पिता और बेटे में होता है खास रिश्ता

पिता और बेटे में होता है खास रिश्ता

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पिता और बेटे के बीच का रिश्ता बहुत खास होता है। बचपन में बेटा जिस पिता को सुपरहीरो समझता है, बड़े होने पर उसी पिता से उसके विचार नहीं मिलते। यह रिश्ता उम्र के हर दौर में बदलता रहता है।

राजीव का बेटा जब छोटा था, तो उन्हें सुपरमैन कहता था। उसे लगता था कि उसके पिता उसके लिये कुछ भी कर सकते हैं और वह अपने पापा की तरह ही बनना चाहता था, लेकिन टीनेज में आते-आते उसका व्यवहार बदल गया। अब उसे पिता के सवाल चुभते हैं और उसे पिता पुराने ख्यालों वाले लगने लगे हैं। इसलिये वह उनसे बात करना पसंद नहीं करता और अक्सर कन्नी काटने की कोशिश करता है। राजीव बहुत परेशान रहने लगे कि आखिर कैसे वह अपने और बेटे की बीच आई इस दूरी को कम करें। यह समस्या आजकल के ज़्यादातर पैरेंट्स के साथ होती है। इसका हल करने के लिये हर उम्र में पिता और बेटे के रिश्ते को समझना और उसी के अनुसार खुद को बदलना बहुत ज़रूरी है।

पिता की कॉपी

बच्चे जब छोटे होते हैं, तो पिता की हर बात की कॉपी करते हैं। उनकी तरह कपड़े पहनने से लेकर, उनकी तरह बात करने और चलने की कोशिश करते हैं। पिता उनके आइडियल होते हैं। बच्चे हर वो काम और चीज़ करते हैं, जिससे पिता का ध्यान उनकी तरफ आकर्षित हो।  छोटी उम्र में बेटे के लिये पिता सुपरहीरो होता है, जो बच्चे की हर विश पूरी कर देता है, इसलिये उसकी पूरी दुनिया पिता के आसपास घूमती है।

पिता और बेटे में होता है खास रिश्ता
रिश्तों की डोर  | इमेज : फाइल इमेज

टीनेज में थोड़ा बदलाव

जब बच्चे थोड़े बड़े और समझदार होते हैं, तो पिता को लेकर उनकी सोच बदल जाती है। टीनेज में आने पर वह उनके लिये सुपरहीरो नहीं रह जाते, बल्कि हमेशा रोकने-टोकने वाले सख्त टीचर बन जाते हैं, जिससे वह दूरी बनाने की कोशिश करते हैं। पढ़ाई से लेकर, स्कूल-ट्यूशन और दोस्तों से जुड़े सवाल अक्सर बच्चे को चिड़चिड़ा बनाने लगते है, जिससे वह पिता से बातें छिपाने लगता है।

विचारों में विरोधाभास

‘पापा आप नहीं समझेंगे इस बात को आपके और हमारे बीच जनरेशन गैप जो है।’ अक्सर व्यस्क होने पर पिता और बेटे के विचार आपस में टकराने लगते हैं। इस समय बेटे और पिता के रिश्ते की मधुरता को बनाये रखना किसी चुनौती से कम नहीं होता। रिश्ते में आई दूरियों को कम करने के लिए दोनों को ही कोशिश करना चाहिये। पिता को याद रखना चाहिये कि वह हमेशा बहुत अच्छे नहीं बने रह सकते और न ही वह उतने बुरे है जितना की बेटा समझता है। बदलते समय के अनुसार अपनी सोच-विचार बदलकर वह रिश्ते को बैलेंस कर सकते हैं।

ध्यान रखें ये बातें

– बच्चे की किसी बात या हरकत पर बहुत गुस्सा न हों, बल्कि शांत होकर स्थिति को हैंडल करें।

– बच्चे के नज़रिये से दुनिया देखने की कोशिश करें। बच्चे को उस भाषा में समझायें जो उन्हें समझ आये।

– असली समस्या को जानने-समझने की कोशिश करें और उसका हल ढूंढ़े। बच्चे को डांटने या गुस्सा करने से समस्या हल नहीं होगी। रिश्ते को ठीक रखने के लिए पिता को खुले विचारों का होना भी ज़रूरी है।

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