क्या आप भी मानते हैं कि कोई कैसा दिखता है, इससे फर्क नहीं पड़ता, बल्कि अंदर से वो कैसा इंसान है, यह बात सबसे ज़रूरी है। दूसरों के लुक्स को अनदेखा कर उनकी अंदर की खूबसूरती को देखना बहुत अच्छी बात है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके सेल्फ ग्रोथ (यानि आगे बढ़ने) के लिए शीशे में खुद को देखना बेहद ज़रूरी है। ऐसा करने से आपके अंदर आत्म-दया, अपने प्रति करुणा की बढ़ोतरी होती है, आपकी चेतना तेज़ होती है और आप बेहतर तरीके से तनाव से डील कर पाते हैं।
अगर आपके पास आईने में खुद को एक झलक से ज़्यादा देखने का समय नहीं निकल पाता, तो यकीनन नीचे बताई जाने वाली बातों को पढ़ कर आप खुद को शीशे में अब से ज़रूर निहारने लगेंगे।
क्यों ज़रूरी है शीशे में खुद को ध्यान से देखना?
मेडिटेशन
आपके पास मेडिटेट करने के ढेर सारे विकल्प मौजूद हैं, जिनमें से एक है मिरर गेज़िंग यानि खुद को शीशे में देखते हुए अपने अंदर छुपे हुए जज़बातों को समझना। इसमें ध्यान केद्रित करने के लिए अपनी आंखों को बंद करने की जगह आईने में अपने अक्स को देखा जाता है। इसके ज़रिए आप अपने आज में रहना सीखते हैं और अपने अंदर की ताकत को पहचानने के साथ-साथ अपनी भावनाओं की गहराई को समझते हैं।
खुद को अपनाना
अक्सर लोग खुद की दूसरों से तुलना करते हैं और समाज के बनाएं मापडंडों पर खुद को आंकते हैं। ऐसे में कुछ लोग खुद से ज़रूरत से ज़्यादा प्यार करने लगते हैं और कुछ लोग खुद को अच्छा न समझते हुए अपने आप से नफरत करने लगते हैं। ये दोनों ही सूरत में गलत है। आईने में खुद को देखने का का मतलब है अपने आप को हर शक्ल में अपनाना, खुद की सराहना करना। अगर आप खुद को अपना लेंगे, तो यकीन मानिए कि आपके जीवन में चमत्कार हो जाएगा, सब कुछ बदल जाएगा, सकारात्मक हो जाएगा।
आत्मविश्वास बढ़ेगा
कभी-कभी आप अपने लिए सेट किए हुए बार को मैच नहीं कर पाते। इसके पीछे अक्सर आत्मविश्वास की कमी या आत्म जागरूकता की कमी होती है। जब आप खुद को शीशे में देखें तो खुद से उन चीज़ों के बारे में बात करें जिनसे असहज महसूस करते हों, ऐसा करने से आपके अंदर उन चीज़ों का सामना करने का आत्मविश्वास बढ़ेगा। शीशे में खुद को देखने से आप सच्चाई से वाकिफ होते हैं, नियंत्रित होते हैं और आपके अंदर जागरूकता बढ़ती है। एक बार आप सच्चाई से वाकिफ हो गए, तो कुछ भी आपको रोक नहीं सकेगा।
अपनी भावनाओं को गहराई से समझ सकेंगे
तेज़ दौड़ती ज़िंदगी में अक्सर लोग अपने अंदर छुपे जज़्बातों पर ध्यान देना भूल जाते हैं और धीरे-धीरे अपनी अंतर-आत्मा से दूर होने लगते हैं। ऐसे में खुद को समझना मुश्किल होने लगता है। शीशे में खुद को देखने से आपका अपने साथ एक नाता बनने लगता है, जो धीरे-धीरे गहरा होने लगता है।
अगर आपके मन में खुद के प्रति ऊपर बताई गई बातों में से कुछ भी है, तो मिरर गेज़िंग यानि खुद को शीशे में देखने के लिए समय निकालना ज़रूर शुरू कर दें। शीशे में देखते हुए अपने प्रति कोई धारणा न बनाएं और खुद को समझने की कोशिश करें। ऐसा करने से आपके अंदर का तनाव भी कम होगा साथ ही आप अपने वर्तमान को और अपनी सच्चाई को समझेंगे।
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