अपनी बात, विचार और भावनाएं हम दूसरों तक बोलकर पहुंचाते हैं, इसे ही कम्यूनिकेशन या संचार कहा जाता है। कम्यूनिकेशन स्किल यानी संचार कौशल बहुत ही ज़रूरी है, क्योंकि इसके बिना न तो हम अपनी बात दूसरों तक सही तरीके से पहुंचा पाएंगे और न ही सामने वाले की बातों/विचारों/भावनाओं को समझ पाएंगे। तभी हो इसमें हमेशा दोनों पक्षों की अहमियत होती है बोलने वाले की भी और सुनने वाले की भी। रोज़मर्रा की ज़िंदगी के लिए अच्छी कम्यूनिकेशन स्किल क्यों ज़रूरी है? आइए, जानते हैं।
रिश्तों की मज़बूती का आधार
तुमने मुझे गलत समझ लिया, मेरा वह मतलब नहीं था… आपने भी कई बार लोगों को ऐसी ही सफाई दी होगी। क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों होता है, क्योंकि आप अपनी बात/विचार/भावनाएं लोगों तक ठीक तरह से नहीं पहुंचा पाए यानी आपकी कम्यूनिकेशन स्किल अच्छी नहीं है। सही तरह से अपनी बात सामने वाले तक पहुंचाने और उसकी बात और भावनाओं को समझना ही अच्छा कम्यूनिकेशन (संचार) कहलाता है और यह चीज़ ही किसी भी रिश्ते को मज़बूती देती है, फिर चाहे रिश्ता निजी ज़िंदगी का हो या प्रोफेशनल ज़िंदगी का। कह सकते हैं कि संचार हर रिश्ते का आधार है। निजी ज़िंदगी की तरह ही अच्छा कम्यूनिकेशन स्किल आपको करियर में आगे बढ़ने में मदद करता है। जब आप अपनी बात क्लाइंट/कलीग/बॉस तक सही तरीके से पहुंचाने में सक्षम होते हैं, तो आपके स्पष्ट विचार हर किसी को प्रभावित करते हैं और इससे आपकी पर्सनैलिटी भी निखरती है। कुछ लोगों को संचार का तरीका सीखने की ज़रूरत नहीं होती, उनकी कम्यूनिकेशनल स्किल पहले से ही अच्छी होती है, मगर कुछ को इस पर मेहनत करने की ज़रूरत है। हालांकि इसे विकसित करना कोई बहुत मुश्किल काम नहीं है, बस आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा।
ध्यान से सुनना
इसमें सिर्फ सुनना ही शामिल नहीं है, बल्कि सक्रिय रूप से सुनना ज़रूरी है यानी जब सामने वाला कुछ बोल रहा है तो उसे ध्यान से सुनकर उससे कुछ सवाल करना भी शामिल है ताकि यह पता चले कि आप वाकई ध्यान से उसकी बात सुन रहे हैं। इससे आपकी सुनने की क्षमता तो बढ़ती ही है, साथ ही दूसरों से बातचीत की गुणवत्ता भी बढ़ती है, जो आखिरकार आपके संचार कौशल को विकसित करती है।
फीडबैक लें
संचार कौशल को बढ़ाने का एक और तरीका है फीडबैक यानी प्रतिक्रिया लेना उन लोगों से जिनसे आप बातचीत करते हैं और जिनके साथ आप सहज महसूस करते हैं। उनसे पूछें कि आपसे बातचीत के दौरान उन्हें कैसा महसूस हुआ और वह जो भी कहते हैं उसे सुन व समझकर अगली बार अपने बातचीत की गुणवत्ता को और बेहतर बनाने की कोशिश करिए।
सार्वजनिक रूप से बोलने का अभ्यास
पब्लिक स्पीकिंग यानी सार्वजनिक रूप से बोलने का अभ्यास करने से भी संचार कौशल विकसित होता है। क्योंकि इसमें आप ढेर सारे लोगों के सामने बोल रहे होते हैं, इसमें बोलने वाले और सुनने वाले के बीच प्रभावी संचार होता है।
तुरंत बोलने की बजाय रुककर बोलें
जब सामने वाला कुछ कह रहा हो या कोई सवाल कर रहा हो, तो उसकी बात खत्म हुए बिना ही आपके दिमाग में जो कुछ सबसे पहले आए वह न कहें, बल्कि सामने वाले को अपनी बात पूरी कर लेने दें। फिर कुछ सेकंड के लिए रुककर समझें कि वह क्या कहना चाह रहा है, फिर अपनी प्रतिक्रिया दें। इससे संचार कौशल को विकसित होता ही है, साथ ही गलतफहमी की गुंजाइश भी खत्म हो जाती है।
शारीरिक हाव-भाव पर ध्यान दें
मौखिक भाषा के साथ ही बोलते समय हमारा शारीरिक हाव-भाव कैसा है यह भी मायने रखता है। कई बार हमारी बॉडी लैग्वेज यानी शारीरिक हाव-भाव देखकर ही लोग हमारे बारे में किसी तरह की धारणा बना लेते हैं। इसलिए किसी से बात करते समय इस बात का ध्यान रखें कि आपकी बॉडी लैग्वेज ठीक हो।
अच्छी कम्यूनिकेशन स्किल आपको जीवन के हर क्षेत्र में सफल बनाने के लिए ज़रूरी है, इसलिए इसे विकसित करना ज़रूरी है।
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