आजकल हर कोई खासतौर से युवा फिजिकल फिटनेस के प्रति बहुत जागरूक हो गए हैं। कुछ लोग तो अच्छा, सुडौल शरीर बनाने में इस हद तक खो जाते हैं कि उन्हें अपनी मानसिक सेहत तक का ध्यान नहीं रहता। इसका अच्छा उदाहरण है- आजकल के युवाओं द्वारा स्टेरॉयड का सेवन, जो अंततः कैंसर, हार्ट अटैक का कारण बनता है और मानसिक अस्वस्थतता को दिखाता है।
तो आइये जानते हैं कुछ तरीकों के बारे में जिनसे एक चुस्त दुरुस्त शरीर के साथ चुस्त दुरुस्त मन भी पाया जा सके।
संतुलित व्यायाम चुने
कसरत करते समय ध्यान रखें कि आपको मानसिक सेहत से जुड़ी हुई कसरत भी करनी है। हालांकि शारीरिक व्यायाम से पहले मानसिक व्यायाम चुनना चाहिए। लेकिन आप अपने हिसाब से भी समय निर्धारित कर सकते हैं।
सांस से जुड़ी हुई कसरत चुने
यह कसरत नर्व सिस्टम को बेहतर रखने का काम करती है। इसमें लंबी सांस लें, कुछ देर रोकें और छोड़ दें। इन तीन चरणों में इस क्रिया को दोहराना होता है।
दिन में कुछ मिनट की झपकी लें
डॉक्टरों के अनुसार अच्छी मानसिक सेहत के लिए दिन में झपकी लेना बहुत ज़रूरी है। यह तरीका न केवल आपकी क्षमता बल्कि रचनात्मकता को भी रफ्तार देगा।
भोजन का रखें ख्याल
हर तरह के डॉक्टर, वैद्य,वैज्ञानिक यह मान चुके हैं कि आप जैसा खाओगे वैसा बनोगे। इसलिए अगर मन को शांत रखना है तो भोजन का खास ख्याल रखें।
इस तरह शारीरिक व्यायाम में मानसिक व्यायाम को करें शामिल–
किसी भी पुरानी दिनचर्या में अगर कोई अच्छी नई चीजें जुड़ जाए तो ये सबसे अच्छा और आसान तरीका होता है। क्योंकि इसमें पुरानी आदतों को खत्म करने का दबाव भी नहीं होता और अच्छी बातें भी आसानी से व्यक्तित्व में जुड़ती जाती हैं। आपको भी यही तरीका आज़माना है अपने फिजिकल फोकस को बनाये रखते हुए मानसिक व्यायाम को उसमें शामिल करना है। इसके लिए आप पैन-पेपर का सहारा भी ले सकते हैं।
- अपने एक हफ्ते के वर्क रूटीन को लिखें।
- अब इस कागज़ में उन रुचियों को लिखें जो आप मानसिक सेहत के लिए अक्सर करते हों। उदाहरण के लिए मेडिटेशन, पार्क में घूमना, गाना, नाचना या चित्रकारी करना आदि।
- अब धीरे-धीरे इस लिस्ट में उन बातों को शामिल करें जो आपकी मानसिक सेहत के लिए ज़रूरी तो हैं, पर आप अभी तक नहीं कर रहे थे। उदाहरण के लिए सांसों से जुड़ा मेडिटेशन, प्राणायाम, पढ़ना।
इस तरह हर हफ्ते मानसिक सेहत से जुड़ी इस लिस्ट में एक अच्छी बात जोड़ते जाएं। साथ ही ध्यान रखें कोई भी बात जल्दबाज़ी में न जोड़े और अपनी पसंद का ख्याल रखें। आप पाएंगे कुछ ही हफ्तों में आपका फोकस बढ़ रहा है और मानसिक सेहत बेहतर हो रही है, जो एक पॉज़िटिव जीवन के लिए ज़रूरी है।
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