कहते अगर ठान लिया जाए तो हर मुश्किल काम भी आसान हो जाता है। फिर बड़ी सी बड़ी मुसीबत क्यों न हो वह छोटी हो जाती है। ऐसी ही एक हिम्मत की कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं, जिसने हर चुनौती हर समस्या का सामना किया। वह कहानी है 36 साल के पिंटू गहलोत की, जिनके दोनों हाथ नहीं हैं, लेकिन फिर भी उन्होंने 10-20 या 50 नहीं, बल्कि 150 से ज्यादा पदक अपने नाम किये हैं।
कहते अगर ठान लिया जाए तो हर मुश्किल काम भी आसान हो जाता है। फिर बड़ी सी बड़ी मुसीबत क्यों न हो वह छोटी हो जाती है। ऐसी ही एक हिम्मत की कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं, जिसने हर चुनौती हर समस्या का सामना किया। वह कहानी है 36 साल के पिंटू गहलोत की, जिनके दोनों हाथ नहीं हैं, लेकिन फिर भी उन्होंने 10-20 या 50 नहीं, बल्कि 150 से ज्यादा पदक अपने नाम किये हैं।
पिंटू गहलोत के साथ पहला हादसा
राजस्थान में जोधपुर के चोखा गांव के निवासी पिंटू गहलोत 1998 में बस दुर्घटना के दौरान अपना दायां हाथ खो बैठे थे, तब वह कक्षा सातवीं के छात्र थे। इसके बावजूद वह निराश नहीं हुए। अपने मेहनत और बुलंद हौसले के साथ आगे बढ़ते रहे और खुद की एक अलग और खास पहचान बनाई।
फिर हुआ दूसरा हादसा
यह हादसा तब हुआ, जब वह पूल की सफाई कर रहे थे। सफाई के दौरान वह झुलस गए। ऐसे में उपचार के दौरान, इलेक्ट्रोक्रेडेड हाथ को आधे में काटना पड़ा। इन्हीं हाथों की बदौलत पिंटू गहलोत ने कई प्रतियोगिताएं अपने नाम की थीं, लेकिन पिंटू गहलोत ने परिस्थियों को चुनौती देते हुए हार न मानने की ठान ली थी। वह सभी परेशानियों को धत्ता बताते हुए आगे बढ़ते रहे, और खुद को किसी के दया का केंद्र नहीं बनने दिया।
हौसला हो तो जीत निश्चित है
पैरा स्विमर पिंटू ने राज्य पैरा चैम्पियनशिप जीती और 100 मीटर बैकस्ट्रोक में स्वर्ण पदक और 50 मीटर फ्रीस्टाइल टूर्नामेंट में रजत पदक जीता। इसके बाद से उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2016 की राष्ट्रीय चैम्पियनशिप जीती। लॉकडाउन के बाद उन्होंने एक बार फिर 20-22 मार्च को बैंगलोर में आयोजित पैरा स्विमिंग की नेशनल चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीतकर अपना सपना पूरा किया।
नज़रे अगले साल पर
कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन के बाद उन्होंने अपने हौसले को नई बुलंदियों तक ले गये। इसी साल 20-22 मार्च को बैंगलोर में आयोजित पैरा स्विमिंग की नेशनल चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर अपना सपना पूरा किया। अब उनकी नजर 2022 में हांग्जो में आयोजित होने वाली एशियाई चैम्पियनशिप पर बनी हुई है।
राजस्थान पैरा स्वींमिंग टीम के कोच भी हैं पिंटू
अपने हौसले और आत्मविश्वास को अब नई चेतना देते हुए पिछले कई सालों से गहलोत राजस्थान पैरा स्विमिंग टीम के साथ कोच के रूप में जुड़े हुए हैं। विभिन्न टूर्नामेंटों में 100 से अधिक पदक जीतने वाले गहलोत अपनी अकादमी में अब युवा छात्रों को भी प्रशिक्षित कर रहे हैं।
पैरा ओलंपिक में जीतना चाहते हैं मेडल
पिंटू का कहना है कि उसका अंतिम उद्देश्य पैरा ओलंपिक में भाग लेकर उस मंच पर अपनी पहचान बनाना है। उन्होंने कहा कि वह विश्व स्तर के टूर्नामेंट में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश में जुटे है।अब वह एशियाई चैम्पियनशिप के लिए भारत और विदेशों में अपने प्रशिक्षण के लिए लगभग 12 लाख रुपये इकट्ठा करने के प्रयासों में व्यस्त हैं।
पिंटू गहलोत की कहानी हमें बताती है की कोई भी काम असंभव नहीं है, बस ज़रूरत है आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत की। इसलिए ज़िंदगी में कोई भी समस्या हो, तो हमें उसका डटकर सामना करना चाहिए।
इमेज : ईटीवी भारत राजस्थान
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