हमारे समाज बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो हमारे समाज के लिए प्रेरणा दायी काम करते हैं। हम आपको ऐसे ही कुछ लोगों की कहानी बताने जा रहे हैं।
तमाम मश्किलों को पार करके केरल की एनी शिवा ने दी इच्छा शक्ति की मिसाल
मदद की ज़रूरत केवल इंसानों को ही नहीं बल्कि बेजुबान जानवरों को भी होती है। इसी को देखते हुए दिल्ली की विभा तोमर ने काफी अच्छा कदम उठाया है। विभा तोमर अपने दिन की शुरुआत अपनी मां के साथ भोजन तैयार करने में मदद करके करती हैं। फिर पशु चिकित्सा छात्र विभा की दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक ऑनलाइन कक्षाएं होती हैं। फिर शाम 7 बजे के आसपास, 23 वर्षीय जनपथ, इंडिया गेट, धौला कुआं, चाणक्यपुरी, सरोजिनी नगर, नौरोजी नगर, साकेत, छतरपुर और कुछ अन्य स्थानों के लिए ड्राइव करती हैं । रास्ते में, वह बंदरों और पक्षियों को खिलाने के लिए रुकती है और सूर्यास्त के बाद सड़कों पर बिल्लियों और कुत्तों को खिलाना शुरू कर देती हैं । भोजन के अलावा, वह बेघर जीवों की मौसम के हिसाब से देखभाल करती है। सर्दियों में वह उनके लिए बेकार पड़े कार के टायरों से बिस्तर तैयार करती थी। शहर में सूरज ढलने के साथ, वह उनके लिए पानी के कटोरे रखती है और वह शहर भर में 1,000 कटोरे रखने की कोशिश करती हैं। वह कुत्तों पर कॉलर बेल्ट भी बांधती है ताकि वाहन चालक उन्हें अंधेरे में देख सकें और उन्हें कुचलने से बचाया जा सके। पर्यावरण पर प्लास्टिक के बोझ से अवगत, तोमर सड़क पर रहने वालों के लिए केवल लीफ प्लेट का उपयोग करती हैं। ये पहला मौका नही है जब @vibha_vetlove14 कुत्तों की मदद को आगे आई हैं। इससे पहले भी वो लॉकडाउन के समय में लगभग 300 कुत्तों को रोज़ाना खाना खिलाया करती थीं। बचपन से जानवरों के प्रति प्यार ही है, जिसकी वजह से वह पशु चिकित्सक भी बन रही है।
तमाम मश्किलों को पार करके केरल की एनी शिवा ने दी इच्छा शक्ति की मिसाल
केरल की 31 वर्षीय एनी शिवा का काम इन दिनों काफी चर्चा में हैं। वह महिलाओं के लिए किसी मिसाल से कम नहीं हैं। कभी नींबू पानी और आइस्क्रीम बेचकर गुजारा करने वाली एनी आज सब इंस्पेक्टर बन गई हैं। एनी ने यह मुकाम काफी मुश्किलों का सामना करने के बाद पाया है। एक वक्त ऐसा था जब उन्हें 18 साल की उम्र में पति और उसके परिवार ने एक बच्चे के साथ छोड़ दिया गया था। हालांकि हालात से लड़कर वह वर्कला पीएस में सब-इंस्पेक्टर बन गई हैं। शिवा कहती हैं कि मैंने सभी मुश्किलों को पार करके यह लक्ष्य हासिल किया। मुझे यह देखकर खुशी होगी कि अन्य महिलाओं को अपने पैरों पर खड़े होने के लिए मेरे जीवन से प्रेरणा मिलती है। पति से अलग होने के बाद साल 2014 में एक दोस्त की सलाह पर एनी ने एसआई परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। महिला पुलिस अधिकारी के पद के लिए उन्होंने एक परीक्षा भी दी। मेहनत रंग लाई और साल 2016 में उन्होंने सिविल ऑफिसर के रूप में शुरुआत की और साल 2019 में एसआई का टेस्ट भी क्रैक कर लिया । इसके बाद हाल ही में उन्होंने वर्कला ग्रामीण पुलिस सब डिवीजन में सब इंस्पेक्टर के पद पर ज्वाइन किया है। उनकी इच्छाशक्ति और मज़बूत इरादे सभी के लिए बहुत प्रेरणादायी है।
कर्नाटक के संगीतकार अरुण सियांग ने शुरू की नई पहल
