हाल ही में पूरी दुनिया के लोगों ने ऐसा समय देखा है, जो न किसी ने सोचा था और न ही कोई दोबारा देखना चाहेगा। मेडिकल एमर्जेंसी में लोगों ने न जाने कितने पैसे पानी की तरह बहा दिए। इस समय ने सबको एक बात तो सिखा ही दी होगी – अपने पास हर समय लिक्विड फंड्स, कैश या बैंक के खाते में पैसे जोड़कर रखना। ऐसे कई लोग हैं, जो अपने महीने का खर्च पूरा होने पर जो कुछ बचता है, उसे जोड़ लेते हैं, लेकिन वित्तीय सलाहकार बताते हैं कि आपको अपने महीने की आमदनी को 50-30-20 के भाग में बांट देना चाहिए और उसी के हिसाब से अपनी वित्तीय योजना बनानी चाहिए।
क्या है 50-30-20 रूल?
इस नियम का मतलब है कि आपको अपनी आमदनी का 50 प्रतिशत अपनी ज़रूरतों के लिए खर्च करना चाहिए; 30 प्रतिशत उन चीज़ों पर खर्च करना चाहिए जो आपको करना अच्छा लगता है, लेकिन ये ज़रूरी नहीं है, और 20 प्रतिशत आपको अपने भविष्य के लिए इस्तेमाल करना चाहिए, यानि जोड़ने चाहिए।
जानिए विस्तार से
क्या है आपकी ज़रूरते – घर का किराया, राशन, पानी व बिजली का बिल, घर की मेंटेनेंस का बिल, बच्चों के स्कूल की फीस, हेल्थ इंश्योरेंस, कार पेमेंट आदि।
क्या हैं आपके शौक – आपकी हॉबी, छुट्टियों में घूंमने जाना, बाहर खाना, डिजिटल सर्विसिस (जैसे नेटफ्लिक्स) आदि।
क्या हैं आपके भविष्य के लिए ज़रूरी – आपकी सेविंग्स।
अपनी स्थिति के अनुसार बनाएं योजना
हर व्यक्ति की अलग परिस्थिति होती है। आप अपनी परिस्थिति के हिसाब से 50-30-20 रूल को थोड़ा बहुत ऊपर नीचे कर सकते हैं। यह रूल बस आपको समझाने के लिए है कि आपको अपनी आमदनी को किन तीन बड़े भागों में बांटना है, और उसके हिसाब से महीने का खर्चा करना है। किसी व्यक्ति के पास ज़िम्मेदारियां कम हों, तो वो अपने 20 प्रतिशत वाले भाग, यानि सेविंग्स में ज़्यादा पैसे डाल सकता है। यही कारण है जो कहा जाता है कि जितनी जल्दी हो सके जीवन में सेविंग्स करना शुरु कर दें; और जोड़ना शुरु करने के लिए कभी कोई समय गलत नहीं और न ही कभी जोड़ने के लिए देर होती है।
तो अगर आप भी यह समझ गए हैं, तो इसे अपनी फाइनेंस योजना में जोड़ लें और अपने महीने के बजट को आसानी से तैयार करें।
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