क्या आप प्रकृति की शांति को अपने अंदर महसूस करना चाहते हैं?
पेड़ों के झुरमुट में छिपी धूप का आनंद लेना चाहते हैं?
हवा की ताज़गी को अपने भीतर लाना चाहते हैं?
तो, फिर आप बाहर निकलकर देखिए। वाकई, ऐसा करके आपको अनोखा आनंद महसूस होगा और बच्चों के लिए तो यह बेहद जरूरी है।
सूरज की रोशनी
एक रिसर्च में पता चला है कि हाल के सालों में बच्चों में आंख की समस्या मायोपिया के काफी मामले देखने को मिले हैं। बच्चों में मायोपिया का एक प्रमुख कारण सूरज की रोशनी का कम मिलना है। बच्चों के मायोपिया को रोकने के लिए, उन्हें रोज़ाना दो से तीन घंटे तक सूरज की रोशनी में रहने की आदत डालनी चाहिए।
मेंटल हेल्थ में होता है सुधार
रिसर्च यह भी कहते है कि जो लोग प्राकृतिक वातावरण में कम से कम 90 मिनट रहते है, वे डिप्रेशन से कोसों दूर रहते हैं। रिसर्च के अनुसार नेचर के साथ तालमेल बिठाने वाले लोगों में चिंता, नेगेटिव सोच और गलत प्रभाव का असर कम होता है और वे खुद में पॉज़िटिव इमोशन्स व खुशी आदि फील करते हैं।
बेहतर एकेडमिक परफॉर्मेंस
रिसर्च में पता चला है कि बाहर समय व्यतीत करने और सक्रिय रहने वाले बच्चे एकेडमिक लेवल पर कहीं ज्यादा सक्सेस होते हैं। ऐसे बच्चों की पढ़ने की रफ्तार ही नहीं, बल्कि टास्क को बेहतर तरीके से समझने की क्षमता भी तेज़ होती है।
स्ट्रेस लेवल होता है कम
अगर आप घर और ऑफिस से समय निकालकर कहीं घूमने जाते हैं, तो खुद को रिफ्रेश महसूस करते है और अच्छा फील करते हैं। इससे न केवल स्ट्रेस लेवल कम होता है, बल्कि टेंशन भी खत्म हो जाती है। बाहर घूमने का एक फायदा यह भी है कि आपको क्रिएटिव आइडिया आते हैं। घर और काम से दूर होकर आप रोजमर्रा की परेशानियों से दूर हो जाते हैं, जिससे आप खुद को टेंशन फ्री महसूस करते है। इससे दिमाग बेहतर तरीके से काम करने लगता है और कई क्रिएटिव आइडिया भी आते हैं।
सेहत में आता है सुधार
जब आप टेंशन फ्री होते है, तो बीमारियां होने का खतरा भी कम होता हो जाता है। रिसर्च भी बताती हैं कि नेचर से संबंध बनाने वाले लोगों को रोज़मर्रा की ज़िंदगी की चुनौतियों का सामना करने की ताकत मिलती है, साथ ही इससे सोशल कॉन्टैक्ट भी मज़बूत बनता है। जब दिमाग और शरीर दोनों सही होते है, तो इससे जीवन के अपने उद्देश्य को पूरा करने की भावना भी विकसित होती है।
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