बोलने के साथ दूसरों को सुनना भी क्यों ज़रूरी है?

बोलने के साथ दूसरों को सुनना भी क्यों ज़रूरी है?

बात को सुनना और समझना, दोनों के कई फायदे हैं
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क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि दिन भर में आप कितना बोलते हैं और कितना सुनते हैं? शायद आपको ये बात अटपटी लगे लेकिन ये सच है कि ज़्यादा बोलने की बजाय सुनना फायदेमंद होता है। आइए जानते हैं कि कम बोलना और ज़्यादा सुनना क्यों चाहिए और इसके क्या फायदे होते हैं।

सुनना है एक कला

जिस व्यक्ति में सुनने की कला होती है, वह दूसरों के साथ बेहतर संवाद स्थापित करने में हमेशा सफल होता है। बात को सुनकर और उसे समझकर आगे बात करने पर जीवन में सफल होना आसान हो जाता है।

ज्ञान बढ़ता है

अच्छा श्रोता होना आपको दूसरों की आंखों से दुनिया देखने का एक मौका देता है। यह आपकी समझ और सहानुभूति की क्षमता को बढ़ाता है। किसी को सुनने की क्षमता आपको दूसरे व्यक्ति की परिस्थिति को अच्छे से समझने में मदद करता है। ज्ञान हमेशा बोलने से नहीं बल्कि दूसरों को सुनने से बढ़ता है। एक अच्छा श्रोता यानी सुनने वाले को यह फायदा होता है की वक्ता कई बार कुछ ऐसी बातें बता जाता है जिसे अपनाकर जीवन में बदलाव  किया जा सकता है।

नहीं होता है कोई पछतावा

जो लोग ज़्यादा बोलते हैं अक्सर वे दूसरों के सामने कुछ ऐसी बातें बता देते है, जिसे याद करके उन्हें बाद में पछतावा होता है इसलिए कम बोलें और दूसरों को ज़्यादा सुनें और जब भी बोलें तो सोच-समझकर ही बोलें।

नहीं होता है कोई पछतावा
बातों को ध्यान से सुनें |इमेज : फाइल इमेज

बढ़ता है विश्वास

जब आप चुप रहकर दूसरों को सुनते हैं, तो आप बातों और मुद्दों को अच्छी तरह समझ चुके होते हैं। दूसरों को सुनने के बाद आप जब भी बोलते हैं, तो लोग आपको गंभीरता से सुनते हैं, उनके मन में आपके प्रति विश्वास बढ़ने लगता है। 

रिश्ते होते हैं मज़बूत

जब आप किसी को भी गंभीरता से सुनते हैं, तो इससे व्यक्ति को एहसास होता है कि आप उसकी बातों पर ध्यान दे रहे है। हर व्यक्ति चाहता है कि उसकी बातों को गंभीरता से सुना जाए और जब आप ऐसा करते हैं तो लोग आपसे बात करना पसंद करने लगते हैं। कई बार किसी बात पर अनबन होने पर अगर सामने वाले की बात सुनते हैं, तो बात संभल जाती है और रिश्ता मज़बूत हो जाता है।

बुद्धिमानी से लेते हैं काम

एक अच्छा श्रोता न केवल बातें सुनता है, बल्कि बोलने वाले के हाव-भाव और उसके बात करने के तरीके पर भी ध्यान देता है। याद रखिए, वक्ता भी एक अच्छे श्रोता से प्रभावित होता है और अपने मन में उसके प्रति सम्मान रखता है।

तो फिर आज से थोड़ा दूसरों को ध्यान से सुनने की आदत बनाने पर ज़ोर देते हैं।

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