अनिकेत 5 मिनट के लिए किताब खोलता है, फिर भागकर कोई खिलौना उठा लेता हैं, 10 मिनट बाद किचन में जाकर खाने की कुछ चीज़ें तलाशने लगता है, तो दूसरे ही पल मां से दोस्तों के साथ खेलने की ज़िद्द करने लगता है। यानी अनिकेत आधा-एक घंटा भी स्थिर होकर कोई एक काम नहीं कर पाता या किसी एक चीज़ पर फोकस नहीं कर पाता है। अनिकेत की हरकतों से परेशान उसकी मां को लोगों ने सलाह दी कि अनिकेत की एकाग्रता बढ़ाने के लिए उसे मेडिटेशन का अभ्यास कराना शुरू कर दे। यदि आपके बच्चे के साथ भी इसी तरह की कुछ समस्या है, तो आज से ही उसे मेडिटेशन की प्रैक्टिस करवाना शुरू कर दीजिए।
कितना मुश्किल है बच्चों को मेडिटेशन सिखाना
मेडिटेशन का अभ्यास आसान नहीं है, जब हम बड़े ही शुरुआत में शांति से 10-15 मिनट नहीं बैठ पाते हैं तो भला बच्चों से कैसे उम्मीद कर सकते हैं, लेकिन धीरे-धीरे जैसे हमें आदत हो जाती है वैसे ही बच्चों को भी हो जाएगी, लेकिन इसके लिए पैरेंट्स को धैर्य के साथ बच्चे को सिखाना होगा। शुरू में बच्चा आंखें बंद करके एक ही जगह पर बैठने के लिए राजी नहीं होगा, लेकिन आपको यदि वह रोज़ाना ऐसा करते हुए देखेगा तो धीरे-धीरे करने लगेगा। साथ ही उसे उसकी भाषा में ही समझाएं कि मेडिटेशन भी एक तरह का खेल है जिससे उनका दिमाग तेज़ बनेगा।
बच्चों के लिए मेडिटेशन के फायदे
शुरुआत से ही ध्यान का अभ्यास करते रहने से अपनी प्रोफेशनल लाइफ में पहुंचने तक बच्चा अपनी भावनाओं पर अच्छी तरह कंट्रोल रखना सीख जाएगा। वह अपने दिमाग को शांत रखना, भावनाओं को हैंडल करना, किसी चीज़ पर ध्यान केंद्रित करना सीख जाता है। जिससे वह न सिर्फ पढ़ाई मन लगाकर करता है, बल्कि दूसरों के प्रति प्रेम और दयालुता का भावना भी उसके अंदर आ जाती है, साथ ही उसका संपूर्ण विकास होता है। छोटी उम्र से ही जो बच्चे मेडिटेशन करने लगते हैं उनका आत्मविश्वास बढ़ता है और वह दूसरे बच्चों की तुलना में शांत रहते हैं। प्यूबर्टी शुरू होने से पहले ही यदि वह इसका अभ्यास करें, तो इस दौरान होने वाले हार्मोनल और भावनात्मक बदलावों से अच्छी तरह निपट सकते हैं। इसके अलावा टीनेजर्स पीयर प्रेशर और पढ़ाई के तनाव को भी अच्छी तरह हैंडल कर सकते हैं।
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कैसे सिखाएं मेडिटेशन?
यदि बच्चा टीनेज में है तो एक बार समझा देने पर वह खुद ब खुद मेडिटेशन करने लगेगा, लेकिन यदि वह 8-10 साल का है तो आपको उसके साथ बैठकर रोज़ाना उसे मेडिटेशन करना होगा। इसके लिए-
- सबसे पहले कोई शांत जगह तलाशे या फिर सुबह जब भीड़ न हो तब पार्क में ले जाएं।
- वहां दोनों पैर मोड़कर उसे बैठने के लिए कहें या पहले आप बैठें और उसे कहें कि आपको फॉलो करे।
- फिर बच्चे को पीठ सीधी रखकर दोनों आंखें बंद करके बैठने के लिए कहें और कहें कि वह किसी चीज़ के बारे में न सोचें। एकदम रिलैक्स हो जाए।
- फिर उसे आराम से लंबी-लंबी सांस लेने के लिए कहें।
- यदि बच्चा आंखें बंद करने को राज़ी नहीं होता है तो कोई सुकूनदायक संगीत भी लगा सकते हैं ताकि बच्चे का ध्यान सिर्फ संगीत पर रहे और वह रिलैक्स हो सके।
- एक दिन में ही बच्चा सीख नहीं जाएगा, इसके लिए आपको रोज़ाना उसे अभ्यास करवाना होगा।
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