योगसूत्र के अष्टांग योग में है आठ अंगों का वर्णन

योगसूत्र के अष्टांग योग में है आठ अंगों का वर्णन

आठों आयामों का अभ्यास एक साथ
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जब भी योग शब्द का जिक्र आता है, तो उसे सिर्फ आसन या शारीरिक कसरत से परिभाषित करते हैं या फिर अपनी सोच को योग कसरत तक सीमित रखते हैं। योग केवल आसन ही नही है, ये योग का एक अंग है। अष्टांग योग भी उन्ही में से एक है, जिसके आठ अंगो को दर्शाया गया है।

अष्टांग योग क्या है?

यह संस्कृत के दो शब्दो ‘अष्ट’ और ‘अंग’ से मिलकर बना है। अष्ट का अर्थ होता है आठ और अंग का अर्थ होता है हिस्सा या भाग। अष्टांग योग का सरल मतलब योग के आठ अंग है। इस शब्द का प्रयोग पहली बार भारतीय ऋषि पतंजलि द्वारा किया गया था, जिन्होंने योग सूत्र लिखा था। योग पर आधिकारिक पाठ में पतंजलि ने आठ प्रथाओं “अंग” का वर्णन किया है। इस योग से दिमाग और शरीर की सभी दुख को दूर करने और खुद के वास्तविक स्वरुप को पहचानने में मदद मिलेगी।

क्या है आठ अंग?

  1. यम – व्यवहार पालन यानी की अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह। इन चीज़ों का पालन व्यक्ति को करनी चाहिए।
  2. नियम – जीवन में सारे काम पूरे किये जाने चाहिए। तभी अष्टांग योग के दूसरे चरण को पूरा किया जा सकता है। जैसे कि शौचा – तन और मन की सफाई, संतोष – तन और मन की खुशी, तप – अनुशासन, स्वाध्याय – खुद को पहचानना, खुद की कमियों को दूर करना और ईश्वर प्रणिधान – समर्पण, प्रेम और भक्ति में होना।
  3. आसन- ये ध्यान की मुद्रा हैं, जो मन की शांति को बढ़ावा देती है। शारीरिक मुद्राएं जो उन ध्यान मुद्राओं में लंबे समय तक बैठने की सुविधा प्रदान करती है।
  4. प्राणायाम- प्राणशक्ति और सांस लेना और छोड़ने की एक प्रक्रिया है।
  5. प्रत्याहार- बाहरी चीज़ों से मन को हटना, जिससे मन स्थिर हो सकता है।
  6. धारणा- किसी एक चीज पर लक्ष्य होना।
  7. ध्यान – एकाग्रता जिसमें मन न भटके।
  8. समाधि- जिसमें मन पूरी तरह से आंतरिक और बाह्य रूप से ध्यान में खो जाता है।

कहा से शुरुआत हुई?

अष्टांग योग नाम की उत्पत्ति पतंजलि के योग सूत्र में हुई थी। यह 21वीं सदी के कृष्णमाचार्य और पट्टाभि जोइस नाम के दो भारतीय योग शिक्षक थे, जिन्होंने अष्टांग योग को विकसित करना शुरू किया था। वे कर्नाटक राज्य में मैसूर में रहते थे। पट्टाभि जोइस कृष्णमाचार्य के छात्र थे,  जिन्हें आधुनिक योग का जनक माना जाता है। जोइस ने अपने गुरु से अष्टांग योग की शिक्षा लेने के बाद इसे धीरे-धीरे प्रसारित करना शुरु किया। समय के साथ पट्टाभि जोइस ने शिक्षण के इस तरीके को जारी रखा और लोगों तक पहुंचाया।

उद्देश्य

अष्टांग योग में शारीरिक प्रक्रियाएं मानसिक स्पष्टता होती है। इसका उद्देश्य शारीरिक शक्ति, लचीलापन और सहनशक्ति पैदा करने के साथ मानसिक अवरोधों और भावनात्मक शक्ति को मज़बूत बनाने के बारे में हैं।

अष्टांग योग के फायदे

यह योग उन लोगों के लिए बहुत अच्छा है जो एक अच्छी कसरत की तलाश में हैं। हठ योग की अधिकांश शैलियों की तरह, अष्टांग सांस, मुद्रा और ध्यान पर केंद्रित है।

  • एक नियमित अभ्यास आपके लचीलेपन, श्वास और संतुलन में सुधार कर सकता है।
  • यह आपकी सहनशक्ति, हड्डियों के घनत्व और मांसपेशियों की ताकत को बढ़ा सकता है।
  • आपके शरीर के वजन को नियंत्रित कर सकता है।
  • आपके रक्तचाप को कम कर सकता है और तनाव को दूर कर सकता है।
  • यह मानसिक स्पष्टता को बढ़ाकर, मानसिक शांति देता है।
  • जीवन में बेहतर एकाग्रता विकसित करके मानसिक और आध्यात्मिक रूप से भी मदद करता है।

आठ अंग हमारे अंदर की दिव्यता को खोजने और उसका पालन करने के लिए गहराई तक जाने की एक प्रक्रिया है।

और भी पढ़िये : सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया का तनाव से है सीधा संबंध

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