खुश रहने, खुद पर यकीन करने और ज़िंदगी में आगे बढ़ने के लिए बच्चों का खुद पर विश्वास होना या सेल्फ एस्टीम बहुत ज़रूरी है। जो बच्चे खुद पर विश्वास रखते हैं वह अपने आप से प्यार करते हैं और अपने हर काम पर गर्व करते हैं। इसलिए ज़रूरी है कि माता-पिता छोटी उम्र से ही बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाने की कोशिश करें।
जीतने से ज़्यादा ज़रूरी है सीखना
कोई गलती करने पर न तो खुद निराश हो न ही बच्चे को उदास होने दें, बल्कि उसे समझाए कि गलतियां तो हर किसी से होती है, लेकिन ज़रूरी है उससे सबक सीखकर आगे बढ़ना। बच्चे को सिखाएं कि हार के डर से कोई नया काम सीखना/करना बंद न करें, बल्कि हर दिन कुछ न कुछ सीखते रहे, क्योंकि जीतने से ज़्यादा ज़रूरी है सीखना।
बच्चे को चोट लगने दें
हर माता-पिता अपने बच्चे को किसी भी प्रकार की हार और चोट से बचाना चाहते हैं, लेकिन याद रखिए कि आपका ज़रूरत से ज़्यादा सुरक्षात्मक रवैया बच्चे में आत्म सम्मान का विकास नहीं होने देगा। बच्चा यदि फुटबॉल, क्रिकेट खेलते समय गिरता है तो उसे उठाए नहीं खुद उठने दें। किसी खेल में हार जाता है तो उसे उदास न होने दें, बल्कि समझाएं कि उसने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की यदि बहुत है।
कोशिशों की तारीफ करें
आत्म विश्वास बढ़ाने के लिए ज़रूरी नहीं है कि बच्चा हर चीज़ या काम में सफल ही रहे, बल्कि जरूरी यह है कि वह अपनी क्षमताओं का सही इस्तेमाल करें और जब भी वह ऐसा कर रहा है, माता-पिता को उसकी तारीफ करनी चाहिए। स्कूल की बास्केटबॉल प्रतियोगिता में भले ही उसकी टीम हार गई हो, लेकिन उसने अपनी तरफ से जो बेहतरीन खेल दिखाया उसके लिए उसकी तारीफ करनी ज़रूरी है इससे बच्चे का खुद पर विश्वास बढ़ेगा।
बच्चे को पैशन ढूंढ़ने में मदद करें
हर बच्चा अलग होता है तो जाहिर है उसके शौक और पैशन भी अलग होंगे। किसी को डांस तो किसी को पेंटिंग में मज़ा आता है और जब बच्चा अपना मनपसंद काम करता है तो उसका आत्मविश्वास बढ़ता है। इसलिए हर पैरेंट्स को बच्चे पर अपनी मर्जी थोपने की बजाय उसे खुद ही अपना पैशन ढूंढ़ने देना चाहिए।
लक्ष्य तय करें
जब हम कोई लक्ष्य तय करते हैं और उसे पूरा कर लेते हैं तो कितनी खुशी मिलती है न और खुद पर गर्व भी होता है। कुछ ऐसा ही बच्चों के साथ भी करना चाहिए। जाहिर सी बात है कि उनके लिए लक्ष्य छोटे और आसान तय करें ताकि उसे पूरा करने के बाद बच्चे को संतुष्टि मिले और उसका आत्मविश्वास बढ़े।
बच्चों में सेल्फ एस्टीम या आत्मविश्वास विकसित करना बहुत ज़रूरी है क्योंकि इसी की बदौलत वह अपने आप को स्वीकार कर पाते हैं, गलतियों से घबराते नहीं है, अपने बारे में अच्छा महसूस करते हैं और खुद पर गर्व करते हैं।
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