हम में से कई लोग है, जिन्हें किसी न किसी परिस्थिति में डर या घबराहट जैसी समस्या होती है। जैसे कि भीड़ से, ऊंचाई से, अकेले रहने से या फिर लोगों के सामने बोलना या राय रखने से यानी की पब्लिक स्पीकिंग से। हमसे से कुछ लोगों के लिए अपने विचारों को सभी के सामने पेश करने में मुश्किल होती है, क्योंकि हर किसी को पब्लिक स्पीकिंग यानी लोगों के सामने बोलना की कला नहीं आती है। लेकिन अगर आप कुछ बातों का ध्यान रखें तो लोगों के सामने प्रभावी तरीके से अपनी बात रख सकते हैं।
क्या बोलना है उसकी जानकारी हो
लोगों के सामने कुछ कहने से पहले कोशिश करें कि क्या बोलना है उसकी रूपरेखा तैयार कर लें। यानी जानकारी इकठ्ठा कर लें या कॉन्सेप्ट क्लियर कर लें। एक अच्छा वक्ता वही होता है, जिसे अपने उद्देश्यों और विषय के बारे में पूरा ज्ञान हो।
तैयारी है ज़रूरी
घबराहट होना सामान्य बात है। हर व्यक्ति कुछ शारीरिक प्रतिक्रियाओं को महसूस करता हैं जैसे कि दिल का ज़ोर-ज़ोर से धड़कना और हाथ कांपना, पसीना आना आदि। अपनी इस घबराहट को डर का रूप न दें, इसे उत्साह के रूप में देखे और सोचे कि आप उत्साहित है। ऐसा सोचे कि यह सब कुछ आपकी उत्सुकता की वजह से हो रहा है खद का मनोबल बढ़ाते हुए खुद से कहिए, मैं खुश हूं, मैं उत्साहित हूं। अपने आप डर और घबराहट दूर होने लगेगा।
परफेक्शन पर न दे ज़ोर
यह ज़रूरी नहीं कि विषय की पूरी जानकारी लेने के बाद आप वैसा ही सभी के सामने बोल पाएं। कभी-कभी घबराहट में आप कुछ गलत बोल जाते हैं या कुछ चीजें छूट जाती हैं या आप अटकने लग सकते हैं। ऐसी परिस्थिति में ज़्यादा न सोचे। अपने विषय के अनुसार आसान शब्दों का प्रयोग करें, कुछ चीजें भूल भी जाएं तो परेशान न हो, बस जो भी बोले सोच समझकर सही तरीके से बोले।
ऑडियंस को समझे
एक सफल वक्ता बनने के लिए जरूरी है कि आप अपनी ऑडियंस को समझे यानी की आप के आसपास कौन है, आप अपनी बात किसको कहना चाहते हैं। उनके बारे में जानना बहुत ज़रूरी है, ताकि आपको अपनी राय देने में आसानी हो। उनसे जुड़ने की कोशिश करें और एक पॉज़िटिव माहौल बनाए, ताकि लोग आपकी बात पर ध्यान दें।
खुलकर कहें अपनी बात
पॉज़िटिव सोच बरकरार रखें। खुद का हौसला बढ़ाएं और सोचिए ये मौका बार-बार नहीं आता। अपना पूरा ध्यान अपने परफॉर्मेंस पर दें। पूरे आत्मविश्वास के साथ अपनी बात को लोगों के सामने रखें। उनसे नजर बनाएं रखें। हर व्यक्ति पर ध्यान दें।
लोगों का खींचे ध्यान
बोलने का अर्थ यह नहीं कि बोलकर चले जाए। इसका मतलब यह कि अपनी बात हर व्यक्ति तक पहुंचाए। बोलते लोगों का ध्यान खींचने के लिए बीच-बीच में थोड़ा कहानी या हंसी मज़ाक ज़रूरी है, ताकि ऑडियंस बोर न हो जाए।
आवाज़ हो एक समान
ऑडियंस के सामने बोलते समय इस बात का पूरा ध्यान रखें कि आपकी आवाज़ की एक समान हो। अगर आपकी आवाज़ बहुत तेज़ या धीमी होगी तो सुनने वालों को आपकी बात समझ नहीं आएगी, जिससे वह आपकी बातों में रुचि नहीं लेंगे। अपनी आवाज को सामान्य रखें ताकि आपकी बात समझने में श्रोताओं को परेशानी ना हो। आवाज़ में डर या घबराहट के भाव न हो। आपकी बात आसानी से लोगों तक पहुंचे, इस बात का ध्यान ज़रूर रखें।
खुद पर विश्वास
जो खुद पर विश्वास रखता है, उसे किसी और की ज़रूरत नहीं पड़ती। वह हर मुश्किल को पार कर जाता है, तो फिर लोगों के सामने बात करने या राय रखना कौन सी बड़ी बात है। बस अपने इस आत्मविश्वास को बनाए रखें। यही शक्ति आपको लोगों के सामने बोलने से निडर बनाएगी।
छोटी-छोटी बात ही सबसे बड़ी होती है, जो आपकी मदद करती है। उम्मीद है इन उपायों को ध्यान में रखकर आप अपने इस डर या घबराहट को दूर कर पाएंगें। एक बार इन उपायों को अपनाएं और कमेंट करके बताएं कि यह कितना फायदेमंद साबित हुआ?
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