अगर आप ये सोचते हैं कि खाना सिर्फ शरीर को सेहतमंद रखता है, तो आप गलत है क्योंकि खाने का सीधा संबंध आपके मानसिक स्वास्थ्य से भी है। कहते भी तो है कि ‘किसी भी इंसान के मन का रास्ता उसके पेट से होकर गुजरता है, यानी भोजन हर तरह से व्यक्ति की मनोदशाओं और भावनाओं पर प्रभाव डालता है।
खाने और मूड के बीच संबंध
हमारे शरीर के रासायनिक पदार्थ, हार्मोन्स एवं न्यूरोट्रांसमिटर्स यह सब तय करते हैं कि हम दिनभर कैसा महसूस करते हैं। हार्मोन्स हमारे पूरे शरीर पर प्रभाव डालते हैं। जब हम अपने मानसिक स्वास्थ्य यानी मेंटल हेल्थ की बात करते हैं, तो तीन मुख्य न्यूरोट्रांसमीटर्स की महत्वपूर्ण भूमिका होती है- सेरोटोनिन, एंडोर्फिन और डोपामाइन।
सेरोटोनिन मूड बूस्टर का काम करता है और मस्तिष्क को रिलेक्स रखता है। इसे हैप्पी हार्मोन के नाम से भी जाना जाता है। डोपामाइन प्लेज़र हार्मोन्स का काम करता है और एंडोर्फिन हमें खुश रखकर चिड़चिड़ेपन व डिप्रेशन से बचाने में मदद करता है।
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स्वस्थ आहार लें
अपनी डाइट में साबुत अनाज, दालें, दूध एवं उससे बने पदार्थ, ताजे फल और सब्जियां खासतौर से मौसमी फलों व सब्जियों को शामिल करें। इसके अलावा सूखे मेवे जैसे अखरोट, बादाम, मूंगफली, कद्दू के बीज, सूरजमुखी के बीज आदि का सेवन करना चाहिए।
डार्क चॉकलेट भी मूड और ब्रेन को रिलेक्स करने मे मदद करती है, लेकिन इसे सीमित मात्रा में लेना चाहिए।
आदतों में सुधार लाएं
जब भी मन हो, तब खाना खाने की आदत गलत है।
– खाना खाने का समय बनाएं और उसका पालन करें।
– दिनभर पानी या तरल पदार्थ जैसे कि नारियल पानी, ताजे फलों का जूस इत्यादि ज़रूर लें।
– खाना खाते समय मोबाइल और टीवी न देखें।
– हो सके तो परिवार के साथ बैठकर खाना खाएं।
– अच्छी और पॉज़िटिव बातें करें।
– शांत मन से भोजन करें।
ये तो कहा जाता है कि जैसा अन्न वैसा मन, इसलिए भोजन पौष्टिक और सेहतमंद होना चाहिए तभी मन भी खुश रहेगा।
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