आजकल कोरोना ने लोगों को व्यक्तिगत साफ-सफाई की ओर ध्यान देना सिखा दिया है। हालांकि पहले भी लोग पर्सनल हाइजीन पर ध्यान देते ही थे, लेकिन कोरोना से बचने के लिए लोगों ने इसे बहुत ज़्यादा सीरियसली ले लिया और हो भी क्यों न, व्यक्तिगत स्वच्छता होना सेहत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। पर्सनल हाइजीन की आदतों में सुधार करना और खुद की देखभाल करने से ही शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है।
क्या होती है पर्सनल हाइजीन?
रोज़मर्रा की ज़िंदगी में हम लाखों बाहरी कीटाणुओं और वायरस के संपर्क में आते हैं। वे हवा, धूल या मिट्टी के ज़रिये पूरे शरीर के आसपास घूमते रहते है ऐर यही कीटाणु हमारे शरीर को बीमार कर देते हैं। जब हम अपने शरीर की देखभाल करते हैं यानी बाहरी शरीर के सभी अंगों को साफ और स्वस्थ रखते है, तो इसका फायदा न सिर्फ बाहरी शरीर को मिलता हैस बल्कि इससे मन और दिमाग भी सेहतमंद रहता है।
अक्सर लोग कह देते हैं कि सेहतमंद रहने के लिए पौष्टिक खाना और कसरत बहुत ज़रूरी है लेकिन इसके साथ शरीर के सभी अंगों जैसे आंख, कान, नाक, दांत, नाखून, बाल, त्वचा, आदि की सफाई और उपयोग में किये जाने वाले कपड़ों और दिन-प्रतिदिन काम में आने वाली चीज़ों की सफाई भी बहुत मायने रखती है। मनुष्य की आदतें भी पर्सनल हाइजीन के अंदर आती हैं, जिन पर व्यक्ति का स्वास्थ्य निर्भर करता है।
पर्सनल हाइजीन के प्रकार
शौचालय
टॉयलेट का उपयोग करने के बाद अपने हाथों को अच्छी तरह धोएं। कम से कम 20 से 30 सैकेंड साबुन लगाकर उसे अपनी उंगलियों के बीच, अपने हाथों के पीछे और अपने नाखूनों को रगड़े और फिर साफ पानी से अच्छी तरह से धो लें। गर्म पानी से कुल्ला करके हाथों और पैरों को साफ तौलिये से पौछिए।
नियमित रुप से नहाएं
व्यक्तिगत प्राथमिकता इस बात पर निर्भर करती है कि व्यक्ति दिन में कितनी बार नहाता है। रोज़ाना साबुन लगाकर नहाने से शरीर की डैड सेल्स, बैक्टीरिया और ऑयल को साफ करने में मदद मिलती है। अगर व्यक्ति कहीं बाहर से आ रहा है, तो दो बार नहाना या अच्छी तरह से हाथ-पैर और मुंह को धोना चाहिए। बालों को भी हफ्ते में कम से कम दो बार धोना चाहिए, ताकि बाहरी धूल-मिट्टी को साफ हो सके। बाहर से आने के बाद स्नान करने से त्वचा के छिद्र खुल जाते हैं और पसीना आसानी से बाहर निकल जाता है। स्नान करने से शरीर में रक्त संचार तीव्रता से होने लगता है, जिससे थकान दूर होकर स्फूर्ति का अनुभव होता है।
नाखून की सफाई
नाखूनों को नियमित रूप से काटना, छोटा और साफ रखना ज़रूरी है। नाखूनों की गंदगी को नेल ब्रश या धुले हुए कपड़े साफ करना चाहिए। नाखून साफ होंगे, तो समझिए आपका पेट भी कीटाणुओं से बच गया। अगर नाखून बड़े है, तो उन्हें हमेशा साफ रखने में पूरा ध्यान दें। समय-समय पर हाथों में कुछ लगने के बाद तुरंत ही पानी या सैनिटाइज़र से साफ करें।
दांतों की सफाई
अपने दांतों और मसूड़ों की देखभाल करना दांतों को बीमारियों से रोकने का अच्छा तरीका है। 2 मिनट के लिए दिन में कम से कम दो बार ब्रश करें। दांतों की मैल के कारण मुंह से बदबू आने लगती है। दांतों की नियमित सफाई न करने से उसमें कीड़ा लगने का रिस्क बढ़ जाता है और कई बार तो उम्र से पहले ही दांत टूट भी जाते हैं। अगर आप दांतों के दर्द और डॉक्टर के पास जाने से बचना चाहते हैं, तो सुबह-शाम खाना खाने के बाद कुल्ला करके दांतों को ज़रूर साफ करें।
पौष्टिक आहार
मनुष्य की आयु, काम और मौसम के अनुसार संतुलित और पौष्टिक तत्वों वाला भोजन होना चाहिए। अगर आप भूख से ज़्यादा या कम खाना खाते हैं, तो दोनों ही बातें हानिकारक है। ज़्यादा खाना खाने से पाचन संबंधी रोग हो जाते हैं। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि भोजन ताज़ा होना चाहिए और ऐसा हो जो आसानी से पच जाए। भोजन करते समय कुछ बातों पर ध्यान देना ज़रूरी है- भूख लगने पर ही खाना खाए। खाते समय फोन या टीवी न देखें। खाते समय मन शांत रखें और अच्छी तरह चबाकर खाना चाहिए। भोजन करने के तुरंत बाद नहीं सोना चाहिए।
इन छोटी-छोटी व्यक्तिगत स्वच्छताओं का ध्यान रखने से व्यक्ति के सामाजिक जीवन और उनके शारीरिक और मानसिक सेहत पर पॉज़िटिव प्रभाव पड़ता है। एक स्वस्थ शरीर और दिमाग रखने के लिए पर्सनल हाइजीन पर ध्यान देना और उसे नियमित बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
और भी पढ़िये : मटर से बनी 5 रेसिपीज़ का लुत्फ उठाएं, अपनी सेहत भी बनाएं
अब आप हमारे साथ फेसबुक, इंस्टाग्राम और टेलीग्राम पर भी जुड़िये।