पढ़ेगा देश तभी तो आगे बढ़ेगा देश

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किसी भी बच्चे के विकास के लिए जिस तरह अच्छा खान-पान, खेल-कूद और और आठ घंटे की नींद ज़रूरी होती है, ठीक उसी तरह उसके पढ़ने के लिए स्कूल के सिलेबस के साथ-साथ दूसरी किताबें जैसे कहानियों की किताब, जीवनी, सामाजिक ज्ञान की किताबें भी बहुत ज़रूरी होती हैं। ये किताबें बच्चों की कल्पना को उड़ान देती हैं, उन लोगों के बारे में बताती हैं, जिन्होंने समाज के लिए प्रेरणात्मक काम किए हैं। आस-पास की घटनाओं के बारे में जानकारी देती हैं और बच्चे एक जगह बैठकर पूरी दुनिया के बारे में पढ़ सकते हैं। इस बात की महत्ता को समझते हुए दिल्ली की एक एनजीओ ‘गुज़ारिश’ ने ‘बुक्स फॉर ऑल’ नाम की पहल शुरू की हैं।

क्या है बुक्स फॉर ऑल

यह एक ऐसा माध्यम है, जिसकी मदद से लोग अपनी किताबें डोनेट कर सकते हैं, जिन्हें ज़रूरतमंद बच्चों के पास पढ़ने के लिए भेजा जाता है। जहां एक तरफ सरकार बच्चों के लिए पाठ्यक्रम की किताबें  मुहैया करवाती है, वहीं दूसरी तरफ गुज़ारिश उन तक दूसरी किताबें पहुंचाने की कोशिश कर रही हैं। अभी तक 25000 बच्चों को इस कदम से फायदा पहुंच चुका है और यह संगठन दिल्ली के बाद ,डिजिटलाईज़ेशन की मदद से, दूसरे शहर के बच्चों तक भी किताबें पहुंचाना चाहती हैं।

इमेजः फाइल इमेज

ऐसा है काम करने का तरीका

पिछले तीन साल में यह एनजीओ डिजिटल हो गई हैं, जहां हर किताब को एक बार कोड दिया गया है और वेबसाइट पर डिस्प्ले किया गया है। लाभार्थी अब अपनी पसंद की किताब को मात्र 10 रुपये में मंगवा सकते हैं, यह रकम लॉजिस्टिक खर्चों से उभरने के लिए रखी गई है।

जो भी लोग किताबें दान करना चाहते हैं, वह संगठन से संपर्क करते हैं और तय किए गए समय के हिसाब से गुज़ारिश के वॉलंटियर्स किताबें पिक करते हैं और अलग कैटेगरी में बांट देते हैं। फिर इन किताबों को उन एनजीओ को भेजा जाता है जो बच्चों के लिए काम करती हैं, साथ ही लो इकम ग्रुप के बच्चों को सीधे से दे दी जाती हैं। किताब पढ़ने के बाद बच्चों से रिव्यू लिखवाकर डोनर्स को दिया जाता हैं।

पारदर्शिता से होता है काम

गुज़ारिश को कोई भी किताबें दान कर सकता हैं, फिर चाहे कोई व्यक्ति हो या बड़ी कॉर्पोरेट्स के साथ भी काम करती है और अब तक 150 एनजीओ के साथ जुड़ चुकी हैं। खास बात यह है कि जिन बच्चों को किताबें दी जाती हैं, उन सभी से रिव्यू भी लिखवाया जाता हैं, जिसे डोनर्स के पास भेजा जाता है, इससे उन्हें खुशी और इत्मीनान दोनों रहते हैं कि किताबों का सही इस्तेमाल हो रहा हैं और उनकी मदद से छोटा ही सही बदलाव आ रहा है।

अगर आपके पास भी ऐसी किताबें हैं, जिसे आप पढ़ चुके हैं, तो आप भी ऐसे लोगों को दान करें, जिन्हें इनकी जरूरत हैं क्योंकि पढ़ेगा इंडिया, तभी आगे बढ़ेगा इंडिया।

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