयर करेगी। इस इंफॉर्मेशन को एक सिक्योर्ड लिंक के माध्यम से भेजा जायेगा, जिसके लिए दोनों पार्टियों को एक डेटा शेयरिंग अग्रीमेंट साइन करना होगा। जब एक पैसेंजर बायोमेट्रिक्स के ज़रिए वेरिफिकेशन करवायेगा, तो उसके ट्रैवल की सारी डीटेल्स ई-गेट्स पर पता की जा सकेंगी। इसके बाद वह आसानी से एयरपोर्ट में एंट्री कर सकेगा।
इस कदम से वातावरण भी मुस्कुरायेगा
हर दिन देश में लाखों यात्री हवाई यात्रा करते हैं। अगर इस कदम ने बड़े पैमाने पर कामयाबी हासिल कर ली, तो पेपर के इस्तेमाल में काफी कमी लाई जा सकेगी। आप तो जानते ही होंगे की पेपर बनाने के लिए हर साल हज़ारों पेड़ काट दिए जाते हैं, तो उन्हें काटने से बचाया जा सकेगा। पेड़ होंगे, तो वातावरण को प्रदूषण से बचाया जा सकेगा। इस लिहाज़ से यह कदम अप्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद होगा।
जाली टिकट एंट्री पर कसेगी लगाम
लोग अपने प्रियजनों को छोड़ने के लिए जब एयरपोर्ट आते हैं, तो कई बार वह यूज़्ड टिकट के ज़रिए एयरपोर्ट के अंदर एंट्री करने में सफल हो जाते हैं। इस कदम से उन लोगों को आसानी से पहचान कर अंदर जाने से रोका जा सकेगा। साथ ही यह बायोमेट्रिक सिस्टम फ्लाइट डिपार्चर के कुछ समय पहले यात्रियों को दूसरे प्वाइंट्स पर एंटर करने देगा, जिससे भीड़भाड़ वाले एयरपोर्ट्स पर कंजेसशन कम की जा सके।
और भी पढ़े: सफल लोगों में होती है खास आदतें
ThinkRight.me, आपका इमोशनल फिटनेस एप, अब जिसे आप डाउनलोड भी कर सकते है और फेसबुक पर भी हमारे साथ जुड़िए।