आपने कभी न कभी यह तो सुना ही होगा कि हम एक समाज में रहते हैं, जिसके अपने नियम और कायदे होते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि नियम-कायदों के अलावा कुछ चीजें और भी हैं जिससे समाज चलता है। वह है प्यार और एक एक दूसरे को स्वीकार करने की शक्ति जिसे आप सहिष्णुता या टॉलरेंस भी कह सकते हैं।
जानिए क्या होती है सहनशीलता ?
आज पूरी दुनिया छोटी सी हो गई है। कुछ ही घंटों के अंदर आप दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंच सकते हैं। आपको दुनिया भले ही छोटी लगने लगी हो, लेकिन छोटी सी इस दुनिया में कई देश समाहित है और फिर इन देशों की संस्कृति, वेश-भूषा, भाषा, रंग-रूप जैसी असमानताओं की सूची काफी बड़ी है। ऐसे में एक व्यक्ति के लिए ज़रूरी है कि वह खुद से अलग लोगों की विभिन्नता को अपनाने के लिए एक बड़ा दिल रखे। मिसाल के तौर पर अगर दक्षिण एशिया का व्यक्ति यूरोप जाए, तो वहां के तौर तरीकों को अपनाने की कोशिश करें या कम से कम उनकी इज़्ज़त करे।
ऐसे ही यूरोप के लोगों को उस व्यक्ति का स्वागत करना चाहिए और अपने देश के तौर-तरीकों, खान-पान और जगहों आदि को समझाने में मदद करनी चाहिए। टॉलरेंस का भाव दोनो पक्षों में होना ज़रूरी है।
हो सकता है कि आपकी सोच और विचार सामने वाले व्यक्ति से मेल न खाते हो या फिर आप उसकी किसी बात से सहमत न हो। पर यही वह समय होता है, जब आपको दोनों अपने मतभेदों को नज़रअंदाज़ करके एक दूसरे के साथ संवेदनशील व्यवहार कर सकते हैं। यही होती है सही मायनों में सहिष्णुता।
ग्लोबल विलेज में सब है पास-पास
आज हम उस युग में जी रहे हैं, जहां इलेक्ट्रोनिक मीडिया ने सबको पास लाकर एक जगह खड़ा कर दिया है। इसे आप ग्लोबल विलेज भी कह सकते हैं।लेकिन अगर आपको सबके साथ रहने के फायदों का लाभ उठाना है, तो एक दूसरे के प्रति प्यार, इज़्ज़त और समझ होनी चाहिए।
ग्लोबलाइज़ेशन के दौर में, जहां विभिन्न संस्कृतियों के लोग एक-साथ आकर रहने लगे हैं और जब दुनिया विभिन्न संस्कृतियों और विविधताओं से भरा है, ऐसे में सहिष्णुता और सद्भाव स्थापित करना साथ ही आपसी प्रेम और स्नेह को बढ़ावा देना बेहद ज़रूरी हो गया है।
सहनशीलता से ही शांतिमय बनता है समाज
प्यार और स्नेह वफादारी को जन्म देते हैं। ये वफादारी की भावनाओं को मज़बूत करता है। जैसे जब एक नागरिक अपने देश से प्यार करता है, तो वह निष्ठा और देशभक्ति का प्रदर्शन करता है और राष्ट्र की खातिर बलिदान देने से बिलकुल नहीं हिचकता। यदि प्रेम की भावनाएं मौजूद नहीं हैं, तो बलिदान की भावना नहीं जगेगी। दुनिया विविधता से भरी है, और यही हमारी धरती की सुंदरता है। यदि कोई विविधता नहीं होती, तो दुनिया उबाऊ और बदसूरत दिखाई देगी। इसलिए यह बेहद ज़रूरी है कि आप अपने आस-पास की विविधता को स्वीकारें और इस समाज को बेहतर और शांतिमय बनाने में मदद करें।
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