अहिंसा परमो धर्म:

अहिंसा परमो धर्म:

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गांधी जी उन लोगों में से हैं, जिनका प्रभाव ना सिर्फ अपने देशवासियों पर पड़ा बल्कि पूरी दुनिया ने उनके सिद्धांतों को माना। उनके सम्मान में हर साल दो अक्टूबर यानि कि उनके जन्मदिन पर अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाया जाता है। अहिंसा ही एक ऐसा तरीका है, जो बिना रक्त बहाए गहरी चोट देता है, इसलिए कई महान हस्तियों, जैसे मार्टिन लूथर किंग, जेम्स लॉसन, नेल्सन मंडेला ने सामाजिक हित के लिए गांधी जी के विचारों को ध्यान में रखते हुए अपनी जीवन के सिद्धांत बनाए।

अहिंसा अन्याय को हराने का एक सुरक्षित, प्रभावी और स्थायी तरीका हो सकता है, लेकिन किसी अन्य विज्ञान की तरह इसका पालन करने के लिए ज्ञान, साहस और दृढ़ संकल्प की ज़रूरत होती है। कुछ ऐसे तरीके हैं, जिनका रोज़ाना अभ्यास करने से आप रोज़मर्रा की ज़िंदगी में सफलता सुनिश्चित कर सकते हैं, बस यह याद रहे कि किसी भी परिस्थिति में आप बुरे काम और विचारों के खिलाफ लड़ें, यह लड़ाई किसी इंसान के खिलाफ नहीं होनी चाहिए।

 इज़्ज़त देना सीखें

दूसरों के साथ-साथ खुद को भी इज़्ज़त दें, ना किसी का अपमान करें और ना ही सहें।
जितना अधिक हम दूसरों का सम्मान करते हैं, उतना ही प्रभावी ढंग से हम उन्हें बदलाव के लिए राज़ी कर सकते हैं। संबंधों में सुधार लाना ही अहिंसा की सबसे बड़ी सफलता है, अगर किसी के साथ संबंध अच्छे हो तो कोई भी काम आपसी सहमति और आसानी से किया जा सकता है।

विकल्प हमेशा रचनात्मक हो

आप वास्तविक स्थिति को समझकर ही उसे बदलने की कोशिश करें। कुछ बदलने के लिए एक नया मॉडल बनाना ज़रूरी है, जो मौजूदा मॉडल से बेहतर हो। गांधी जी ने 18 योजनाएं शुरू की थीं, जिनकी मदद से भारतीय अपने समाज को आत्मनिर्भर बनाने में सक्षम बने थे और अपने लोकतंत्र की नींव को मज़बूत कर पाए थे, इसी वजह से अंग्रेज़ों से आज़ादी पाना आसान हुआ था।

इमेजः फाइल इमेज

अहिंसा के पॉज़िटिव परिणाम

किसी भी काम का परिणाम आपके नियंत्रण में नहीं होता, लेकिन आप अपने साधन, भावनाओं और दिमाग की अवस्था को नियंत्रित कर के पॉज़िटिव परिणाम के लिए प्रयास कर सकते हैं। यह हो सकता है कि जीवन में आपको कभी छोटे-मोटे समझौते करने पड़े, या काम की रणनीति बदलनी पड़े लेकिन आप अपने लक्ष्य को स्पष्ट रखें और अपने अहिंसा के सिद्धांतो पर चलें, ऐसा करने से हमेशा जीत हासिल होगी।

दोनों तरफ की जीत सुनिश्चित करें

किसी भी संघर्ष में ज़रूरी नहीं कि एक जीता है तो दूसरे की हार हुई हो, दोनों पक्ष अपनी-अपनी जगह सही हो सकते हैं इसलिए विजेता बनने या दूसरों पर हावी होने की बजाय कुछ नया सीखें और हालात को सबके लिए बेहतर बनाएं। जीत हासिल हो जाए, तो घमंड कभी ना करें। इसे अपनी जीत मानने की बजाय सिद्धांतों की जीत समझें, जो किसी भी बुराई के खिलाफ हैं।

हिंसात्मक रवैये से इंसान को जीत तो हासिल हो जाती है लेकिन आत्मीय शांति कभी नहीं मिलती और सही जीवन जीने के लिए आत्मीय शांति ज़रुरी है, जो ‘अहिंसा परमो धर्म’ के पालन करने से हासिल हो सकती है।

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