सात चक्र हमारे शरीर में तंत्रिका केंद्रों के साथ-साथ हमारे प्रमुख अंगों के साथ जुड़ा हुआ हैं। चक्रों का हमारे मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य से भी सीधा संबंध है। यही कारण है कि हमारे चक्रों को एक दूसरे के साथ मिलना इतना महत्वपूर्ण है।
तीसरा चक्र – मणिपुर
यह चक्र नाभि के ऊपर आपके पेट के आसपास स्थित होता है, इसलिए इसे नाभि चक्र भी कहते हैं। पीले रंग का यह चक्र त्रिकोण के आकार का होता है और इस चक्र का तत्व अग्नि है। मणिपुर चक्र पेट के ऊपरी भाग में होने से यह अग्न्याशय, ऊपरी आंतों, पित्ताशय और यकृत सहित कई पाचन अंगों को प्रभावित करता है। अग्नि तत्व पॉज़िटिविटी को प्रकट करने और बनाए रखने के लिए नेगेटिविटी को जलाता है। एक संतुलित ऊर्जा केंद्र शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक ऊर्जा को बढ़ने में योगदान देता है। जब चक्र संतुलित रहता है, तो पाचन शक्ति अच्छी होती है। व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ता है। शरीर में ऊर्जा आती है।
चक्र को जागृत करने वाले योग
जब मणिपुर चक्र असंतुलित होता है, तो यह पाचन संबंधी समस्याओं को जन्म देता है। इस चक्र को संतुलित करने के लिए कुछ योगासन शामिल हैं, जिसे करने से पेट संबंधी बीमारियों को ठीक किया जा सकता है।
नवासन (बोट पोज़)
इस आसन को बोट पोज़ भी कहते हैं। नवासन तीसरे चक्र को उत्तेजित करने में मदद करता है। नाभि पर दबाव पड़ने से यह अग्नि तत्व को सक्रिय करता है और हमें हमारे केंद्र से जोड़ता है।
पश्चिमोत्तानासन (क्लासिकल फॉरवर्ड बेंड)
यह योगासन पाचन प्रक्रिया के लिए सबसे फायदेमंद आसनों में से एक है। पश्चिमोत्तानासन करने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है। जिससे यकृत, अग्न्याशय और आंतों की काम करने की क्षमता बढ़ती है। इतना ही नहीं पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास करने से पीठ की मांसपेशियों और पैरों के पिछले हिस्से को फैलाता है। जिससे गुर्दे और अग्न्याशय सक्रिय होता है। जब मणिपुर चक्र सक्रिय होता है, तो शरीर में पोषक तत्वों को अवशोषित करने में अधिक प्रभावी हो जाता है।
धनुरासन (बाउ पोज़)
यह पीठ मुडने से ये आसन पेट पर अपना पूरा भार डालता है। धनुरासन करने से पाचन तंत्र के विभिन्न अंगों विशेष रूप से यकृत और अग्नाशय के लिए भारी मात्रा में इंट्रा-पेट की मालिश करता है। रीढ़ की हड्डी के लचीलेपन को बनाए रखता है और कूल्हों और कंधों की गतिशीलता में सुधार करता है। इसयोगासन से गर्दन का विस्तार थायराइड ग्रंथियों को उत्तेजित करता है जिससे हार्मोन के स्वस्थ स्राव को बढ़ावा मिलता है और मणिपुर चक्र को सक्रिय करता है। इस प्रकार मणिपुर चक्र जीवन ऊर्जा या प्राण के प्रवाह को उत्तेजित करता है।
अर्धमत्स्येन्द्रासन (हाफ स्पाइनल ट्विस्ट)
इस आसन में शरीर मोड़ने की ऐसी प्रक्रिया है, जिससे पीठ की मांसपेशियों की गहरी सतहों से तनाव को दूर करने में मदद करती है। इस स्थिति में श्वास भी गहन हो जाती है। साथ ही अग्नि तत्व को सक्रिय करता है, जिससे मणिपुर चक्र संतुलित होता है।
हलासन (द प्लाउ)
यह आसन अग्नाशय और पाचन प्रणाली के लिए बहुत ही फायदेमंद है। यह आसन विशुद्धि चक्र और मणिपुर चक्र को सक्रिय करता है। यह पीठ की लोच को प्रोत्साहित करता है और टांगों के पिछले भाग के साथ वाले भागों की मांसपेशियों को खींचता है और सक्रिय करता है।
ऊपर बताए गए योगासन का रोज़ाना अभ्यास करने से तीसरे चक्र को संतुलित करने में मदद मिलती है। इतना ही पाचन शक्ति को बेहतर करने के साथ नेगेटिव ऊर्जा को दूर कर पॉज़िटिव ऊर्जा का बढ़ाता है।
और भी पढ़िये : चलिए इस साल कोई संकल्प नहीं लेते
अब आप हमारे साथ फेसबुक, इंस्टाग्राम और टेलीग्राम पर भी जुड़िये।