साल की शुरुआत मकर संक्रांति के त्योहार से होती है। इस त्योहार की खास बात ये है कि इसे देशभर में मनाया जाता है, लेकिन इसे मनाने की परम्पराएं अलग-अलग है। इसी खूबी के कारण मकर संक्रांति का पर्व अन्य सभी त्योहारों से अलग व खास बन जाता है। हालांकि इस साल कोरोना की वजह से मेला और पतंगोत्सव जैसी चीज़ें देखना मुश्किल है।
तो चलिए जानते हैं देश के विभिन्न हिस्सों में किस तरह मनाया जाता है यह पर्व −
माघ साजी – हिमाचल प्रदेश
यह पहाड़ी शब्द है, जिसका आशय नए महीने की शुरुआत से है। इस दिन से माघ महीने की शुरुआत होती है। यह दिन मौसम के बदलाव का संकेत देता है, प्रवासी पक्षी पहाड़ों की ओर लौटने लगते हैं। माघ साजी पर लोग सुबह जल्दी उठते हैं और औपचारिक स्नान के लिए झरनों या बाओलियों में जाते हैं। दिन में लोग अपने पड़ोसियों से मिलते हैं और साथ में घी और चाट के साथ खिचड़ी का आनंद लेते हैं और मंदिरों में दान देते हैं। महोत्सव का समापन गायन और नाटी (लोक नृत्य) से होता है।
लोहड़ी और संक्रांति – पंजाब औप हरियाणा
पंजाब और हरियाणा में मकर संक्रांति से एक दिन पहले नई फसल के स्वागत में लोहड़ी का त्यौहार मनाया जाता है, जिसमें रात के समय लोग आग जला उसकी परिक्रमा करते हुए नाचते-गाते हैं। साथ ही इस आग में मूंगफली, मक्के के दाने और रेवड़ी की आहुति करते हैं और उसे प्रसाद के रूप में बांटते हैं।
खिचड़ी का त्योहार – उत्तर प्रदेश और बिहार
उत्तरप्रदेश और बिहार मे मकर संक्रांति, खिचड़ी के रूप में मनाई जाती है। इस दिन दान-पुण्य का खास महत्व माना जाता है। इलाहाबाद में मकर संक्रांति के दिन से ही माघ मेले की शुरूआत होती है, जहां पुण्य की कामना लिए संगम में स्नान करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। वहीं इस दिन तिल और गुड़ से बने लड्डू और खिचड़ी बनाने और चढ़ाने की प्रथा है।
उत्तरायण – गुजरात
गुजराती लोग इस दिन को बेहद शुभ मानते हैँ। इस दिन अच्छे खान-पान के साथ ही यहां पतंग उड़ाने की प्रथा है। इस दिन सार्वजनिक तौर पर यहां पतंगोत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसमें दूर-दूर से लोग हिस्सा लेने आते हैं।
भोगली बिहू- असम
असम में मकर संक्रांति बिहू के रूप मे मनाई जाती है, जहां लोग इस त्योहार के साथ बसंत के आगमन की खुशियां मनाते हैं। इस दिन लोग गाय के उपले और लकड़ियां जलाकर उसमें अपने पुराने कपड़े जलाते हैं और इसके बाद स्नान करके अपने पशुओं, खेती और धरती मां की पूजा करते हैं। एक हफ्ते तक चलने वाले इस त्योहार में लोग समूह में पाम्परिक नृत्य करते हैं।
गंगासागर मेला – पश्चिम बंगाल
यहां ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन ही गंगा भागीरथी के पीछे-पीछे चलकर बंगाल की खाड़ी में सागर से जा मिली थी। ऐसे में इस दिन यहां संगम में डुबकी लगाने और स्नान ध्यान का विशेष महत्व माना जाता है। वहीं इस दिन यहां पर गंगासागर नाम का मेला लगता है।
मकर संक्रांत – महाराष्ट्र
विवाहित महिलाएं अपनी पहली मकर संक्रांति पर कपास, तेल, नमक, गुड़, तिल, रोली आदि चीजें अन्य सुहागिन महिलाओं को दान करती है। महाराष्ट्र में माना जाता है कि मकर संक्रांति से सूर्य की गति तिल−तिल बढ़ती है और इसलिए लोग इस दिन एक दूसरे को तिल गुड़ देते हैं। तिल गुड़ देते समय एक दूसरे को ‘तीलगुड घ्या आणि गोड-गोड बोला’ कहते है। इसका मतलब वाणी में मधुरता व मिठास की कामना की जाती है ताकि संबंधों में मधुरता बनी रहे।
कर्नाटक में मकर संक्रांति
इस दिन फसल के त्योहार के रूप में मनाई जाती है। यहां लोग इस दिन अपने गाय-बैलों को सजाकर शोभा यात्रा निकालते हैं। इसके साथ ही खुद भी नए कपड़े पहनकर एक−दूसरे को ईख, सूखा नारियल और भुने चने का आदान−प्रदान करते हैं।
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