कहा जाता है कि हर चीज़ का कुछ वरदान है तो कुछ अभिशाप भी। आज से लगभग 500 साल पहले वैज्ञानिक क्रांति की शुरुआत हुई। इसकी शुरुआत से इंसान को लगा कि उसका जीवन अब काफी हद तक सरल हो जायेगा। हालांकि सरल हुआ भी लेकिन संयम न होने के कारण इसकी कीमत भी चुकानी पड़ी। मोबाइल का प्रयोग इसका जीता-जागता उदाहरण है। हम सब मोबाइल का अनियंत्रित तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं।
क्या कहते हैं आंकड़े?
दुनियाभर में फोन के इस्तेमाल पर कई तरह की रिसर्च हो रही है। विभिन्न आंकड़ों के अनुसार –
– एक औसत उपभोक्ता दिन में करीब 4617 बार अपने मोबाइल को छूता है।
– अधिकतर लोग दिन में 3 से 4 घंटे सिर्फ अपना फोन इस्तेमाल करने में बिता देते हैं।
नुकसान
जितना ज्यादा लोग असंयमित तरीके से फोन चला रहे हैं, शारीरिक और मानसिक बीमारियां भी उतनी ही तेजी से इंसान के जीवन में घर कर रही हैं। इनमें से कुछ है-
– प्रत्यक्ष बात करने की संस्कृति और सामाजिक ताने-बाने का कमजोर होना।
– दिनचर्या, सोने जागने के तरीकों में नेगेटिव बदलाव।
– फोन की वजह से बच्चों में अधिक नेगेटिविटी पनपी है। भावनाओं का कमज़ोर होना, स्ट्रेस होना आदि आजकल के बच्चों में साधारण बात है।
– मोटापे का बढ़ना, याददाश्त और भूलने की समस्या आदि।
फोन की लत दूर करने के उपाय –
- लक्ष्य के साथ बनाएं फोन से दूरी – यह एक बहुत आसान उपाय है। आप हफ्ते में एक दिन तय करें और फोन को अपनी पहुंच से दूर रख दें। इसके साथ ही 30 दिनों बाद इस प्रयोग का परीक्षण करें।
- कुछ ऐप्स का उपयोग करें – आजकल मार्केट में ऐसी कई एप्लीकेशन हैं जो फोन की लत छुड़वाने में आपकी मदद करती हैं। उदाहरण – स्पेस , फॉरेस्ट, स्क्रीन टाइम , मोमेंट आदि। इसके अलावा कई सारी वेबसाइट भी हैं जो आपकी मदद कर सकती हैं।
- बिस्तर के आसपास न करें फोन चार्ज – बहुत से लोग अपने बिस्तर के बगल में ही फोन चार्ज करते हैं जिस कारण फोन देखने की लत बढ़ती है। अनिद्रा, चिड़चिड़ापन और रिलेशनशिप खराब होने का यह बहुत बड़ा कारण है।
- अपने फोन की सेटिंग को बदलें – फोन की लत छोड़ने का यह एक अच्छा उपाय है। इसके लिए इन बातों को अपनाएं
- लंबा पासवर्ड सेट करें।
- डू नोट डिस्टर्ब का प्रयोग करें।
- नोटिफिकेशन बंद रखें।
- बेकार या अनुपयोगी ऐप्स को होम स्क्रीन से हटाएं
- यूट्यूब और दूसरे प्लेटफार्म पर रिमाइंडर सेट करें।
- बातचीत के पारंपरिक तरीकों को भी चुनें – तकनीक के इस बढ़ते दौर में हम सब पूरी तरह तकनीक पर निर्भर हो चुके हैं। लेकिन हमें कभी कभी पारंपरिक तरीकों जैसे डाक आदि का भी उपयोग करना चाहिए। इससे तकनीक पर निर्भरता भी कम होगी और ग्रोस हैप्पीनेस इंडेक्स में खुशहाली भी बढ़ेगी।
इस तरह कुछ अच्छी आदतों को विकसित करके और मेडिटेशन जैसी आदतें अपनाकर मोबाइल के अधिक प्रयोग से निजात पाई जा सकती है। बस आपको इतना ही करना है कि इन हेल्दी टिप्स को आज से ही अपने जीवन का हिस्सा बनाना है।
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