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हर परिस्थिति में मन को शांत और नियंत्रित रखने की कला है ‘मेडिटेशन’। योग सिद्ध स्वामी विवेकानंद ने जीवन में मेडिटेशन को बहुत महत्वपूर्ण बताया है। खुद बचपन से ही ध्यान में उनकी बहुत दिलचस्पी थी, इसलिए मेडिटेशन के बारे में उनके विचार लोगों के लिए बहुत मायने रखते हैं। उन्होंने ज्ञान अर्जित करने के लिए ध्यान को बहुत अहम बताया था।
स्वामी विवेकानंद के शब्दों में ध्यान
स्वामी विवेकानंद के मुताबिक, ‘पढ़ने के लिए जरूरी है एकाग्रता, एकाग्रता के लिए जरूरी है ध्यान। मेडिटेशन से ही हम इन्द्रियों पर संयम रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते है।’ स्वामी विवेकानंद ने हमेशा ध्यान के अभ्यास पर ज़ोर दिया और कहा कि यह न सिर्फ लोगों को एक-दूसरे के करीब लाता है, बल्कि मन की शक्ति भी बढ़ाता है। यानी जब आप मेडिटेशन का अभ्यास नियमित रूप से करने लगते हैं तो आपका मन बाहरी आकर्षण से भटकता नहीं है। उनके मुताबिक, ध्यान मन के सभी विचारों के आत्म मूल्यांकन की प्रक्रिया है। विवेकानंद के बारे में कहा जाता है कि अपनी ध्यान की शक्ति के कारण ही उन्होंने एक मोटी किताब सिर्फ आधे घंटे में कंठस्थ कर ली थी, जिसे दूसरे विद्वान को पढ़ने में 7 दिन लगे।
कुदरत की गुलामी से आज़ादी
स्वामी विवेकानंद ने शिकागों में अपने एक भाषण के दौरान कहा था, ‘ध्यान में वह शक्ति है जो हमें कुदरत की गुलामी का प्रतिरोध करने में सक्षम बनाती है। कुदरत हमसे कहेगी इधर देखो एक सुंदर चीज़ है। मैं नहीं देखूंगा। अब वह कहेगी, यहां बेहतरीन खुशबू है। मैं अपनी नाक से कहूंगा सूघों मत। ध्यान में हम एक पल के लिए इस प्रकृति को बदल सकते हैं।‘ यानी आपके मन पर किसी और का नहीं सिर्फ और सिर्फ आपका नियंत्रण होगा।
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परमानंद की प्राप्ति
स्वामी जी के मुताबिक, मेडिटेशन से परम आनंद की प्राप्ति ही है, लेकिन इसके लिए आपको निरंतर ध्यान का अभ्यास करना होगा, यह प्रक्रिया धीमी होगी, लेकिन निरंतरता ज़रूरी है। हो सकता है इसमें आपको कई दिन, महीने या साल ही क्यों न लग जाए। बस अभ्यास बंद मत करिए, थोड़ी-थोड़ी ही सही कोशिश रोज़ाना करते रहिए।
दिमाग बंदर की तरह इधर-उधर करता रहता है
ध्यान के कई तरीके है, लेकिन आमतौर पर इसका मख्य उद्देश्य है मन पर नियंत्रण और इसे शांत रखना। मन झील की तरह है और विचार उस पत्थर की तरह है जो उसमें तरंगे पैदा करके उसे अशांत कर देते हैं। शांत रहें, तभी हम जान पाएंगे कि हम क्या हैं। जब आपका मन उत्तेजित रहेगा तो आप शांत नहीं हो सकते, इसे शांत करने की शक्ति सिर्फ ध्यान में है। मन तो बंदर की तरह इधर-उधर करता है, लेकिन हमें ध्यान के अभ्यास से इसे शांत करना होगा।
मेडिटेशन का अभ्यास कैसे करें?
स्वामी विवेकानंद के अनुसार, मेडिटेशन के अभ्यास का सबसे सही समय है सुबह। सुबह प्रकृति के साथ ध्यान का अभ्यास करना शुरू करिए और मन में दोहराइए कि सब खुश रहें, शांत रहें, आनंद में रहें। मेडिटेशन की शुरुआत में मन में बहुत से विचार आएंगे, इन्हें आने दें। नियमित अभ्यास से विचार अपने आप कम आएंगे और आप शांति का अनुभव करेंगे। मस्तिष्क में कमल की कल्पना करिए 8 पंखुड़ियां और योगी की 8 शक्तियां। कमल के अंदर उस सर्वशक्तिमान की कल्पना करिए जिसका नाम है “ओम” और उसी पर ध्यान लगाइए।
विवेकानंद के मुताबिक, आप कोई आसन बिछाकर आराम से पद्मासन या सुखासन की मुद्रा में बैठकर ध्यान लगा सकते हैं।
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