अपनी लाडली को बनाएं सशक्त महिला

अपनी लाडली को बनाएं सशक्त महिला

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एक मज़बूत महिला वह है जो अपने लिए खड़ी हो सके, चाहे हालात कैसे भी हों। वह चाहे बोर्डरूम में हो या गांव में, चाहे 40 की उम्र में सिंगल हो या 20 की उम्र में शादीशुदा, एक महिला जो अपनी देखभाल कर सकती है और मानसिक व सामाजिक रूप से आत्मनिर्भर है- वह मज़बूत है। एक महिला जो बच्चे को दूध पिलाती है या जिसने बच्चे पैदा नहीं करने का निर्णय लिया है, वह भी पालतू जानवरों की मां बनने वाली या नन की तरह ही मज़बूत है।

अपनी नन्हीं बिटिया को समाज के मानकों के अनुरूप चलने के लिए कहने की बजाय ‘खुद के लिए खड़ा’ होना सिखाएं, उसे सशक्त बनाएं। इसके लिए बेटी को सिखाएं ये बातें-

अपनी त्वचा में सहज रहे

बेशक परफेक्ट महिला की लाखों छवियां आप हर जगह देखते हैं। लेकिन यह सब सिर्फ कल्पना है। कुछ भी वास्तविक नहीं है, और यदि कुछ है, तो उनकी तरह दिखने के लिए बहुत प्रयास करने होते हैं। ऐसा दिखने के लिए जिम में घंटों बिताना पड़ता है, लगातार स्वस्थ खान-पान का ध्यान रखना होता है। इसलिए अपनी बेटी के सेलिब्रिटी जैसा फिगर या क्रिस्टल क्लियर स्किन पाने की चाह रखने के पहले ही उसे यह सब बताएं। मेकअप करना है या नहीं, यह अपनी पंसद पर निर्भर करता है, यदि आपको अच्छा लगता है तो करिए, मगर दूसरों को प्रभावित करने के लिए नहीं या इसलिए नहीं कि दूसरा भी यह कर रहा है या किसी और ने आपको ऐसा करने क लिए कहा है।

मुखर होना

मुखर होने और आक्रामक होने में बहुत बारीक अंतर है जिसे समझना ज़रूरी है। अपने बच्चे को मुखर होना सिखाएं, उन्हें दिखाएं कि दोषी महसूस किए बिना ‘ना’ कैसे कहते हैं, अपने लिए और अपने आसपास के लोगों के लिए बोलें, आत्म-सम्मान का निर्माण करें और आत्मविश्वास के साथ खड़े रहें।

अपनी और दूसरी महिलाओं का सम्मान करे

कुछ लोग इसे फेनिनिज़्म या नारीवाद कहते हैं, कुछ लोग इसे समानता कहते हैं, अभिभावक होने के नाते आप उसे इंसानियत सिखाएं। कोई इंसान या लिंग किसी से ऊपर नहीं होता है

दूसरों को नीचा दिखाकर अच्छा महसूस करना आसान हैं, मगर सही नहीं। आपकी नन्हीं परी को यह जानना ज़रूरी है कि कोई वास्तव में तभी अच्छा महसूस कर सकता है जब वह खुद और आसपास की लड़कियों व महिलाओं का सम्मान करे। हम एक पितृसतात्मक समाज में रहते हैं, जहां लड़कियों को ऊपर उठने के लिए एक दूसरे का सहयोग करने की ज़रूरत है।

सही रोल मॉडल

अमेलिया ईयरहार्ट से लकर सिंड्रेला तक आपकी छोटी सी बेटी की नज़रों में दोनों समान हैं और वह किसी को भी अपना रोल मॉडल बना सकती हैं। यह आप पर निर्भर करता है कि उसे समझाएं कि उसके लिए सही रोल मॉडल कौन है- वास्तविक या काल्पनिक शख्सियत। लेकिन उसपर अपने विचार न थोपें, उसे अपनी मर्जी से निर्णय लेने दें।

अपनी बेटी को बताएं कि उससे पहले की महिलाओं ने क्या हासिल किया और हम में से हर कोई क्या करने में सक्षम हैं। मगर वह क्या करना चाहती है यह उसपर छोड़ दें।

सब कुछ आज़माएं

बच्चे ‘बताए जाने’ की बजाय अनुभव से ज़्यादा सीखते हैं। इसलिए अभिभावक होने के नाते यह आप पर है कि आप अपनी बेटी को कितने अलग अनुभव दे पाती हैं। उसे अपनी पसंद की चीज़ें चुननें दे, उसे फॉलो करने दें, लेकिन पहले उसे ढेर सारे विकल्प दें- खिलौने वाला ट्रक से लेकर पेड़ और दीवार पर चढ़ने दें, स्केटिंग से लेकर फुटबॉल तक, घर की सफाई से लेकर सड़क के जानवर को पालतू बनाने तक- उसे सब कुछ करने दें, जो वह कर सकती है।

रूढ़ियों को तोड़ने के लिए न कहें

अपनी नन्हीं बिटिया को जेंडर स्टीरियोटाइप (लिंग संबंधी रूढ़ियों) को मानने या तोड़ने के लिए न कहें। इस बात में कोई बुराई नहीं है कि आपकी बेटी बड़ी होकर प्रिंसेस, मिस यूनिवर्स या बस ड्राइवर बनना चाहती है। उसके सपनों और विश्वास को न तोड़ें। बल्कि उसे शिक्षित करें कि अलग-अलग समुदायों और देशों में महिलाओं के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है, मास मीडिया कैसे उन्हें सेक्स सिंबल के रूप में पेश करता है, और इन सबसे खुद को बचाना क्यों महत्वपूर्ण है। 

आत्मनिर्भर रहे

अपने आसपास देखिए- हमारे समाज में बहुत सी महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं है, जिससे उन्हें खुद के लिए और अपने परिवार के लिए फैसले लेने का मौका नहीं मिलता। अपनी बेटी को बचपन से ही आर्थिक शिक्षा दें। उसे एक पिग्गी बैंक लगाकर लें और निवेश करने, लोन लेने और पिग्गी बैंक से खर्च करना आदि सिखाएं। अपनी बच्ची को सिखाएं कि वह किसी एक व्यक्ति या परिस्थिति में खुशी न तलाशें। बच्ची को सही तरीके से मार्गदर्शन देने के लिए आप मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल से बात भी कर सकती हैं।

व्यक्तिगत सुरक्षा और स्वच्छता

अपनी बेटी को कम उम्र में ही किताबों और इंटरनेट के ज़रिए गुड टच और बैड टच के बारे में बताएं। उसे यह पता होना चाहिए कि उसकी मर्ज़ी के बिना किसी को उसे छूने का हक नहीं है, चाहे वह गले लगाना हो या गाल खींचना।

उम्र के हिसाब से उसे शरीर और शरीर की गतिविधियों के बारे में बताकर सशक्त करें। उसे इस बारे में शिक्षित करें कि बड़े होने पर अपने शरीर की देखभाल कैसे रखनी है- मासिक धर्म की अवधारणा और स्वच्छता के मौजूद विकल्पों के बारे में बताएं। 

Coco (कोको) चैनल का मशहूर कथन है, ‘एक लड़की के लिए दो चीज़ें ज़रूरी है- वह कौन है और क्या चाहती है।’ अभिभावक होने के नाते इस कथन पर अमल करना हमारी ज़िम्मेदारी है।

और भी पढ़िये : बच्चों की करें मदद ताकि बना पाएं वो अपनी अलग पहचान

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