जंगली जानवरों को इंसान अक्सर अपना दुश्मन मानते हैं, लेकिन थोड़ी समझदारी और संवेदना से काम लिया जाये, तो खूंखार जानवरों के साथ भी आसानी से दोस्ती की जा सकती है, जैसे महाराष्ट्र के दंपत्ति डॉ. प्रकाश आम्टे और उनकी पत्नी ने किया है। 3 मार्च को वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे के मौके पर चलिए, आपको बताते हैं इस अनोखे कपल के बारे में।
इस घटना ने बदल दी ज़िंदगी
डॉ. प्रकाश आम्टे मशहूर समाजसेवी बाबा आम्टे के बेटे हैं। प्रकाश आम्टे एक बार पत्नी के साथ जंगल की सैर पर निकले थे, तो वहां उन्होंने देखा कि आदिवासी अपने भोजन के लिये कुछ बंदरों को मारकर ले जा रहे थे, लेकिन उन बंदरों में से एक नन्हा बंदर ज़िंदा था। यह देखकर प्रकाश आम्टे से रहा नहीं गया और उन्होंने आदिवासियों से बंदर को छोड़ देने के लिए कहा बदले में उन्हें अनाज और आर्थिक मदद देने की बात कही। इस घटना के बाद से प्रकाश आम्टे ने आगे की पढ़ाई का विचार छोड़कर हेमलकासा गांव में रहकर ही जानवरों और लोगों की सेवा का प्रण लिया।

इंसानियत की मिसाल
डॉ. प्रकाश आम्टे और उनकी पत्नी मंदाकिनी सालों से जंगली जानवरों की सेवा में लगे हुए हैं। आलम यह है कि उनके घर में ही एक मिनी ज़ू बन गया है। उनके पास दर्जनों जंगली जानवर हैं। जिसमें हिरण, बंदर, चीता, लकड़बग्घा, सांप, भालू जैसे खतरनाक जानवर शामिल हैं। जिन छोटे जानवरों के माता-पिता शिकारी के हत्थे चढ़ जाते हैं, प्रकाश आम्टे उसे घर ले आते हैं और घायल जानवरों की बच्चे की तरह देखभाल करते हैं। इस काम में उनका पूरा परिवार साथ देता है। उन्होंने घर के आंगन में ही एनिमल ऑर्फनेज बनाया है, जहां हर तरह के जानवर दिख जायेंगे।
दरअसल, उनका गांव हेमलकासा गढ़चिरौली जिले में आता है, जो नक्सल प्रभावित और आदिवासी बहुल इलाका है। आम्टे ने जंगली जानवरों के साथ ही आदिवासियों के जीवन में सुधार के लिए भी बहुत काम किया है। वह घने जंगल के बीच रहकर आदिवासियों को मेडिकल ट्रीटमेंट देने के साथ ही शिक्षित भी कर रहे हैं।
बन चुकी है फिल्म
जानवरों के प्रति उनके असीम प्यार और संवेदना और समाजसेवा पर एक मराठी फिल्म भी बन चुकी है। आम्टे को उनके सराहनीय काम के लिए पदमश्री और रमन मैग्सेसे पुरस्कार भी मिल चुका है। प्रकाश आम्टे और उनकी पत्नी जहां जंगली जानवरों की सेवा कर रहे हैं, वहीं उनका डॉक्टर बेटा और बहू आदिवासियों का मुफ्त में इलाज कर रहे हैं।
जंगली जानवरों का नाम सुनते हैं जहां आम लोग खौफ खाते है, उन्हीं जानवरों के साथ परिवार के सदस्य की तरह रहकर आम्टे परिवार न सिर्फ मिसाल पेश कर रहा है, बल्कि उनके इस प्रयास से जंगली जानवरों की विलुप्त होती प्रजातियों को भी बचाया जा सकता है
इमेज: आनंदवन.कॉम
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