सीखने का सिलसिला सिर्फ स्कूल-कॉलेज तक ही सीमित नहीं रहता, बल्कि यात्राएं भी हमें बहुत कुछ सिखाती हैं। अपने आस-पड़ोस के इलाके और दूसरे देश की यात्रा के दौरान हमें अलग-अलग संस्कृति और जीवनशैली के बारे में तो पता चलता ही है, साथ ही यह यात्राएं हमें विनम्रता और धैर्य जैसे गुण भी सिखाती हैं।
चीज़ों की बजाय अनुभव का आनंद लेना
यात्राएं ज़िंदगी का बहुत ही अहम सबक सिखाती है कि सच्ची खुशी ज़्यादा चीज़ें पाने में नहीं, बल्कि मौजूदा अनुभव का आनंद लेने में है। जब हम कहीं घूमने जाते हैं तो नए-नए लोगों से रिश्ता बनता हैं, हम नई चीज़ें सीखते हैं और खूबसूरत यादों को संजोकर लाते हैं जिनसे मिली खुशी कोई भी कीमती सामान पाने से ज़्यादा होती है।
कंफर्ट ज़ोन से बाहर निकलना
ज़िंदगी का असली रंग देखने के लिए आपको अपने कंफर्ट ज़ोन से निकल नई-नई जगहों को तलाशना होगा। अलग-अलग जगह जाने पर आपको विभिन्न रिति-रिवाज, खानपान, भाषा आदि के बारे में जानकारी मिलती है। किसी जगह जाकर आप रोमांचित होते हैं, तो कहीं आपको थोड़ा डर लगता है, लेकिन कुल मिलाकर आपको इसमें बहुत मज़ा आता है और आपको ज़िंदगी का असली रंग दिखता है।
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धैर्यवान बनाता है
सफर के दौरान कभी आपको होटल, बस, एयरपोर्ट, पर्यटन स्थल आदि पर लंबी लाइन में खड़ा होना पड़ता है तो कभी मनपसंद खाना नहीं मिलता, लेकिन आप तब भी अपने सफर को बीच में नहीं छोड़ते क्योंकि वहां आपको मज़ा आता है और ये सारी चीज़ें ही आपको धैर्य रखना सिखाती हैं।
कुदरत की अहमियत समझते हैं
अलग-अलग जगहों की यात्रा के दौरान कहीं आपको खूबसूरत कुदरती नज़ारे और झरने का साफ पानी दिखता है तो कहीं विरान हो चुके जंगल और गंदगी से पटे पड़े समुद्री किनारे। ऐसे में जब आपको स्वच्छ वातावरण, शुद्ध पानी और भोजन मिलता है तो इसके लिए आप प्रकृति के शुक्रगुजार होते हैं और अपनी तरफ से पर्यावरण को बचाने की कोशिश भी करते हैं।
अनजान लोगों से दोस्ती
कुछ लोग अंतर्मुखी होते हैं और किसी से बात करना पसंद नहीं करते, ऐसे लोगों के लिए सफर करना बहुत ज़रूरी है। क्योंकि नई-नई जगहों पर जाने पर हम नए लोगों से मिलते हैं और धीरे-धीरे उनसे दोस्ती हो जाती है। जितनी ज़्यादा जगहों पर आप जाते हैं उतने ही ज़्यादा दोस्त भी बनते हैं।
छोटी-छोटी चीज़ों की तारीफ़ करना
अपनी व्यस्त दिनचर्या से समय निकालकर जब हम परिवार या दोस्तों के साथ घूमने निकलते हैं तो हर छोटी चीज़ का पूरा आनंद लेते हैं और उसकी तारीफ करते हैं, जैसे उगते या डूबते सूर्य का नज़ारा, रंग-बिरंगी तितलियों का फूलों पर बैठना, चिड़िया का चहचहाना और दोस्तों के साथ अलग-अलग स्वाद के भोजन का लुत्फ उठाना।
मुस्कुराहट की कीमत समझ आती है
कई बार हम ऐसी जगह जाते हैं जहां कि स्थानीय भाषा हमें समझ नहीं आती। ऐसे में वहां के लोगों से बात करना या उनका आभार जताना हमारे लिए संभव नहीं होता, तो ऐसे में बस हम मुस्कुराकर बहुत कुछ कह सकते हैं। हमारे चेहरे की हंसी उनसे और उनकी मुस्कुराहट हमसे बहुत कुछ कह जाती है यानी जब भाषा की बंदिश हो तो मुस्कुराहट बोल उठती है।
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