तीन साल की आयुषी जब खाने में नखरे दिखाती है, तो उसकी मम्मी मोबाइल में कोई गाना या कविता लगाकर उसे दे देती है। उसे देखकर आयुषी खुशी-खुशी अपना खाना खा लेती है और ऐसा दिन में तीन से चार बार होता है। इतना ही नहीं, जब उसकी मां को कुछ काम रहता या आयुषी ज़्यादा रोने लगती है, तो भी उसे आईपैड पर गाने या कार्टून लगाकर दे देती है। वैसे यह कहानी आयुषी की ही नहीं है, बल्कि आजकल लगभग सभी बच्चों पर लागू होती है। इससे उनकी सेहत पर असर पड़ रहा है।
स्क्रीन टाइम न हो ज़्यादा
हाल ही में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्लू एच ओ) ने बच्चों के स्क्रीन टाइम को लेकर नई गाइडलाइन्स जारी की है। इसके मुताबिक पांच साल से कम उम्र के बच्चों को मोबाइल, आईपैड की स्क्रीन का इस्तेमाल एक घंटे से ज़्यादा नहीं करना चाहिये। दरअसल, पांच साल तक की उम्र बच्चों के संपूर्ण विकास की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिये इस दौरान उनकी डाइट से लेकर फिज़िकली एक्टिविटी तक पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी है।
आजकल मोबाइल, टीवी, आईपैड से चिपके रहने के कारण बच्चों में मोटापा तेज़ी से बढ़ रहा है और डब्लू एच ओ की नई गाइडलाइन्स दुनिया में बच्चों में बढ़ते मोटापे को लेकर चिंता जाहिर करती है। यूएन हेल्थ एजेंसी के मुताबिक, दुनियाभर के छह प्रतिशत बच्चे ओवरवेट हैं और इसका बहुत बड़ा कारण है फिज़िकली एक्टिव न होना। डब्लू एच ओ की नई गाइडलाइन्स में साफ कहा गया है कि पांच साल तक की उम्र के बच्चों का स्क्रीन टाइम एक घंटे से ज़्यादा होना उनकी सेहत के लिए ठीक नहीं है। वैसे बच्चों के साथ बड़ों को भी मोबाइल से दूर रखने के आसान तरीके कई है।
नींद भी ज़रूरी
छोटे बच्चों को प्रैम या चेयर पर ज़्यादा देर बिठाना ठीक नहीं है। उनके लिए दौड़ना, चलना जैसी फिज़िकल एक्टिविटी तो ज़रूरी है ही, साथ ही बच्चों को ज़्यादा सोना भी चाहिये। इससे उनकी सेहत बनी रहती है। नींद पूरी होने से बच्चा फिज़िकली और मेंटली तौर पर सेहतमंद रहता है। आपने देखा होगा, जो बच्चे कम सोते हैं, वे अक्सर चिड़चिड़े हो जाते हैं और छोटी-छोटी बात पर रोने लगते हैं। इसलिए पांच साल तक के बच्चों को सोना ज़रूरी है।
ज़्यादा मोबाइल, टीवी के खतरे
मोबाइल, आइपैड और टीवी से ज़्यादा देर तक चिपके रहने से न सिर्फ मोटापा बढ़ता है, बल्कि इसका असर बच्चों के दिमागी विकास पर भी होता है। आंखों की रोशनी जल्दी कम होने लगती है और किसी चीज़ पर ध्यान केंद्रित कर पाने में परेशानी होती है। मोबाइल से निकलने वाला रेडिएशन भी बच्चों के लिए बहुत हानिकारक होता है।
बहलाने के अन्य बहाने
बच्चों को बहलाने के लिए मोबाइल भले ही सबसे आसान साधन लगे, लेकिन यह सबसे खतरनाक चीज़ है, इसलिए छोटी उम्र से बच्चों को इससे दूर रखने की कोशिश करें। इसकी बजाय उन्हें कोई खिलौना, पिक्चर वाली बड़ी बुक आदि देकर बहलायें। याद रखिये, आपके लिये सबसे ज़्यादा ज़रूरी है, आपके बच्चे की सेहत।
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