मिलिए 29 वर्षीय संगीतकार और सामाजिक कार्यकर्ता अरुण सिवाग से, जो राशन किट को राज्य के दूरदराज के हिस्सों में आदिवासी समुदायों तक पहुंच रहे हैं, इसके साथ ही उनके बीच कोरोना के टीके की झिझक से लड़ने और कोविड -19 के बारे में जागरूकता फैलाने में मदद कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने बड़ा ही अनोखा तरीका अपनाया है।पिछले हफ्ते, जयनगर निवासी अरुण ने जेनु कुरुबा जनजाति के सदस्यों के बीच 350 राशन किट वितरित किए, जो कोलाविगे और कप्पना कट्टे आदिवासी गांवों में नागरहोल जंगल के पास रहते हैं। उनमें से अधिकांश, जो संगीतकार भी हैं, दिहाड़ी मजदूर और आसपास के जमींदारों के लिए किसानों के रूप में काम करके अपनी जीविका चलाते हैं। लेकिन जब से महामारी आई, उनकी आय कम हो गई, और महामारी के बारे में जागरूकता की कमी ने उनके संकट को और बढ़ा दिया। अरुण संगीत के माध्यम से इन लोगों के बीच टीके को लेकर जानकारी फैला रहे हैं। ये बहुत सरहानीय कदम है।
दिल्ली के 15 साल के ईशान ने ज़रूरतमंद छात्र-छात्राओं
जब कुछ करने का जज़्बा हो, तो उम्र मायने नहीं रखती और इसे साबित किया है, 15 साल के छात्र ईशान कपूर ने। ईशान को सामाजिक कार्यों से दैनिक जीवन में पॉज़िटिव बदलाव लाने के लिए ब्रिटेन के प्रतिष्ठित ‘डायना पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है। ब्रिटेन के वेलिंगटन कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र ईशान कपूर श्री रामकृष्ण आश्रम नई दिल्ली के साथ काम करते हैं। उन्होंने लॉकडाउन में ज़रूरतमंद लड़कियों को स्कूल ड्रेस दिलवाने में मदद की और साथ ही ज़रूरतमंद छात्रों व शिक्षकों को लैपटॉप देने के लिए करीब 5,000 पाउंड जुटाए। इस अभियान का मकसद उन सभी की मदद करना था, जो पैसों के अभाव में पढ़ाई से वंचित रह गए हैं।इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया कि लॉकडाउन के दौरान पढ़ाई जारी रखने के लिए सभी के पास ऑनलाइन की सुविधा हो। डायना पुरस्कार वेल्स की राजकुमारी डायना की स्मृति में दिया जाता है। यह पुरस्कार उसी नाम के चैरिटी द्वारा दिया जाता है और इसमें उनके दोनों बेटों, द ड्यूक ऑफ कैम्ब्रिज और द ड्यूक ऑफ ससेक्स का सहयोग प्राप्त है। डायना अवॉर्ड ने 20 वर्षों से युवाओं को अपने समुदायों और दूसरों के जीवन में सकारात्मक बदलाव जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सराहा है।
हैदराबाद के 70 साल के श्रीनिवास राव साइकिल पर घूम-घूम करते हैं लोगों की सेवा
कोरोना के चलते लोग घरों से निकलना पसंद नहीं कर रहे हैं, ऐसे में हैदराबाद के 70 साल के के आर श्रीनिवास राव ज़रूरतमंद लोगों की मदद के लिए बिना झिझके घर से बाहर निकल रहे हैं। श्रीनिवास राव अपनी साइकिल पर ज़रूरतमंदों तक राशन, दवाएं, भोजन और अन्य आवश्यक सामान पहुंचाने के लिए काम कर रहे हैं। एयर इंडिया के रिटायर्ड कर्मचारी और वेस्ट मेरेडपल्ली के निवासी, राव हैदराबाद रिलीफ राइडर्स अपने घर से छह से आठ किमी की दूरी तक अपनी साइकिल से से लोगों की मदद करते रहे हैं। उन्होंने कई मामलों में ज़रूरतमंदों की ज़रूरतों को पूरा किया है। राव कहते हैं कि शुरुआत में उनकी पत्नी थोड़ी हिचकिचाती थीं, लेकिन अब वह भी उनकी मदद करती हैं। हालांकि, उनके बच्चे पिताजी के इस नेक काम का पूरी तरह से समर्थन नहीं करते हैं. क्योंकि अगर वह महामारी के बीच इतनी बार बाहर जाते हैं तो वायरस के संपर्क में आने का खतरा बढ़ सकता है। रोज़ाना करीब 2 घंटे टेबल टेनिस खेलने वाले राव ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में उन्होंने कई लोगों को मदद करने की पूरी कोशिश की है। हैदराबाद रिलीफ राइडर्स में उनके साथी राइडर्स उन्हें प्रेरणा के रूप में लेते हैं।
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