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आज हम अस्थमा को कंट्रोल करने के बारे में बात करने जा रहे हैं, लेकिन उससे पहले यह जानना ज़रूरी है कि अस्थमा आखिर है क्या और किन कारणों से बढ़ता है। क्या है अस्थमा ? यह एक तरह की ब्रॉक्स एलर्जी है, जिसमें पेशेंट का ब्रॉकाई किसी फॉरेन पार्टिकल की वजह से सिकुड़ जाता है। ऐसा होने पर अकसर पेशेंट की छाती के पास से घरघराहट की आवाज़ें आती हैं, ज़ोरदार खांसी होती है और दम घुंटने जैसा महसूस होता है। अस्थमेटिक अटैक आने पर पेशेंट को सांस लेने में परेशानी महसूस होती है और अगर ज़्यादा देर तक […]
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइज़ेशन) हर साल 28 अप्रैल को ‘वर्ल्ड डे फॉर सेफ्टी एंड हेल्थ एट वर्क’ का आयोजन करता है। साल 2003 से मनाये जा रहे इस दिन का मकसद सुरक्षित, स्वस्थ और सभ्य कामकाजी वातावरण को बढ़ावा देना है। साथ ही यह व्यवसाय में होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने और बीमारियों की रोकथाम को भी बढ़ावा देता है। वर्कप्लेस डेथ और एक्सीडेंट का डेटा – दुनियाभर में हर दिन 6300 लोग वर्कप्लेस पर हुये एक्सीडेंट या वहां के वातावरण से पैदा होने वाली बीमारियों के कारण मर जाते हैं। – हर साल जॉब के दौरान 31.7 […]
बैलेंस लाइफ का मतलब यह नहीं है कि हर चीज़ परफेक्ट हो, बल्कि समय और प्राथमिकताओं के अनुसार अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करना ही असल में घर-ऑफिस के बीच बैलेंस बनाना है। सुकून भरी ज़िंदगी चाहते हैं, तो आपको भी अपने जीवन में संतुलन लाना होगा। इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखें। छोड़ दें परफेक्शन की चाह सुबह 5 बजे उठना, थोड़ी देर वॉक, रेडी होकर ब्रेकफास्ट करना और ऑफिस जाना। रात को लौटने पर डिनर बनाना, 9 बजे खाना खाने के बाद सारे काम निपटाकर 10 बजे बेड पर लेटकर कोई बुक पढ़ना और सो जाना। सुनने में अच्छा […]
आज के ज़माने में हर कोई बस अपने आप में बिज़ी है। उन्हें अपने आसपास के लोगों और समाज के दुख-दर्द से ज़्यादा फर्क नहीं पड़ता, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो स्वयंसेवक (वॉलेंटियर) बनकर सुविधाओं से वंचित लोगों की मदद कर रहे हैं। यदि हर संपन्न इंसान वॉलेंटियर बनकर दूसरे लोगों और समुदाय की मदद करने लगे, तो यकीनन लोगों की तकलीफें कम हो जायेगी। क्यों बनें वॉलेंटियर? वॉलेंटियर बनने पर आपको कोई आर्थिक लाभ तो नहीं होगा, हां यह सच है कि दूसरों की मदद करके दिल को जो सुकून मिलेगा, वह पैसों से नहीं मिल सकता। […]
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, चैत्र साल का पहला महीना होता है और इसकी शुरूआत चैत्र नवरात्रि से होती है। इन नौ दिनों में देवी शक्ति की आराधना की जाती है। देवी शक्ति खुद को तीन रूप में प्रकट करती हैं, इसलिए नौ दिनों के तीन हिस्से कर के देवी के इन तीनों रूप को पूजा जाता है। पहले तीन दिन मां दुर्गा की आराधना की जाती है, जिन्हें उर्जा की देवी माना जाता है। अगले तीन दिन मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है, जो धन की देवी हैं और आखिरी के तीन दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती […]
आप अक्सर सुनते होंगे कि कसरत करने से मूड अच्छा बना रहता है, कभी सोचा है कि ऐसा क्यों कहा जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि फिज़िकल एक्टिविटी के बाद आपके शरीर में एंडोर्फिंस पैदा होते हैं, जो आपके मूड को तरोताज़ा कर देते हैं। लेकिल शारिरिक कसरत के साथ-साथ मूड अच्छा रखने के लिए मानसिक कसरत और खुद को बुरी और उदास भावनाओं से दूर रखने का प्रयास भी बहुत ज़रूरी है। अगर आप खुद को उदासी और डिप्रेशन से बाहर निकालना चाहते हैं, तो इन बातों पर ध्यान दें ः एक ही बात को बार-बार सोचने से बचें बार-बार […]
हंसते-मुस्कुराते चेहरे भला किसे अच्छे नहीं लगते। किसी का मुस्कुराता चेहरा देखकर आपके भी चेहरे पर हंसी आ जाती है और दिल को सुकून मिलता है। वर्ल्ड हैप्पीनेस डे के मौके पर आपको हंसी के फायदे बताते है। हंसी न सिर्फ आपका मूड, बल्कि सेहत भी दुरुस्त रखती है, तो देर किस बात की, सारे दुख-दर्द भूलकर दिल खोलकर हंसे और स्वस्थ रहे। हंसी के फायदे अनेक आप भी नीचे दिये फायदे पढ़कर यकीनन हंसी को अपनी ज़िंदगी में शामिल कर लेंगे। तो सोच क्या रहे हैं, चलिए अब आप भी हंसना शुरू कर दीजिए। और भी पढ़े: अब हैप्पीनेस […]
मिस्टर शर्मा का 17 साल का लड़का रोहन अचानक से चुप रहने लगा, परीक्षा में उसके नंबर भी कम आने लगे। छुट्टी के दिन हमेशा दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने वाला रोहन चुपचाप कमरे में बंद रहने लगा। उसकी इस हालत को देखकर जाहिर है, पैरेंट्स बहुत परेशान हो गये। ये तो शुक्र है कि उसके पैरेंट्स समझदार निकले और रोहन पर गुस्सा करने की बजाय पहले तो उससे प्यार से पूछा कि आखिर क्या हुआ है और फिर साइकोलॉजिस्ट के पास गए। दरअसल, रोहन डिप्रेशन का शिकार हो गया था। पीयर प्रेशर और बार-बार दोस्तों के ताने की वह […]
डिप्रेशन एक ऐसी मानसिक स्थिति होती है, जिसमें डॉक्टर से ज्यादा किसी भी शख्स को बाहर निकलने के लिए आत्मविश्वास की जरूरत पड़ती है। कश्मीर की रहने वाली 20 साल की इंशा ख्वाज़ा भी कई सालों तक डिप्रेशन में रह चुकी हैं। उनकी यह कहानी न सिर्फ आपको प्रेरित करेगी बल्कि सोचने पर भी मज़बूर करेगी कि कैसे एक लड़की ने बुरे वक्त का योद्धा की तरह सामना किया। दस साल में पिता की मौत महज दस साल की उम्र में इंशा के सिर से पिता का साया उठ गया था, जिसके बाद इंशा डिप्रेशन में चली गई। खेलने-कूदने की […]
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