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साल में किसी खास दिन या त्योहार के मौके पर हम में से कई लोग गरीबों को दान करते हैं और कुछ लोग उन्हें खाना भी खिलाते हैं, लेकिन रोज़ाना ज़रूरतमंदों को खाना खिलाने वाले बहुत कम लोग होते हैं। ऐसे ही एक दयावान इंसान हैं, विशाल सिंह, जो एक या दो नहीं, बल्कि रोज़ाना 500 भूखे पेट लोगों को भोजन देते है। खुद के हालात से मिली प्रेरणा विशाल सिंह को गरीबों का पेट भरने का विचार तब आया, जब कुछ साल पहले वह खुद अस्पताल में भूखे बैठे थे। पिता के इलाज के लिए गुरुग्राम आए विशाल के […]
कुछ साल पहले तक पश्चिम बंगाल का छोटा सा गांव कॉलोनीपाड़ा बाहरी दुनिया से पूरी तरह से कटा हुआ था। यहां के लोगों के लिए गांव ही पूरी दुनिया थी। बाहरी लोगों का इस गांव तक पहुंचना बड़ा मुश्किल था क्योंकि गांव में सड़क नाम की कोई चीज़ नहीं थी। लोगों को भी गांव से बाहर जाने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। ऐसे में गांव की महिलाओं ने खुद अपने बलबूते सड़क बनाने की ठानी। पिछले चार सालों में इन महिलाओं ने करीब दस किलोमीटर से अधिक पक्की सड़क का निर्माण कर दिया। इस कारण कई गांव […]
डॉ. प्रभुलिंगास्वामी संगनालमथ 13 नवंबर को एक आम नागरिक की तरह पैरिस से बेंगलुरु का सफर कर रहे थे। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि इस यात्रा के बाद वह साधारण नहीं रहेंगे, बल्कि लोगों के हीरो बन जाएंगे। यात्रा के दौरान कुछ ऐसा हुआ कि आज हर जगह सिर्फ डॉ. प्रभुलिंगास्वामी के ही चर्चे है। कौन हैं डॉ. प्रभुलिंगास्वामी? डॉ. प्रभुलिंगास्वामी 69 साल के मैसूर के कुवेंपुनगर के निवासी हैं। डॉ. प्रभूलिंगास्वामी एक रिटायर्ड सरकारी डॉक्टर हैं और फिलहाल वह निजी तौर पर प्रैक्टिस करते है। कैसे मशहूर हुए डॉ. प्रभुलिंगास्वामी? दरअसल डॉ. प्रभुलिंगास्वामी 13 नवंबर को जब पैरिस […]
गरीब किसान का बच्चा होने के कारण किताबें खरीदकर पढ़ना शंकर के लिए आसान नहीं था। जयपुर जिले के छोटे से गांव रावपुरा में रहने वाले शंकर यह भी जानते थे कि उसके जैसे हज़ारों बच्चे हैं, जिनके लिए किताबें खरीदना आसान नहीं हैं। ऐसे जरूरतमंदों की समस्या का हल उन्हें डिजिटल ऐप्स में नज़र आया। इसी के चलते उन्होंने बिना किसी प्रोफेशनल डिग्री के 40 से ज्यादा एजुकेशनल ऐप्स बना दिए, जो दूसरों के पढ़ने में मदद कर रहे हैं। शंकर के सारे ऐप्स मुफ्त उपलब्ध है और सबसे खास बात यह है कि ये ऐप्स ऑफलाइन काम करते […]
मेहनत और निष्ठा के बल पर कुछ भी हासिल किया जा सकता है। इस कथन को सच साबित कर दिया है 22 साल के रोमन सैनी ने,
पुणे नगर निगम क्लीन-अप ड्राइव की समीक्षा और लोगों को जागरूक करेगा।
सूरत का एक सुरक्षा गार्ड पिछले कई सालों से पत्र लिखकर शहीदों के प्रति आभार व्यक्त कर रहा है।
दिनेश बडगैंडी, जिन्होंने गांव के बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए मोबाइल प्लानेटेरियम बनाया और इससे लाखों बच्चों को फायदा हो रहा है।
मुंबई में ब्रिटिश जमाने के बने भूमिगत नालों और नालियों की सफाई के लिए अब रोबोट को उतारा जाएगा। यह रोबोट आसानी से मेनहोल में उतरकर सीवर की अच्छी सफाई कर सकेंगे। इनकी सफाई के लिए फिलहाल इंसानों के साथ मशीनों की भी मदद ली जाती है लेकिन इससे नालों के अंतिम छोर तक की सफाई संभव नहीं हो पाती है। इसी दिक्कत को देखते हुए अब वाईफाई, ब्लूटूथ और कंट्रोलिंग सिस्टम से बने रोबोट सीवर की सफाई को अंजाम देंगे। खास बात यह कि जनवरी 2019 से ही रोबोट का उपयोग करने के लिए सिविक बॉडी दो साल में […]
जब हम किसी के अंधेरे में रोशनी देने का प्रयास करते है, तो मन को बहुत सकून मिलता है। कुछ ऐसा ही करने का जज़्बा तीन ऑस्ट्रेलियाई युवाओं को महसूस हुआ, जब उन्होंने भारत में रहने के दौरान झुग्गियों के बच्चों की दुर्दशा को देखी। उन लोगों की ज़िंदगी को बेहतर करने के लिए तीनों युवाओं ने जरूरतमंद लोगों को सोलर लैंप बांटना शुरू किया। बाद में हमारे देश के तीन अन्य युवा भी उनके इस नेक काम से जुड़ गए और उसके बाद उन्होंने पराग ऊर्जा नाम की एक सोशल इंटरप्राईजेज की स्थापना की। इस मुहिम के द्वारा उन्होंने […]
कचरा प्रबंधन को सस्टेनेबल विकास का महत्वपूर्ण फैक्टर माना जाता है। सस्टेनेबल विकास का मतलब पर्यावरण फ्रेंडली और लॉन्ग टर्म विकास से है। कचरे को दोबारा इस्तेमाल करने से हमारी प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भरता काफी हद तक कम हो जाती है। इसलिए इन दिनों सस्टेनेबल विकास की योजना बनाते समय कचरा प्रबंधन पर बहुत ज़ोर दिया जाता है। सूरत में 165 साल पहले हुआ शुरू हालांकि, देश आज कचरा प्रबंधन की दिशा में जागरूक और अग्रसर हुआ है लेकिन बता दें कि गुजरात के सूरत शहर में आज से 165 साल पहले कचरा प्रबंधन का काम शुरू कर दिया गया […]
कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता फर्क सोच में होती है, क्योंकि मेहनत तो सभी में करनी है।
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