बैक टू स्कूल सीजन की शुरूआत हो चुकी है। स्कूल के पहला दिन खास भी होता है और तनाव भरा भी। चाहे आपका बच्चा किंडरगार्डन की शुरुआत कर रहा हो या कोरोना काल के 2 साल बाद स्कूल लौट रहा हो। ऐसे में उसके आने वाले साल को उत्साहपूर्ण बनाने के लिए कुछ तैयारी करना बहुत ज़रूरी है, जिसमें उनके डर और तनाव को दूर किया जा सकें। लंबी छुट्टी के बाद वापस स्कूल जाना जहां कुछ बच्चों को उत्साहित करता है, तो कुछ बच्चों के लिए यह तनावपूर्ण होता है।
क्यों होते हैं बच्चों के साथ पैरेंट्स भी तनाव में?
जैसे-जैसे स्कूल शुरू होने लगता है बच्चों के लिए घबराहट का अनुभव होना स्वाभाविक है। यह बच्चों के रोज़मर्रा की ज़िंदगी में कई बदलाव लाता है। कुछ बच्चे खुशी के साथ इस बदलाव को स्वीकार करते हैं, तो कुछ बच्चों को इसमें ढलने में समय लगता है। इस तनाव का असर सिर्फ बच्चों को ही नहीं, उनके पैरेंट्स को भी परेशान करता है। अक्सर स्कूल शुरु होते ही बच्चों के बदलते मूड के कारण पैरेंट्स चिंता में डूबे रहते हैं। ऐसे में यहां कुछ उपाय है, जो पैरेंट्स के साथ उनके बच्चों को स्कूल के पहले दिन जाने वाले डर, तनाव को कम करने और शांत होने में मददगार करेगा।
लक्ष्य बनाने और ज़िम्मेदारी लेने का मनोबल बढ़ाएं
स्कूल जाने के कुछ दिन पहले ही बच्चों को प्रोत्सहित करें कि उन्हें अपना एक लक्ष्य तैयार करना है और उस लक्ष्य को पूरा करने की ज़िम्मेदारी लेना। फिर चाहे वह प्रीस्कूलर या माध्यमिक स्कूल बच्चा हो। इसके लिए उन्हें किसी प्रकार का दबाव न डालें, लेकिन उनपर पूरा ध्यान दें। उन्हें बताएं कि उन्हें स्कूल में अपना फोकस बनाना है और साथ ही साल के अंत तक उन्हें अपने लक्ष्य को पूरा करना है। ऐसा माना जाता है कि जिन बच्चों को अपने लक्ष्य के बारे में पता होता है, उन्हें सीखने में और अपने लक्ष्य तक पहुंचाने में सफलता मिलती है।
बच्चों के सब्जेक्ट से जुड़ें
अगर आप अपने बच्चे को लक्ष्य निर्धारित करने में मदद करना चाहते हैं, तो उनके सारे सब्जेक्ट के साथ जुड़ें और इस बात का पता लगाएं कि स्कूल में वे क्या सीख रहे हैं, किसमें उनका स्किल बेहतर करना है और हो सकता है। हमेशा उनके टीचर से बात करते रहें, साथ ही उनके सब्जेक्ट से संबंधित चर्चा करते रहें। इससे बच्चों को होने वाले दिक्कत के बारे में न सिर्फ आपको जानकारी होगी, बल्कि यह जानने का मौका भी मिलेगा कि बच्चों के किस स्किल पर काम करने की आवश्यकता हो सकती है।
उठने और जागने की आदत में सुधार करें
छुट्टियों के समय बच्चों का शेड्यूल बहुत ही आरामदाय होता है, जो उनकी आदत बन जाती है। यही आदत स्कूल के पहले कुछ दिनों को कठिन बना सकती है। इसलिए स्कूल शुरु होने के कुछ दिन पहले से ही बच्चों को जल्दी सोने और जागने की आदत में बदलाव करें, ताकि स्कूल शुरू होने तक उन्हें समय पर जागने की आदत हो जाए।
स्कूल की बातें बताकर सहज महसूस कराएं
कई बच्चे स्कूल का नाम सुनते ही डरने लगते हैं। आप उन्हें मानसिक तौर पर स्कूल जाने के लिए तैयार करें। स्कूल की मज़ेदार बातें या ऐसी स्कूल की कहानियां सुनाएं, जिससे वह जाने के लिए तैयार हो जाएं। आप उन्हें स्कूल की एक्टिविटीज, नए दोस्त बनाने के बारे में बताएं। उन्हें पूरी तरह से स्कूल के खेल, खिलौने, मनपसंद खाना और स्कूल पार्क जैसी दिलचस्प जगहें बताकर उनमें स्कूल के प्रति दिलचस्पी बढ़ाएं।
सावधान और सतर्क रहना सिखाएं
आप बच्चों को हर परिस्थिति में सावधान रहने और सतर्क रहने की सीख दे। उन्हें बताए कि अगर कोई ऐसी परिस्थिति सामने आ जाए जब आप स्कूल से घर आने में देरी हो जाए या बस छूट जाए, तो घबराए नहीं। हर स्थिति में कैसे तैयार रहना और सावधानी बरतनी है यह सारी बातें आप पहले से ही करें। ऐसी छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर उन्हें घबराहट और तनाव को कम करने में मदद मिलेगी।
बच्चों में किसी भी चीज़ को जल्दी सीख जाते हैं, इसलिए स्कूल के बारे में पॉज़िटिव रूप से बोलने की कोशिश करें और इसके पॉज़िटिव पहलुओं पर ज़ोर दें। इससे स्कूल जाने का डर और तनाव कम करने में मदद मिलेगा।
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